हिंदी फ़िल्म के दमदार डायलॉग. Great Dialogue of Hindi Cinema

Great Dialoge

फिल्मों मे दमदार डायलॉग फ़िल्म की जान होती है. दर्शक वर्ग भी अच्छे डायलॉग को तालियोंसे स्वागत करते है. हिंदी बॉलीवुड फ़िल्म के ऐसे ही चुनंदा

कई संवाद है जो फ़िल्म रसिकों द्वारा आज भी बोला जाता है.

प्रस्तुत है कुछ चुनंदा डायलॉग :

*** यहांसे पचासो कोस दूर गांव मे, जब बच्चा रोता है, तो माँ कहती है, सो जा बेटा नहीं तो गब्बरसिंह आ जायेगा. और ये हराम जादौने मेरा नाम मिट्टी मे मिलाई दिये…..

फ़िल्म : शोले (1975)

लेखक : सलीम जावेद.

*** पुष्पा आई हेट टियर्स.

फ़िल्म : अमर प्रेम. (1972)

लेखक : रमेश पंत (संवाद )

अरविंद मुखौपाध्याय.

*** चाकूसे उलझना कोई बच्चों का खेल नहीं, हाथ मे लग जाय तो खून निकल आता है.

फ़िल्म : वक़्त (1965)

लेखक : अख्तर मिर्जा (कहानी)

अख्तर-उल-ईमान (संवाद)

**** एक मच्छर साला आदमी को हिजड़ा बना देता है!

फ़िल्म : यशवंत (1997)

कलाकार : नाना पाटेकर

*** बसंती इन कुत्तो के सामने मत नाचना.

फ़िल्म : शोले (1975)

लेखक : सलीम जावेद.

*** डॉन का इंतजार तो बारह मुल्को की पुलिस क़र रही है, मगर डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.

फ़िल्म : डॉन (1978)

लेखक : सलीम जावेद.

*** तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख मिलती है मी लार्ड, पर न्याय नहीं मिलता

फ़िल्म : दामिनी (1993)

लेखक : राजकुमार संतोषी.

*** टेंसन लेनेका नहीं देनेका

फ़िल्म : मुन्नाभाई MBBS (2003)

लेखक : अब्बास टायरवाला.

*** ये ढाई किलोका हाथ जब किसी पर पडता है ना तो आदमी उठाता नहीं, उठ जाता है.

फ़िल्म : दामिनी (1993)

लेखक : राजकुमार संतोषी.

*** हम जहां खड़े होते है, लाइन वहासे शुरु होती है.

फ़िल्म : कालिया. (1981)

लेखक : टीनू आनंद , इंद्र राज आनंद

*** बड़े बड़े शहरों मे ऐसी छोटी छोटी बातें होती रहती है. सिनोरिटा.

फ़िल्म : दिल वाले दुलनिया ले जायेगे (1995)

लेखक : जावेद सिद्दीकी, आदित्य चोपड़ा.

*** बाबू मोशाय जिंदगी बडी होनी चाहिए लंबी नहीं.

फ़िल्म : आनंद (1971)

लेखक : गुलजार (संवाद ) ऋषिकेश मुखर्जी, डी एन मुख़र्जी, विमल दत्ता.

*** रिस्ते मे तो तुम्हारे हम बाप लगते है, नाम है शहंशाह

फ़िल्म : शहंशाह (1988)

लेखक : संतोष सरोज (संवाद ) इन्दर राज आनंद.

*** “कुत्ते कमीने मैं तेरा खून पी जाऊंगा.”

फ़िल्म: यादों की बारात (1973)

लेखक: नासिर हुसैन (संवाद),

सलीम- जावेद

*** “बसंती, इन कुत्तों के सामने मत नाचना!”

फिल्मः शोले (1975)

लेखकः सलीम-जावेद

*** ये मुसलमान का खून ये हिन्दू का खून…. बता इस में मुसलमान का कौन सा, हिन्दू का कौनसा… बता.

फ़िल्म : क्रांतिवीर : 1994.

*** मोगेम्बो खुश हुआ.

फ़िल्म : मिस्टर इंडिया. (1987)

फिल्म- मिस्टर इंडिया

लेखक- सलीम-जावेद

*** ऊपर वाला भी ऊपर से देखता होगा तो उसे शरम आती होगी… सोचता होगा मैंने सबसे खूबसूरत चीज बनाई थी, इंसान…नीचे देखा तो सब कीड़े बन गए…कीड़े !

फ़िल्म : क्रांतिवीर (1994)

*** परंपरा. प्रतिष्ठा. अनुशासन. यही गुरुकुल के तीन स्तंभ हैं.”

फिल्म- मोहब्बतें.

लेखक- आदित्य चोपड़ा.

*** चिनॉय साब…जिसके घर शीशे के होते है वो गरीब के झोपड़ियों पर पत्थर नहीं फेका करते.

फ़िल्म : वक्त (1965)

लेखक : अख्तर मिर्ज़ा (कहानी)

अख्तर उल-इमान (संवाद)

*** कुल्हाड़ी मे लकड़ी का दस्ता ना होता तो लकड़ी के कटनेका रास्ता नहीं होता.

फ़िल्म : क्रांति (1965)

लेखक : सलीम ख़ान, मनोज कुमार

*** आपके पांव बहुत खूबसूरत है, इन्हें जमीन पर मत रखिएगा… मैले हो जाएँगे.”

फ़िल्म : पाकीजा (1972)

*** बाबूमोशाई , जिंदगी और मौत ऊपर वाले के हाथ है…

उससे ना तो आप बदल सकते हैं ना मैं…

हम सब तो उपर वाले की कठपुतलियां हैं जिनकी डोर ऊपर वाले की उंगलियों में बंधी है.

फ़िल्म : आनंद (1971)

लेखक : गुलजार (संवाद ) ऋषिकेश मुखर्जी, डी एन मुख़र्जी, विमल दत्ता.

*** “यह हाथ मुझे दे दे ठाकुर!”

फिल्मः शोले (1975)

लेखकः सलीम-जावेद.

*** ” हमारा हिन्दुस्तान ज़िंदाबाद था, ज़िंदाबाद है और ज़िंदाबाद रहेगा “

फिल्म : गद्दार ( 2001)

About पत्रकार : सदाशिव माछी -"शिव सर्जन"

View all posts by पत्रकार : सदाशिव माछी -"शिव सर्जन" →