अन्नपूर्णा जगत जननी माँ की ममता.

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माँ जगत जननी हैं. माँ अन्नपूर्णा हैं. माँ की बरोबरी कोई नहीं कर सकता. पुरुषोकों मोक्ष पानेके लिए सत्कर्म करना पडता हैं. जबकि स्त्री बालक का जन्म देते ही मोक्ष की प्राप्ति कर लेती हैं और वह स्वर्ग की हक़दार बन जाती हैं. माँ अपने बच्चे को डाटती हैं, मारती हैं, और प्रश्चाताप करके खुद रोने लगती हैं, और मन ही मन कहती हैं कि में तेरे भले के लिए ऐसा करती हूं.

तु एक अच्छा इंसान बने, कुल का नाम रोशन करें. बुरे मार्ग से दूर रहे. माँ का ऋण कोई उतार नहीं सकता. स्वयं भगवान भी नहीं. माँ की गोद शिशु के लिए स्वर्ग समान हैं. माँ खुद भूखी रहकर अपने बच्चे को खिलाती हैं.

माँ के योगदान और समर्पण के लिए उनका धन्यवाद कहने के लिए हर साल मई के दूसरे रविवार के दिन को MOTHER’S DAY के रुपमें मनाया जाता है.

विश्व में मदर डे (MOTHER’S DAY ) मनाने की शुरुआत :

मदर डे मनाने की शुरुआत एना रीव्स जार्विस ने की थी. इसके पीछे कहानी ऐसी है कि इस दिन के जरिए एना अपनी मां एना रीव्स जार्विस को श्रद्धांजलि देना चाहती थी. उनकी मां, गृहयुद्ध के समय एक एक्टिविस्ट की तरह काम करती थी.

जब सन 1904 में उनकी मृत्यु हुई, तो उनकी याद में उनकी पहली पुण्यतिथि पर वेस्ट वर्जिनिया में एक आयोजन किया, जिसमें उन्होंने अन्य महिलाएं, जो मां बन चुकी थीं, को सफेद कार्नेशन दिए, जो उनकी मां के पसंदीदा फूल थे.

इसके बाद उन्होंने फैसला किया कि हर साल Mother’s Day मनाया जाना चाहिए, जिसके लिए उन्होंने कई कैंपेन किए और अंत में अमेरिका के राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन ने 1914 में हर साल मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे की तरह मनाने की घोषणा की. इस तरह हुई मदर्स डे मनाने की शुरुआत.

आज विश्व के 50 देशोमे मदर डे मनाया जाता हैं. प्रस्तुत हैं माँ के ममता की एक कहानी.

बच्चे की असली माँ कौन ? :

एक बार अकबर के दरबार में 2 महिलाये लड़ती हुई आयी. उनके पास एक छोटा सा बच्चा था. एक महिला बोल रही थी में इस बच्चे की असली माँ हु. दूसरी महिला भी बोल रही थी की में इस बच्चे की असली माँ हु. इस बच्चे की असली माँ कौन है यह बताना अकबर के लिए मुश्किल हो रहा था. अकबर ने बीरबल को कहा की तुम ही इस समस्या का समाधान करो.

बीरबल ने थोड़ा सोचा और फिर एक जल्लाद को बुलाया. उसके हाथ में तलवार दी और फिर कहा की इस तलवार से तुम इस बच्चे के दो बराबर हिस्सों में टुकड़े कर दो और इन दोनों को दे दो. बीरबल ने दोनों महिलाओं को फिर पूछा की क्या आप दोनों को ये मंजूर है ?

एक महिला ने बोला की जी मुझे ये मंजूर है. अगर ये महिला अपने बच्चे का हक जाने नहीं देती है तो फिर मुझे ये निर्णय बिलकुल मंजूर है.

इतना सुनते ही दूसरी महिला ने बीरबल के पैर छुए और वो रोते हुए बोली इस बच्चे के टुकड़े मत कीजिये. में मेरा हक जाने देती हु. बीरबल ने तुरंत ही अकबर को कहा की मुझे समस्या का समाधान मिल गया हैं.मुझे पता चल गया की इस बच्चे की असली माँ कौन है. ये दूसरी महिला इस बच्चे की असली माँ है. क्योकि उसने अपना बच्चा किसी भी हालत में जीवित रह पाए ऐसा सोचा और ये पहली महिला को इस बच्चे के लिए जरा सा भी लगाव नहीं है.

अकबर ने तुरंत ही इस बच्चे को वो दूसरी महिला को दे दिया और इस बच्चे को अपना बताने वाली इस पहली महिला को गुनेगार साबित किया और एक साल की जेल की सजा भी दी.

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