“उपासना” का सदाबहार गाना | Upsana Evergreen song

Upaasna

            उपासना हिंदी फिल्मके गानेके बोल. 

( प्रेमी प्रेमिका से अनहद प्यार करता है. वो प्रेमिका की आंखों मे बसना चाहता है. उसके गलेका हार बनना चाहता है ! वो अपनी प्रेमिका से फरियाद करता है.  निचे उपासना फ़िल्म का मशहूर गाना के बोल आपकी सेवा मे प्रस्तुत करता हुँ. ) 

फ़िल्म : उपासना. ( 1971 ).

गायक : मुकेश. 
संगीतकार : कल्याणजी आनंदजी. 
गीतकार : इंदीवर. 

गाने के बोल : 

दर्पण को देखा, तूने जब जब किया सिंगार. 
फुलोको देखा, उनमे जब जब आई बहार. 
एक बदनसीब हुँ मैं, मुजे नहीं देखा एक बार. 

                                 दर्पण को देखा…… 

सूरज की पहली किरणों को, देखा तूने अलसाते हुये. 
रातों में तारों को देखा, सपनो में खो जाते हुये. 
यूं किसी ना किसी बहाने, तूने देखा सब संसार. 

                                  दर्पण को देखा….. 

काजल की किस्मत क्या कहिये ! नैनोमे तूने बसाया है. 
आंचल की किस्मत क्या कहिये, अंग तूने लगाया है. 
हसरत ही रही मेरे दिल, बनु तेरे गलेका हार. 

                                 दर्पण को देखा………

( प्रेमी अपनी प्रेमिका से अपने मन की बात कहता है की. 
 जब जब बहार आती है, तुम फुलोको देखती रहती हो. यूं किसीने किसी बहाने, तू सब संसार देख लेती है. प्रेमी कहता है एक मै ही ऐसा बदनसीब हुँ की मुजे एक बार भी देखती नहीं हो. प्रेमी आगे कहता है, 

          काजल की किस्मत तो देखो ! जिसे तूने अपने नैनो मे बसाया है. आंचल की किस्मत देखो ! जिसे तूने अंग लगाया है. प्रेमी की ख्वाइस तो उसके गलेका हार बननेकी है.और वारंवार फरियाद करता है की दर्पण को देखा, तूने जब जब किया सिंगार !

         वाह ! भाई, वाह !! इंदीवर जी, आपकी गजब की सोच है.गजब के शब्द प्रयोग है ! सैलूट टू यु. 

         सन 1971 मे रिलीज़ हुई उपासना फ़िल्म का ये गीत मुकेश ने अपनी दर्द भरी आवाज मे गाया है. जो हृदय को छू जाता है. उस समय के प्रसिद्ध संगीत कार कल्याणजी शाह और आनंदजी शाह ने इसको संगीत से सवारा है. कलाकार थे, श्री संजय खान, मुमताज़. फिरोज खान, और डांसर हेलन. इस गीत की वजह से उपासना फ़िल्म को लोगोने पसंद किया था.). 

यह गाना पढ़कर प्रेम की चाहत का आप अहसास कर सकते हो. 70 के दशक मे संगीतकार कल्याणजी – आनंदजी और गायक मुकेश जी दोनों सुपर – डुपर कलाकार थे. आज भी दीवानो की दुनिया मे ये दर्द भरा गाना गुनगुनाया जाता है. 

        आज बॉलीवुड इंडस्ट्रीज मे पहले की पकड़ नहीं रह गई. आज तो फ़िल्म पैसों की बारिस के लिए बनती है. ना आज पहले जैसे गीतकार है, ना संगीतकार. ना गायक है ना डायरेक्टर फिर पहले की जैसी फ़िल्म भी कैसे बनेगी ? 

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                       शिव सर्जन प्रस्तुति.

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