“एक सोची समझी साजिश हनी ट्रैप”

” हनी ट्रैप ” एक सोची समझी साजिश होती है, जिसके तहत किसी इंसान से राज उगलवाए जाते हैं या कोई खुफिया या उसकी व्यक्तिगत जानकारी निकाली जाती है. इसमें इंसान को अनैतिक व अवैधानिक शारीरिक संबंधों के फेर में उलझा कर बाद में उसे दुनिया के सामने लाने की धमकी दी जाती है.

ऐसे मामलों में आईपीसी की धारा 370, 328 और आईटी अधिनियम 66-ई और 67 बी के तहत मामला दर्ज किया जाता है. हनी ट्रैप शब्द का प्रयोग सबसे पहले जासूसी की दुनियामें किया गया था और अब तो इसका उपयोग पत्रकारिता की दुनिया में भी अक्सर किया जाता है.

हनी ट्रैप मतलब सामने वाले से अपना काम निकालने के लिए या कुछ महत्वपूर्ण जानकारी हासिल करने के लिए खूबसूरत लड़की या औरत का इस्तेमाल होना… बहुत सारे मर्दों की कमजोरी स्त्री होती है इसीलिए अगर मर्द उस में फस जाए तो उससे हर एक चीज हासिल की जा सकती है.

हनी ट्रैप का इस्तेमाल पुरातन काल से किया जाता रहा है, दुश्मन देशों की जानकारी निकालने के लिए खूबसूरत लड़कियों का इस्तेमाल किया जाता था जो आज भी किया जाता है कभी-कभी हमें न्यूज़ सुनने को मिलती थी कि कुछ महत्वपूर्ण पदों पर स्थित अधिकारियों को हनी ट्रैप के जरिए उससे महत्वपूर्ण जानकारी या काम करवाया गया.

मिलिट्री अधिकारियों के साथ भी यह हादसा हुआ है इससे बचने का यही तरीका है कि अपना कर्तव्य सबसे श्रेष्ठ माना जाए. फिसलने को देरी नहीं लगती, हनी ट्रैप मतलब यह चीज करने को काफी बढ़िया लगती है मगर उसके अंतिम परिणाम काफी भयानक होते हैं जैसे बदनामी होना, नौकरी चली जाना या शायद जान भी चली जा सकती है इसलिए अपनी कर्तव्य निष्ठा कभी ना भूले. और देश के साथ गद्दारी नहीं करनी चाहिए.

हनी ट्रैप का सबसे पहला जिक्र सन 1974 में ब्रिटिश लेखक जॉन ले कैरे ने किया था. और यह पाकिस्‍तान का वह हथियार है जो पिछले कई सालों से उसके काम आ रहा है. रावलपिंडी कराची और हैदराबाद में आईएसआई, लड़कियों को इसकी ट्रेनिंग देती है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ के वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर ने एक पाकिस्‍तानी हसीना के जाल में फंसकर भारत का हर राज दुश्‍मन देश को सौंप दिया था. प्रदीप हनी ट्रैप का शिकार हुए और उन्‍होंने भारतीय रक्षा क्षेत्र से जुड़ी संवेदनशील जानकारी पाकिस्‍तान को दे दी थी.

प्रदीप ने ब्रह्मोस, अग्नि 6 मिसाइल लॉन्‍चर्स, जमीन से हवा तक निशाने लगानी वाली मिसाइलों से लेकर रूस्‍तम ड्रोन, राफेल सिस्‍टम, अस्‍त्र मिसाइल जैसी जानकारियां लीक कर दीं. प्रदीप उस जाल में फंसे थे जिसे हनी ट्रैप कहा जाता है. यह पाकिस्‍तान का वह हथियार है जो पिछले कई सालों से उनके काम आ रहा है.

सोशल मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आईएसआई ने दर्जनों कॉल सेंटर स्थापित किए थे. इन कॉल सेंटर्स पर पाकिस्तानी लड़कियां खुद को भारतीय हिंदू लड़की बताकर सोशल मीडिया के जरिए भारतीय सेना के जवानों को अपने जाल में फंसाने की कोशिशें करती हुई नजर आती थी.

इस खतरनाक खेल को अंजाम देने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस टूल्स और इंटरनेट का भरपूर प्रयोग किया जाता था. ये लड़कियां फर्जी प्रोफाइल बनाती हैं और खुद को भारतीय सेना के जवानों की महिला रिश्तेदारों के रूप में पेश करती हैं. माथे पर बिंदी लगाते हैं और खुद को हिंदू दिखाने के लिए अपनी कलाई पर कलावा तक पहन लेती हैं. इनके बैकग्राउंड में गांधी या फिर हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरें लगी होती हैं. महिला जासूस, हिंदू लड़कियों की तरह पहने जाने वाले कपड़े पहनती हैं ताकि उन पर किसी को शक न हो.

कभी रात के समय किसी अनजान नंबर से आई व्हाट्सएप वीडियो कॉल आपके मुसीबत का कारण बन सकती है. आपकी जानकारी के बीना आपका खोटा अश्लील वीडियो बनाकर आपको ब्लैकमेल किया जा सकता है.

इंटरनेट पर हनी ट्रैप के बारेमें श्री मुकेश कुमार गजेंद्र जी का एक लेख पढनेको मिला. उसी के सौजन्य और साभार के साथ यहां पर प्रस्तुत किया गया है……

……आधी रात व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल आई. कोई नंबर फ्लैश नहीं हो रहा था. इधर से फोन उठा लिया गया. उधर से एक लड़की दिखाई देने लगी. उसने कपड़े उतारने शुरू कर दिए. फोन पर देख रहा शख्स हतप्रभ था. उसने कुछ ही देर बाद कॉल काट दी. कॉल फिर आई. रिसीव किया और तुरंत काट दिया. फिर आधे घंटे बाद व्हाट्सएप पर वीडियो मिला.

इसमें उसी शख्स का अश्लील वीडियो पड़ा हुआ था. उधर से धमकी दी गई कि यदि पैसे नहीं दिए तो ये वीडियो वायरल कर दी जाएगी. इतना सुनते ही सामने वाले के होश उड़ गए. जी हां, ये कहानी नहीं हकीकत है. यूपी की राजधानी लखनऊ के 28 साल के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के साथ ऐसी ही घटना घटी थी.

जानकरी के मुताबिक, पीड़ित इंजीनियर का नाम अंकित कुमार है. बीते सप्ताह अचानक रात के 11 बजे अनजान नंबर से अंकित के मोबाइल पर वीडियो कॉल आई. अंकित ने वीडियो कॉल को जैसे ही अटेंड किया, दूसरी तरफ एक लड़की की अश्लील तस्वीर सामने आ गई.

अचानक अनजान नंबर से आई वीडियो कॉल और फिर उस वीडियो कॉल पर कपड़े उतारती लड़की को देख अंकित कुछ भी समझ नहीं पाया. थोड़ी ही देर में उसने वीडियो कॉल बंद कर दी. अगले दिन उसके मोबाइल नंबर पर एक मैसेज आया. मैसेज देखकर अंकित के होश उड़ गए. मैसेज में उससे गूगल पे पर पैसों की मांग की गई. पैसा नहीं देने पर उसकी अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी दी जाने लगी.

अंकित को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अचानक से यह सब कैसे हो गया? बदनामी के डर से वह किसी से कुछ बताए या नहीं? पुलिस या कानून की मदद ले भी तो कैसे? आखिरकार किसी तरह हिम्मत करके अंकित ने पुलिस को सूचना दे ही दी. पुलिस की साइबर सेल इस मामले की जांच कर रही है. बताया जा रहा है कि साइबर सेल को ऐसी शिकायतें लगातार मिल रही हैं. बीते कुछ महीनों से ऐसे मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है. डीप फेक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके यह सब हो रहा है. इसे अंजाम देने वाला गैंग राजस्थान के भरतपुर, यूपी के मथुरा और हरियाणा के मेवात इलाके में ज्यादा सक्रिय है, जहां पर लड़के और लड़कियां ब्लैकमेलिंग के इस धंधे में जोर-शोर से लगे हुए हैं.

इंटरनेट मोबाइल के इस दौर में ऐसी घटना किसी के साथ भी हो सकती है. फेसबुक की फर्जी आईडी बनाकर दोस्तों से पैसे मांगने वालों की तरह अभी साइबर क्राइम करने वालों का ये तरीका पूरी तरह चर्चा में नहीं आया है, लेकिन आप सावधान हो जाएं. ये साइबर अपराधियों का नया मॉड्यूल है. ये देर रात ऑनलाइन रहने वाले नंबरों पर नजरें गड़ाए रखते हैं. उनके बारे में तमाम जानकारियां इकट्ठा करते हैं. सारी जानकारी हो जाने के बाद होता है फोन का खेल. फोन व्हाट्सएप या मैसेंजर पर आता है, जिसमें नंबर फ्लैश नहीं करता. फोन पर लड़की आती है, जो बताती है कि वो हाईप्रोफाइल है और दोस्ती करना चाहती है. उसका मकसद उस शख्स को ज्यादा से ज्यादा देर तक फोन पर इंगेज करना होता है. ताकि वीडियो में उसके चेहरे के तमाम हाव-भाव रिकॉर्ड हो सके. इस कोशिश के लिए लड़की तमाम तरह की हरकतें भी करती हैं.

लड़की अपने कपड़े भी उतारती है, सामने वाले को भी ऐसा करने के लिए कहती है. तमाम लोग ऐसी कॉल आते ही समझ जाते हैं कि ये झांसेबाजी है तो कई लोग इस झांसेबाजी में फंस भी जाते हैं. कॉल डिस्कनेक्ट होने के बाद ये लोग उस शख्स के चेहरे को मॉर्फ करके न्यूड वीडियो बना लेते हैं. फिर शुरू होता है ब्लैकमेलिंग का खेल. आपसे गुजारिश है कि ऐसे झांसों में न खुद फंसें और न अपने आसपास के लोगों और दोस्तों को फंसने दें. समझें और समझाएं कि फोन पर लड़की कहीं से अचानक नहीं टपकती. अपराधी बाकायदा जाल बिछाकर ऐसे शिकार करते हैं. अपराध का ये ट्रेंड बहुत तेजी से चल रहा है. इनका शिकार होने से बचिए और जानकारी शेयर करके दूसरों को भी बचाइए.

यदि कोई ऐसे साइबर अपराधियों का शिकार हो गया है तो पहली बात कि डरना बंद करके पुलिस में रिपोर्ट करनी चाहिए. उससे पहले अपने परिवार में बताएं, अपनी पत्नी, अपनी मां, अपने पिता को बताएं. ध्यान रहे कि एक बार इनकी धौंस में आकर अगर पैसे दे दिए तो आप इनके लिए एटीएम हो जाएंगे. ये अपने इशारों पर नचाते जाएंगे, आप नाचते जाएंगे. ज्यादातर गुंजाइश तो इसी बात की है कि अपराधी सिर्फ डराकर पैसा वसूलना चाहते हैं. पुलिस के चक्करों में वो भी नहीं पड़ना चाहते होंगे. क्योंकि ये ठग हैं, डकैत नहीं. खुद पुलिस भी कहती है कि ऐसे साइबर अपराधी कुछ भी वायरल नहीं करते, क्योंकि ऐसा करने पर उनके पकड़े जाने का ज्यादा खतरा होता है. वे सिर्फ धमकी देते हैं.

पुलिस से शिकायत पर बदनामी और कानूनी झमेले में फंसने का डर भी पीड़ित को सताता है. यही वजह है लोग पुलिस से मदद मांगने तो आते हैं, लेकिन एफआईआर दर्ज कराने से कतराते हैं. यदि आप धोखे से भी इस तरह के मामले के शिकार बन गए हैं, तो बिल्कुल भी डरिए मत.

जब आपने गलती नहीं कि तो डर किस बात का. डरे वो जिसने आपके साथ गलत किया और आगे भी करने की कोशिश कर रहा है. सबसे पहली बात तो सावधानी और सतर्कता ही सबसे बड़ा बचाव है. ऐसे में सोशल मीडिया पर किसी भी अनजाने नंबर से आई वीडियो कॉल को कभी भी न उठाएं न ही किसी को उठाने दें. सोशल मीडिया पर अपनी फ्रेंड लिस्ट को भी चेक करके संदिग्ध लोगों को अनफ्रेंड किया जाना ही सबसे कारगर है.

👉 इस लेख को हमने सोशल मीडिया से लिया है. लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि राजकीय सृस्टि, चकोर दृस्टि. स्तंभ या हमारी प्रेस सूचना सेवा :

( Press Information service )

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