हमारे भारत देश का नक्शा कब ? कैसे ? बनाया गया. ये जाननेकी इच्छा सभीको होती है. आज हम लोग इसी बात की चर्चा करेंगे….
भारत देश का प्रथम नक्शा बनानें का इतिहास काफी पुराना है. मानव जाति नें प्रथम नक्शा बनानें का प्रयास महाभारत काल से ही आरंभ किया था, प्राचीन काल से ही मनुष्यों नें घर की दीवार एवं जमीन पर मानचित्र बनाना शुरु किया था.
भारत का नक्शा सबसे पहले किसनें बनाया ? इसकी अधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है, परन्तु इसे बनानें में इरेटोस्थनीज, हेकाटेयस, टॉलमी, एनविले, जेम्स रेंनेल, विलियम लैंबटन, जॉर्ज एवरेस्ट, और चौधरी रहमत अली आदि कई महानुभावों का योगदान रहा है.
भारत का पहला मानचित्र बननेका
ऐतिहासिक रूप से कई लोग दावा कर चुके हैं, परंतु इस प्रश्न का सटीक उत्तर नहीं दिया जा सकता. मगर भारत देश का मानचित्र बनानें में मुख्य रूप से इन व्यक्तियों के नामों का उल्लेख मिलता है जिन्होंने अलग-अलग समय मे मानचित्र का निर्माण किया था.
इरेटोस्थनीज :
भूगोल का जनक कहे जानें वाले इरेटोस्थनीज नें लगभग 300 ईसा पूर्व में ग्रीस के शासक सिकन्दर नें इरेटोस्थनीज को पहली बार भारत के मानचित्र तैयार करनें का आदेश दिया था, सिकंदर के आदेश के पश्चात ही इरेटोस्थनीज ने भारत का मानचित्र ( नक्शा ) बनाया था.
हेकाटेयस :
हेकाटेयस द्वारा निर्मित मानचित्र में भारत शब्द का उल्लेख किया गया था, भारत के इस नक़्शे का निर्माण लगभग 550-476 ईसा पूर्व किया था, 18वीं सदीमें अंग्रेजोंने भारत पर शासन करना प्रारंभ कर दिया था, ई. सन 1757 में “प्लासी की लड़ाई” में अंग्रेजों नें बंगाल के शासक सिराजुद्दोला को पराजित कर दिया तथा बंगाल पर विजय प्राप्त करनें के बाद अंग्रेजों नें वहांके रहवासी ओसे कर वसूलना चाहते थे, लेकिन उस समय मानचित्र उपलब्ध न होनें के कारण अंग्रेज बंगाल की सीमा क्षेत्र को सही तरीके से नहीं जानते थे, जिसके कारण उन्होंने भारत के मानचित्र को तैयार करनें का निर्णय लिया, और इस कार्य के लिए उन्होंने ब्रिटिश सेना में कार्यरत ज्यामिति विशेषज्ञ “जैक विलियम लैंबटन” को नियुक्त किया.
विलियम लैंबटन :
विलियम लैंबटन नें भारत के मानचित्र के निर्माण में सबसे पहले दक्षिणी क्षेत्र मद्रास से मानचित्र बनानें का कार्य आरंभ किया, इसके लिए उन्होंने “सरल त्रिकोण विधि” का प्रयोग किया, परन्तु 18 वर्ष तक निरंतर कार्य करनें के बाद भी लैंबटन भारत के नक्शे के एक-तिहाई भाग को पूरा करनें में असमर्थ हुए, इसके बाद उन्होंने सेवा निवृत्ति ले ली और उनके स्थान पर जॉर्ज एवरेस्ट को नियुक्त किया गया.
जॉर्ज एवरेस्ट :
जॉर्ज एवरेस्ट भारत का मानचित्र बनाकर उत्तर में हिमालय के क्षेत्र में पहुंचे, परन्तु हिमालय का विस्तार नेपाल और तिब्बत में होनें के कारण नेपाल नें अंग्रेजों को अपने देश में प्रवेश करनें की अनुमति नहीं दी थी, क्योंकि उन्हें आशंका थी, कि भारत की तरह ही अंग्रेज लोग उनके देश पर भी अपना आधिपत्य स्थापित कर लेंगे.
त्रिकोणमिति के सरल तकनीकों का उपयोग करके जॉर्ज एवरेस्ट नें एवरेस्ट की ऊंचाई की माप की, जॉर्ज एवरेस्ट द्वारा की गई माप लगभग 99.75% सटीक थी, जिसके कारण विश्व के सर्वोच्च शिखर का नाम जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर माउंट एवरेस्ट रखा गया, अतः हम कह सकते हैं, कि विलियम लैंबटन और जॉर्ज एवरेस्ट नें भारत का पहला सटीक मानचित्र बनाया था.
पृथ्वी की सतह के किसी भाग के स्थानों, नगरों, देशों, पर्वत, नदी आदि की स्थिति को किसी माप की सहायता से कागज पर लघु रूप में बनाने को ही मानचित्रण कहलाता हैं. मानचित्र को नक्शा भी कहा जाता है.
मानचित्र पूरे विश्व से लेकर छोटे से छोटे स्थान की भौगोलिक जानकारी के लिये एक सन्दर्भ का काम करता है.
मानचित्र किसी अज्ञात स्थान के लिये मार्गदर्शक और दिग्दर्शक का काम करता है.
मानचित्र थल, जल या वायु मार्ग से यात्रा करने में यात्रा के मार्ग की योजना बनाने और उस मार्ग पर बने रहने में सहायकता का काम करता है. नगर या ग्राम की भावी विकास योजना बनाने के लिये व सेना अपनी कार्यवाही सैनिकों की तैनाती, शत्रु की स्थिति का आकलन एवं शस्त्रास्त्रों की तैनाती के लिये भी मानचित्र का अत्यधिक उपयोग किया करती है.
भूमि के स्वामित्व, कर निर्धारण एवं न्यायाधिकरण के लिये सरकार मानचित्र पर निर्भर करती है.