अन्न व औषध प्रशासन ( FOOD AND DRUG ADMINISTRATION )
महाराष्ट्र राज्य की एक सरकारी संस्था है. इसकी स्थापना 1970 में महाराष्ट्र शासन राज्य के नागरिकों को मिलावट और अयोग्य अन्नपदार्थ व औषध से संरक्षण देनेके लिए की गई है.
मगर क्या ये संस्था ठीक से काम कर रही है ? यदि हा तो फिर सोशल मिडिया पर, मिलावट के बारेमें वायरल हो रही क्लिप जूठी है ? बाजार से ख़रीदा गया फल दो दिनमे ही खराव हो जाता है. सर्व विदित है कि बाजार में मिल रहे अधिकांश फलोंको हानिकारक केमिकल से पकाया जाता है. सरकार का इसके उपर नियंत्रण है ?
राम भरोसे हिंदू होटल चल रही है. खाद्य की मिलावती के लिए कानून तो बने है. क्या उसके कार्यान्वित के लिए ढील हो रही है ? या अधिकारी वर्ग AC
में बैठकर हराम का पगार लें रहे है ?
आम, केला, पपया में सबसे ज्यादा मिलावट देखी जाती है. फलों तथा सब्जियों में सबसे ज्यादा लाल और हरे रंग की मिलावट सामान्य बात है.
कैसे पहचाने केमिकल युक्त आम :
अगर आमको केमिकल से पकाया गया है तो उसके छिलके में चमक हो सकती है या फिर उसपर सफेद-ग्रे पाउडर की परत चढ़ी हुई दिखाई देती है. अगर आम ऐसा दिख रहा है तो वो केमिकल में रखकर पकाया हुआ हो सकता है. दरअसल आमों को ज्यादातर कैल्शियम कार्बाइड से पकाया जाता है.
जाती के हिसाब से आम के छिलके की रंगत अलग-अलग होती है, लेकिन ज्यादातर केमिकल से पकाए गए आम का छिलका पूरी तरह से पीला होता है या फिर पूरी तरह से नारंगी. जबकि नेचुरल तरीके से पका हुआ आम पूरी तरह से एक ही रंग का नहीं होता है. उसमें आपको कहीं-कहीं बिना पके हुए के धब्बे दिख जाएंगे या फिर छिलके का पूरा रंग एक जैसा नहीं होगा. कहीं से पीला तो कहीं से हरा दिखाई देता है.
प्राकृतिक रूप से पके हुए आम की सुगंध और मिठास मुंह में घुल जाती है, जबकि केमिकल से पके हुए आम का स्वाद कसैला हो सकता है और मुंह में मिठास के साथ ही आपको हल्की जलन महसूस हो सकती है.
आप आम खरीदते वक्त दुकानदार से काटकर दिखाने को कह सकते हैं या फिर घर पर लाकर काटने के बाद देखें कि अंदर से आम का रंग कैसा है. केमिकल से पके आम का रंग कहीं से हल्का पीला तो कहीं से ज्यादा गहरा पीला होता है.
केमिकल से अगर आम पकाए गए हैं तो उनका आकार छोटा हो सकता है, क्योंकि ऐसे आमों की हार्वेस्टिंग समय से पहले ही कर ली जाती है. इसके अलावा आप अच्छे और खराब आम की पहचान पानी में डालकर भी कर सकते हैं जो आम तुरंत तैर जाता है वो खराब हो सकता है.
असली कार्बाइड और मिलावटी कार्बाइड में मुख्य अंतर यह है कि असली कार्बाइड एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो फलों को पकाने में मदद करती है, जबकि मिलावटी कार्बाइड में अक्सर हानिकारक रसायनों का उपयोग किया जाता है. असली कार्बाइड से पकाए गए फल प्राकृतिक रूप से पके फलों के समान होते हैं, जबकि मिलावटी कार्बाइड से पकाए गए फल जल्दी पक जाते हैं और उनका स्वाद अलग होता है
केले में मिलावट की पहचान :
असली केले का डंठल काला होता है, जबकि कार्बाइड से पके केले का डंठल हरा होता है.
असली केला पानी में डूब जाता है, जबकि कार्बाइड से पका केला पानी में नहीं डूबता है.
असली केला छूने पर नरम होता है, जबकि कार्बाइड से पका केला सख्त होता है.
असली केले का स्वाद मीठा और प्राकृतिक होता है, जबकि कार्बाइड से पके केले का स्वाद फीका और कृत्रिम होता है.
मिलावटी कार्बाइड का उपयोग करने से कई स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं, जैसे कि पेट दर्द, दस्त, उल्टी, सिरदर्द, और चक्कर आना. इसलिए हमेशा सुरक्षित और प्राकृतिक तरीके से पके फलों का सेवन करना चाहिए.
पपीते में वो पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो सेहत के लिए जरूरी है. पपीते में विटामिन ए, विटामिन सी, पोटेशियम, फाइबर, फोलिक एसिड और एंजाइम पेपेन, मैग्नीशियम, फाइबर और एंटी ऑक्सीडेंट जैसे पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं.
पपीता खाने से पाचन में सुधार होता है. कब्ज की समस्या से बच सकते है. आंखों की रोशनी बढ़ाने, इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत करने, ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करके दिल को स्वस्थ रखने और वजन घटाने में मदद मिलती है.
दरअसल बाजार में बेचे जा रहे पपीते कैल्शियम कार्बाइड से पकाए जाते हैं. यह ऐसा केमिकल है जो छोटे फलों को जल्दी पका देता है और इस पर FSSAI ने बैन लगा रखा है. किसान ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में पेड़ पर लगे छोटे-छोटे पपीतों को तोड़कर उन्हें जल्दी पका देते हैं और बेच देते हैं.
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के अनुसार, तरबूज को आधा काटकर उसके लाल भाग को कॉटन बॉल से रगड़ने से पता चल सकता है कि क्या कोई रंग मिलाया गया है. अगर कॉटन बॉल साफ रहता है, तो फल प्राकृतिक है. अगर यह लाल हो जाता है, तो यह कृत्रिम पदार्थों की उपस्थिति का संकेत देता है.
एक और तरीका है तरबूज के एक टुकड़े को सफेद टिश्यू या कागज से रगड़ना. अगर रंग कागज पर चिपक जाता है, तो यह खाने के लिए सुरक्षित नहीं हो सकता है. ( समाप्त )