क्रिकेट मे मैच फिक्सिंग का भ्रस्टाचार.

क्रिकेट की मैच फिक्सिंग क्रिकेट खेल मे फैला भ्रस्टाचार को बया करता है. ये बुकी यांनी सट्टेबाज और क्रिकेट के खिलाड़ियों के बिच अनधिकृत सौदा है. जो हमारे भारत मे मान्य नहीं है.

पहले के जमाने मे पुरे पुरे मैच के

नतीजे को फिक्स किए जाते थे, लेकिन आज के जमाने मे स्पॉट फिक्सिंग होती है. जिससे मनचाही कमाई हो जाती है.

अब पुरी मैच फिक्स करने की जरूरत नहीं पडती, स्पॉट फिक्सिंग का अर्थ है मैच के किसी खास हिस्से को फिक्स कर देना.

सूत्रों की माने तो वर्तमान मे फैंसी फिक्सिंग काफी लोकप्रिय है. इसमें मैच की एक-एक गेंद पर कितने रन बनेंगे, कौन सा बैट्समैन कितने रन बनाएगा, पूरी पारी में कितने रन बनेंगे, इन सब पर सट्टा लगाया जाता है.

फिक्सिंग के आरोप पकडे गये बुकी संजीव चावलाने दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को दिए एक बयान में ऐसा ही कहा है कि बुकी वो व्यक्ति होता है जो किसी मैच पर सट्टा लगवाता है और मैच का रुख अपने पक्ष में करने के लिए खिलाड़ियों को पैसे का लालच देकर उन्हें खरीद लेता है.

कुख्यात बुकी संजीव चावला ने अपने बयान में ये दावा किया है कि जो भी क्रिकेट मैच लोग देखते हैं, उसमें से ज्यादातर फिक्स होते हैं. संजीव चावला के मुताबिक ये ठीक वैसा ही है जैसे कि आप किसी और के द्वारा निर्देशित कोई फिल्म देखते हैं. जिसकी पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी होती है.

कहा जाता है कि बदलते समय के साथ-साथ क्रिकेट की फिक्सिंग भी बदल गई है. इससे जुड़े लोगों को सिर्फ पैसा कमाने से मतलब है, यहीं से स्पॉट फिक्सिंग की शुरुआत होती है.

उदाहरण के तौर पर कोई टीम पहले खेलते हुए अच्छी बल्लेबाजी कर रही है, और उसने बीना खोये विकेट 10 ओवर में 100 रन बनाए हैं. अब जाहिर सी बात है की हर कोई उम्मीद करेगा की ये टीम 20 ओवर में 200 रन का आंकड़ा आराम से पार कर जाएगी.

बुकी यहां सट्टा लगवाते हैं कि क्या खेल रही टीम 200 रन बना लेगी या नहीं. तो जाहिर बात है कि अधिकतर लोग सट्टा लगायेंगे कि टीम 200 रन बना लेगी. यहां अगर स्पॉट फिक्सिंग की गई है तो मैदान में खेल रहे क्रिकेटरों को संदेश भेजा जाता है कि उन्हें अंतिम ओवर तक 200 रन कम रन बनाना है.

नतीजतन बैटिंग कर रही टीम 199 रन का आंकड़ा नहीं पार करती. इस प्रकार एक बढ़िया स्कोर भी बना और बुकी मालामाल भी हो जाता है.

स्पॉट फिक्सिंग में कोई खिलाड़ी बुकी के कहे अनुसार मैच में किसी खास समय में कुछ खास चीजें करता है. मसलन कोई गेंदबाज अपने एक ओवर में जानबूझकर नो बॉल या वाईड बॉल फेंकता है या कोई एक बल्लेबाज किसी एक ओवर में कोई रन नहीं बनाता है या कप्तान मैदान में कुछ ऐसे फैसले लेता है जो पहले से ही फिक्स किए जा चुके हैं.

आईपीएल और स्पॉट फिक्सिंग का मामला पहली बार सन 2012 में सामने आया था जब एक टीवी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में 5 खिलाड़ियों…… टी.पी. सुधीन्द्र, मोहनीश मिश्रा, अमित यादव, शलभ श्रीवास्तव और अभिनव बाली ने स्पॉट फिक्सिंग करने के बदले में पैसे लेने की बात कबूली थी. इसके बाद बीसीसीआई ने सभी को क्रिकेट से प्रतिबंधित कर दिया था.

आपकी जानकारी के लिए, क्रिकेट वर्ल्ड कप में भारत और पाकिस्तान के मैच को पूरी दुनिया में 100 करोड़ से ज्यादा लोग देखते हैं. ये अमेरिका की सबसे मशहूर नेशनल फुटबॉल लीग की वार्षिक चैंपियनशिप को देखने वालों से भी नव गुना ज्यादा संख्या है. इतना ही नहीं भारत और पाकिस्तान का मैच देखने वालों की संख्या मशहूर अमेरिकी सीरियल Game Of Thrones के Final Episode को देखने वालों से भी 52 गुना ज्यादा होती है.

वर्ष 2018 में इंटरनेशनल क्रिकेट कौंसिल यानी ICC द्वारा किए गए एक सर्वे के मुताबिक पूरी दुनिया में क्रिकेट फैन्स की संख्या 100 करोड़ है और इनमें से 90 प्रतिशत यानी 90 करोड़ फैंस भारत या भारतीय उपमहाद्वीप के दूसरे देशों में रहते हैं.

क्रिकेट का खेल ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार के साथ दुनिया के अलग अलग देशों तक पहुंचा और भारत में भी इसकी शुरुआत अंग्रेजों ने ही की थी. यहां तक कि अमेरिका में भी एक जमाने में क्रिकेट खेला जाता था, मगर अमेरिका में ब्रिटिश शासन खत्म होने के बाद वहां पर क्रिकेट से ही मिलता जुलता एक खेल खेला जाने लगा है जिसका नाम है , जैसे बेस बॉल कहा जाता है.

मैच फिक्सिंग के मामले मे CBI सीबीआई की जांच भी हुई थी. और जांच में मोहम्मद अजहरूद्दीन,अजय जडेजा, मनोज प्रभाकर, अजय शर्मा, नयन मोंगिया जैसे बड़े क्रिकेटर्स का नाम आया था. इस पर BCCI की एंटी करेप्शन यूनिट ने भी जांच की थी, जिसके बाद अजहरुद्दीन और अजय शर्मा को दोषी मानकर बोर्ड ने आजीवन प्रतिबंध लगा दिया था.

अजय जडेजा और मनोज प्रभाकर जैसे क्रिकेटर्स पर पांच साल तक का प्रतिबंध लगा दिया था. बाद में इनमें से कई क्रिकेटर अदालतों में भी गए, वहां से इन्होंने अपने लिए राहत भी ली, प्रतिबंध भी हटवाए, BCCI ने भी इन्हें बाद में रियायत दे दी और इनमें से अधिकतर क्रिकेटर धीरे धीरे क्रिकेट की मुख्य धारा में वापस भी आ गए.

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