“अमेरिकन अकादमी ऑफ़ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेस ” द्वारा फिल्म उद्योग के निर्देशकों, कलाकारों, संगीतकार और लेखकों सहित पेशेवरों की काबिलियत को पहचान देने के लिए ऑस्कर पुरुस्कार प्रदान किया जाता है. ऑस्कर अकादमी पुरस्कार को ऑस्कर के नाम से भी पहचाना जाता है.
होनहार प्रतिभाशाली कलाकारों की पहचान करने के उदेश्य को लेकर पहले अकैडमी अवार्ड कार्यक्रम की शुरुवात ता : 16 मई 1929 के दिन हॉलीवुड की ” रोसवैल्ट होटल ” में की गई थी, जो एक प्राइवेट डिनर पार्टी थी. इस समारोह में करीब 270 हस्तियां शामिल हुई थी.
इसका भव्य आयोजन ” अमेरिकन अकादमी ऑफ़ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेस ” द्वारा किया गया था. इस आयोजन की शुरुवात करने का उद्देश्य मोशन पिक्चर इंडस्ट्री के प्रतिभावान कलाकारों को सम्मान देने का था.
पहले ऑस्कर अवार्ड में कुल 12 कैटेगरी थी, जिसमें 2 स्पेशल सम्मान थे. यह अवार्ड उन लोगों को दिया गया था, जिन्होंने 1927-28 में हॉलीवुड में विशेष योगदान दिया था. इस अवार्ड्स कार्यक्रम के विजेताओं के नाम समारोह के 3 महीने पहले ही सबके सामने आ चुके थे. मुख्य समारोह में विजेताओं को ट्रॉफी दी गई थी. अकैडमी अवार्ड के पहले प्रेसिडेंट “डगलस फेयरबैंक्स” थे.
सन 1930 में आयोजित ऑस्कर अवार्ड को पहली बार रेडियो के द्वारा आम जनता तक पहुँचाया गया था. सन 1953 में रेडियो की जगह टेलीविजन ने ली थी. और पहली बार इस अवार्ड समारोह को टीवी पर टेलीकास्ट किया गया था .
वर्तमान मे ऑस्कर अवार्ड का प्रसारण 200 से भी ज्यादा देशों में लाइव होता है. जब ऑस्कर अवार्ड की शुरुवात हुई थी तब उसका रिजल्ट 3 महीने पहले मीडिया में आ गया था, लेकिन इसके दुसरे समारोह में इसका बदलाव किया गया था, और समारोह के दिन रात को 11 बजे समाचार पत्र में छपने के लिए लिस्ट दे दी जाती थी.
मगर हुआ यह की इस कानून को “लॉसएंजिल्स टाइम्स” ने तोड़ दिया और समारोह शुरू होने से पहले ही विजेताओं की सूचि पेपर में छाप दी थी. इसके बाद 1941 से बंद लिफाफे का उपयोग किया जाता है, जो समारोह के समय ही खोले जाते है.
ऑस्कर ट्रॉफी की डिजाइन एम जी एम आर्ट के डायरेक्टर केडरिक गिब्बंस ने योद्धा की तलवार लिए हुए फिल्म रील पर खड़े एक शूरवीर की प्रतिमा के रूपमें की थी.
इस ट्रॉफी के डिजाइन को लॉस एंजिल्स के एक मूर्तिकार जॉर्ज स्टेनले ने इसे त्रिआयामी रूप में ढाला था.यह मूर्ति 13.5 इंच लंबी है और इसका कुल वजन साढ़े आठ पाउंड या 3.85 किग्रा है. सन 1929 में पहले ऑस्कर अवार्ड के दौरान 2701 ट्रॉफियाँ दी गईं थी.
ऑस्कर पहला पुरुस्कार एमिल जेनिंग्स को दिया गया था और ताजुब की बात ये थी की ये पुरस्कार उन्हें समारोह से कई दिन पहले ही मिल गया था. आज कल कलाकारों को एक ही फिल्म के लिए अवार्ड दिया जाता है , लेकिन उन्हें दो फिल्मों के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला था. ये दो फ़िल्में थीं, ” द लास्ट कमांड ” और ” द वे ऑफ़ ऑल फ्लेश “.
भारत की ” बॉलीवुड ” फ़िल्म को अबतक सिर्फ पांच भारतीयों को ही ऑस्कर अवार्ड से मिला है. ऑस्कर का पुरुस्कार जीत के भारत का नाम रोशन करने वाले भारतीय :
(1) भानु अथैया :
भारत की प्रथम ऑस्कर पुरस्कार विजेता भानु अथैया थी जिन्होंने फिल्म “गांधी” के लिए सर्वश्रेष्ठ कॉस्ट्यूम डिज़ाइन का पुरस्कार जीता था. भानु अथैया 1983 की फिल्म का हिस्सा थी, जिसने सर्वश्रेष्ठ फिल्म पुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार सहित पांच अन्य ऑस्कर जीते थे.
(2) सत्यजीत रे :
सन 1991 में देश के सुप्रसिद्ध फिल्ममेकर सत्यजीत रे ऑस्कर अवार्ड पुरुस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्हें “ऑनरेरी लाइफटाइम अचीवमेंट” का ऑस्कर अवार्ड मिला था. हालांकि इस अवार्ड को लेने के लिए वह ऑस्कर के आयोजन में शामिल नहीं हो पाए थे. बाद अवार्ड को उनके पास कोलकाता भिजवाया गया था. ये अवार्ड सत्यजीत को सिनेमा अमुल्य योगदान देने के लिए दिया गया था.
(3) रेसुल पोकुट्टी :
फिल्म “स्लमडॉग मिलियनेयर” के लिए ही रेसुल पोक्कुट्टी को ऑस्कर अवॉर्ड प्रदान किया गया था. उन्हें यह पुरस्कार “बेस्ट साउंड मिक्सिंग”कैटेगरी में दिया गया था. फिल्म ने तीन ऑस्कर अवार्ड जीते थे. इस फिल्म में देव पटेल, फ्रीडा पिंटो, महेश मांजरेकर , इरफान खान, तथा अनिल कपूर, और सौरभ शुक्ला जैसे बेहतरीन अदाकार थे.
(4) ऐ. आर. रहमान :
प्रसिद्ध भारतीय संगीतकार श्री ऐ.आर.रहमान ने सन 2009 में ऑस्कर जीता था. उनको यह पुरुष्कार फिल्म
” स्लम डॉग मिलेनियर ” के लिए प्रदान किया गया था. उनको ऑस्कर का दो आवार्ड एक साथ मिले थे. इस फिल्म में ऐ आर रहमान ने “जय हो” गाना गाया था.
(5) गुलजार :
सन 2009 में ऐ आर रहमान के बाद भारतीय प्रसिद्ध शायर, फ़िल्म निर्देशक, संगीतकार और लेखक गुलजार को “स्लम डॉग मिलिनियर” के गाने “जय हो” के लिरिक्स के लिए ऑस्कर दिया गया था.
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