दूरिया को नजदिक करने वाला दूरबीन.

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आप लोगोंने दूरबीन के बारेमें तो अवश्य सुना होगा. दूरबीन दूर की वस्तु को नजदिक लाकर साफ सुथरा करके हमें दिखाती हैं. रात के आसमान में वस्तुओं को देखने में समस्या यह है कि वे बहुत दूर होती हैं और इसलिए धुंधली दिखाई देती हैं. दूरबीन से जितना ज़्यादा प्रकाश एकत्र किया जा सकता है, हम इन वस्तुओं को उतना ही बेहतर देख सकते हैं. दूरबीन की प्रकाश एकत्र करने की क्षमता उसके व्यास के ऊपर निर्धारित होती है, जिसे उसका एपर्चर भी कहा जाता है.

दूरबीन में दो लेंसों में से एक उत्तल लेंस अवश्य होना चाहिए, क्योंकि उत्तल लेंस का उपयोग प्रकाश के मार्ग को मोड़कर वस्तुओं को बड़ा करने के लिए किया जाता है. यद्यपि गैलीलियो इन खोजों के लिए प्रसिद्ध हुए, लेकिन वास्तव में यह अंग्रेज खगोलशास्त्री थॉमस हैरियट थे जिन्होंने तारीख 26 जुलाई 1609 को पहली बार अपने दूरबीन अवलोकन से चंद्रमा का चित्र बनाया था.

दूरबीन का मुख्य उद्देश्य प्रकाश को इकट्ठा करना है. अधिक प्रकाश इकट्ठा करके, दूरबीन तारों, आकाश गंगाओं और ग्रहों जैसी खगोलीय वस्तुओं को अधिक चमकदार, स्पष्ट और दृष्टिगत रूप से देखने या छवि बनाने में आसान बनाती है. ये आपको मुख्य नक्षत्रों की पहचान करने और चमकीले सितारों का पता लगाने में मदद कर सकती हैं. रात के आकाश को जानने से आपके टेलीस्कोप या दूरबीन से विशेष वस्तुओं को ढूंढना बहुत आसान हो जाता हैं. यदि आप दूरबीन का उपयोग करने के बाद खगोल विज्ञान में रूचि रखते हैं, तो दूरबीन खरीदने पर अवश्य विचार करे.

ऑप्टिकल दूरबीनों के तीन मुख्य प्रकार हैं और ये प्रकाश को एकत्रित कर छवि बनाने के तरीके में भिन्न होते हैं :

अपवर्तक दूरबीनें :

दूरबीनों का पहला प्रकार थीं और उनके आविष्कार का श्रेय 1608 में एक डच लेंस निर्माता, हैंस लिपरशी को दिया जाता है. उनके एक छोर पर एक घुमावदार लेंस होता है जो प्रकाश को एक लंबी ट्यूब के नीचे दूसरे लेंस की ओर केंद्रित करता है, जिसे ऐपिस कहा जाता है, जो छवि को बड़ा करता है. खगोलशास्त्री, गैलीलियो, दूरबीन से रात के आकाश का निरीक्षण करने वाले पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने चंद्रमा पर क्रेटर, शनि के छल्ले और बृहस्पति के चार सबसे बड़े चंद्रमाओं आयो, यूरोपा, गेनीमेड और कैलिस्टो की खोज की.

परावर्तक दूरबीनें :

कभी-कभी उनके आविष्कारक आइज़ैक न्यूटन के नाम पर न्यूटोनियन दूरबीन कहा जाता है, जिन्होंने 1668 में पहली बार एक दूरबीन बनाई थी. वे ऐपिस की ओर प्रकाश को इकट्ठा करने और फ़ोकस करने के लिए दर्पण का उपयोग करते हैं. दर्पण लेंस की तुलना में हल्के होते हैं और उन्हें चिकनी और सही सतह में आकार देना भी आसान होता है. यदि दूरबीन के प्रकाशिकी (जैसे दर्पण या लेंस) में कोई दोष है, तो बनाई गई छवि विकृत या आउट ऑफ फ़ोकस और धुंधली दिखाई देगी.

कैटाडियोप्ट्रिक दूरबीनें :

का आविष्कार 1930 के दशक में हुआ था और ये दूरबीनों का सबसे आधुनिक डिज़ाइन है. वे ऐपिस की ओर प्रकाश को केंद्रित करने के लिए लेंस और दर्पण दोनों को जोड़ते हैं. ये दूरबीनें आम तौर पर छोटी और छोटी होती हैं और यह कॉम्पैक्ट डिज़ाइन उन्हें परिवहन और संभालना आसान बनाता है. प्रकाशिकी (जैसे लेंस और दर्पण) की व्यवस्था प्रकाश को अपने आप में ‘फोल्ड’ कर सकती है, जिससे पारंपरिक दूरबीनों की तरह लंबी दूरबीन ट्यूब की पूरी लंबाई तय किए बिना इसे फ़ोकस में लाया जा सकता है. *84

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इतिहास :

मोलिन्यूक्स ने अपनी पुस्तक “डिऑप्ट्रिका नोवा” में लिखा है कि रॉजर बेकन को, जिसकी मृत्यु सन् 1295 में हुई थी, दूरबीन और खुर्दबीन का सैद्धांतिक ज्ञान था, लेकिन दूरदर्शी का सर्वप्रथम निर्माण सन् 1608 के लगभग हॉलैंड निवासी हैंसलिपरशे (Hanslippershey) नामक व्यक्ति ने किया था.

इसके बाद में क्रमश: गैलिलिओ, केपलर, हाइगेंज़, ब्रैडले, ग्रेगरी और न्यूटन आदि ने दूरदर्शी का व्यवस्थित यंत्र के रूप में विकास किया. दूरबीन के विकास में गैलिलिओ का महत्वपूर्ण योगदान है. गैलिलिओ ने अपने दूरदर्शी की सहायता से संसार को यह बता दिया है कि कोपर्निकस की सूर्यकेंद्रीय (heliocentric) ज्योतिर्व्यवस्था सत्य है और टालिमी की भूकेंद्रीय व्यवस्था अशुद्ध है.

दूरबीन के आविष्कार का श्रेय हालैंड के हैंस लिपर्शे (Hans Lippershey) नामक एक ऐनकसाज को दिया जाता है. लिपर्शे ने दूरबीन का आविष्कार किसी विशेष वैज्ञानिक उद्देश्य या प्रयास से नहीं किया था, बल्कि यह एक आकस्मिक घटना का परिणाम था. घटना इस प्रकार है कि वर्ष 1608 में एक दिन हैंस कांच के दो लैंसों की सहायता से सामने सड़क पर जा रही एक लड़की के खूबसूरत चेहरे को देखने का प्रयास कर रहा था.

उसने संयोग से दोनों लैंसों को एक-दूसरे के समांतर सही दूरी पर रखने पर यह देखा कि लड़की का खूबसूरत चेहरा और भी अधिक सुंदर दिखाई देता है तथा इससे दूर स्थित वस्तुएं भी अत्यधिक स्पष्ट दिखाई देती हैं. इस घटना से प्रभावित होकर हैंस ने दो लैंसों के संयोजन से एक खिलौना बनाया, जिसे आजकल दूरबीन कहते हैं.

वास्तविकता में हैंस ने कभी भी इस खिलौने का उपयोग खगोलीय प्रेक्षण एवं अन्वेषण में नहीं किया, बल्कि वह अपने दूरबीन का उपयोग अपने ग्राहकों को चमत्कार करके दिखाने में करता था. हैंस के दूरबीन को सैनिकों एवं नाविकों ने अपने लिए उपयोगी पाया इसलिए दूरबीन का प्रथम उपयोग सैनिकों, जासूसों एवं नाविकों ने किया. एक अन्य प्रतिस्पर्धी रियाश जैन्सन के द्वारा दूरबीन के आविष्कार का दावा करने के कारण सरकार ने हैंस लिपर्शे को कभी भी दूरबीन के आविष्कार का श्रेय यानी पेटेंट नहीं दिया.

इसीलिए हम यह कह सकतें हैं कि हैंस द्वारा अविष्कृत दूरबीन अत्यंत साधारण थी, परन्तु इसे विश्व का प्रथम दूरबीन कहा जा सकता है.

M22 उच्च-गुणवत्ता वाला रिज़ॉल्यूशन और आवर्धन प्रदान करता है और यह सेना की मानक दूरबीन है.7.40 इंच लंबी, 8.20 इंच चौड़ी, 7.19 इंच ऊँची और 2.7 पाउंड वज़नी, M22 दूरबीन को सेना की “फ़ील्ड दूरबीन” के रूप में जाना जाता है. सेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले स्कोप और जिस सीमा पर इसका उपयोग किया जाना है, उसके आधार पर कई अलग-अलग रेटिकल का उपयोग किया जाता है. पर मानक रेटिकल मिल-डॉट रेटिकल है.

दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे शक्तिशाली अंतरिक्ष दूरबीन ता : 25 दिसंबर, 2021 को पहले तारों और आकाश गंगा से प्रकाश के संकेतों का पता लगाने के लिए रॉकेट से प्रक्षेपित हुआ. नासा का जेम्स वेब स्पेस टेली स्कोप दक्षिण अमेरिका के उत्तरपूर्वी तट पर फ्रेंच गुयाना से एक यूरोपीय एरियन रॉकेट पर सवार करके प्रक्षेपित किया गया था.

स्पिट्जर अंतरिक्ष दूरबीन :

नासा का स्पिट्जर पहला टेलिस्कोप था जिसने किसी एक्सोप्लैनेट या हमारे सौर मंडल के बाहर के किसी ग्रह से आने वाले प्रकाश का पता लगाया था. स्पिट्जर क्षुद्रग्रहों, धूमकेतुओं, ग्रहों और दूर की आकाश गंगाओं का अध्ययन करने के लिए एक अति-संवेदनशील अवरक्त दूरबीन का उपयोग करता है.

सन 2009 में, स्पित्जर ने शनि ग्रह का एक वलय खोजा था, जो एक पतली, महीन संरचना थी, जिसका व्यास इस गैस विशाल ग्रह के व्यास से 300 गुना अधिक था. स्स्पित्जर ने गैसीय बाह्यग्रह की सतह पर तापमान में होने वाले परिवर्तनों का पहला बाह्यग्रह मौसम मानचित्र बनाया था.

सन 2006 में रितिक रोशन की मूवी रिलीज हुई थी. इसमें एक एलियन को दिखाया गया था, जिसका नाम जादू था. इस फिल्म के रिलीज होने के बाद भारत के बच्चों में एलियंस की दुनिया को लेकर उत्सुकता पैदा हो गई थी. दुनियाभर में एलियंस होने का दावा होता रहता है. कुछ जगहों पर UFO आने की बातें भी सामने आईं, लेकिन ये कभी सच साबित नहीं हो पाईं. फिर भी एलियंस में रुचि रखने वाले लोगों के लिए खुशखबरी है. NASA ने एलियंस के बारे में पता लगाने के लिए बड़ा कदम बढ़ाया है.

एलियन हंटिंग टेलीस्कोप :

नासा ने एक ऐसी दूरबीन डवलप कर ली है, जिसे एलियन हंटिंग टेलीस्कोप भी कहा जा रहा है. वैसे इसका नाम हैबिटेबल वर्ल्ड ऑब्जर्वेटरी (HWO) रखा गया है. NASA का कहना है इस टेलीस्कोप के जरिये 2050 तक ऐसे ग्रह को खोज करेंगे, जहां जीवन संभव हो. यानी ऐसा ग्रह जहां एलियंस रहते हैं.

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