देशोंके दुतावास और राजदूत| Ambassador

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विश्व” में ज्यादातर देश एक दूसरे से प्रेमभाव व सद्भावना बनाये रखने के लिए अपना एक व्यक्ति एक- दूसरे देश में नियुक्त करते है. जिसके द्वारा एक देश की आधिकारिक सूचना दूसरे देश में भेजी जाती है. उस व्यक्ति को ही राजदूत (Ambassador) कहते है.

प्राचीन काल में एक राजा के द्वारा दूसरे राज्य के राजा को सन्देश पहुंचाने वाले व्यक्ति को राजदूत कहा जाता था. वर्तमान समय में राजदूत का कार्य वही है, लेकिन इसके स्वरूप में बहुत कुछ परिवर्तन हुआ है.

देश द्वारा नियुक्त किया गया राजदूत अपने देश का प्रतिनिधित्व अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन अथवा अंतर्राष्ट्रीय संस्था में करते है. पूर्व समय में रोम, चीन, यूनान और भारत आदि कई देशों में एक राज्य से दूसरे राज्य में सन्देश भेजने के लिए राजदूत का उपयोग किया जाता है.

वर्तमान समय में अंतर्राष्ट्रीय विधि का प्रचलन है. इसमें प्रत्येक स्वतंत्र देश अपना राजदूत दूसरे देश में नियुक्त करता है, जिससे दोनों देशों के बीच आधिकारिक सूचनाओं का आदान- प्रदान किया जा सके.

वर्तमान मे एक देश के नागरिक दूसरे देश में रोजगार के लिए जाते है, दूसरे देश में जाने के बाद वहां का दूतावास ही अपने नागरिकों के हितों की रक्षा करता है. वह मेजबान देश में अपने देश के नागरिकों के हित की रक्षा करता है. और किसी प्रकार की दुर्घटना घटित होने पर दूतावास के माध्यम से सहायता को अपने देश से मांगवाता है. राजदूत ही अपने देश की सरकार के निर्देश पर मेजबान देश के साथ संधिवार्ता करता है.

राजदूत मेजबान देश में वाणिज्यिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक गतिविधियों पर नजर बनाये रखता है और इसकी सूचना अपने देश को भेजता है. एक राजदूत का मुख्य कार्य मेजबान देश के साथ मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों को बढ़ावा देना है.

राजदूत कार्यालय के द्वारा ही अपने नागरिक को पासपोर्ट, वीजा तथा अन्य यात्रा-सम्बन्धी प्रपत्र जारी किये जाते है.

दुतावास किसे कहा जाता है? :

प्रत्येक देश में एक दूतावास का निर्माण किया जाता है. जिसके अंदर राजदूत से सम्बंधित सभी कार्य पूर्ण किये जाते है. इस दूतावास के अंदर सेना को नहीं भेजा जा सकता.

यदि दो देशों के बीच तनाव बढ़ता है और टकराव की नौबत आ जाती है तो भी दूतावास और वहां के रहने वाले लोग सुरक्षित रहते हैं. आमतौर पर ये माना जाता है कि उन्हें डिप्लोमेटिक इम्युनिटी मिली हुई है. ये इम्युनिटी एक तरह का रक्षा कवच होता है जो एंबेसी में काम करने वालों को सुरक्षा देता है.

सन 1961 में हुए विएना कंवेंशन ऑन डिप्लोमेटिक रिलेशन्स में ये खास तय हुआ था कि डिप्लोमेट को खास अधिकार मिलेंगे ताकि वे जिस देश में रह रहे हों, वहां सेफ रह सकें. देशों के बीच तनाव बढ़ने पर इन्हें सबसे पहले सुरक्षित निकाला जाता है.

मगर खतरा तब बनता है, जब कभी दूतावास में रह रहे लोग जासूसी के आरोप में पकड़े गए तो होस्ट कंट्री उनपर मुकदमा भी कर सकती है. या फिर दूतावास बंद करवा सकती है.

अमेरिका के ह्यूस्टन में यही हुआ था. अमेरिकी सरकार का आरोप है कि चीन के दूतावास के लोग जासूसी कर रहे थे. साथ ही बौद्धिक संपदा यानी अमोरिकी रिसर्च की चोरी में सामिल थे. इसी पर भड़के हुए अमेरिका ने चीन का दूतावास तुरंत खाली करवा दिया और इमारत अपने कब्जे में ले ली थी.

विदेश के राजदूत बनने के लिए न्यूनतम उम्र सीमा 21 वर्ष रखी गई है. आरक्षण के नियमों के आधार पर अधिकतम उम्र सीमा में कुछ छूट भी प्रदान की जाती है. भारतीय राजदूत बनने के लिए स्नातक होना जरूरी है.

इस पद में पावर के साथ साथ सामाजिक प्रतिष्ठा भी बहुत मिलती है. मान लीजिए कि आपको अमेरिका में भारत का राजदूत बना दिया जाता है तो उस देश में रहने वाले भारतीयों की समस्याओं को समाधान करने की संपूर्ण जिम्मेदारी आपकी होगी.आपके साथ एक बहुत बड़ी टीम भी भेजी जाती है.

राजदूत को कई सुविधाएं दी जाती है. राजदूत को एक बंगला प्रदान किया जाता है. साथ ही नौकर चाकर दिए जाते है. विदेशी भत्ते प्रदान किए जाते है. वीआईपी सुरक्षा प्रदान की जाती है. वीआईपी पासपोर्ट प्रदान किया जाता है. अपकी फैमिली के लिए निशुल्क चिकत्सा एवं बच्चो के लिए विदेशों में निशुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है.

राजदूत को दो प्रकार की सैलरी प्रदान की जाती है :

(1) अपना देश.

(2) अन्य देश.

अपने खुद के देशमें राजदूत को अन्य अधिकारियों जैसे कि IAS या IPS के जितनी सैलरी प्रदान की जाती है. जब राजदूत किसी अन्य देश जाते हैं तो उनकी सैलरी 3 से 10 गुना तक बढ़ जाती है.

राजदूत को शुरुआत में पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, ईराक इस तरीके के देशों में भेजा जाता है. राजदूतों को सीनियर होनेपर अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, स्वीटजरलैंड जैसे अन्य विकसित देशों में भेजा जाता है.

यदि राजदूत का वेतन भारत में एक लाख है तो पाकिस्तानी और ईराक जैसे देशों में उसका वेतन 3 लाख होता है. लेकिन यदि उन्हें अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश भेजे जाते हैं तो उनका वेतन 5 से 10 लाख तक हो जाता है

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