नमक सत्याग्रह. ( दांडी कूच ) Namak Satyagrah

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       नमक सत्याग्रह महात्मा गांधीजी द्वारा चलाये गये प्रमुख आंदोलनों मे से एक था. सन 1930 मे महात्मा गांधीजी ने अंग्रेज सरकार द्वारा लगाये गये कर ( tax ) के विरोध मे यह आंदोलन चलाया गया था. ब्रिटिश सरकार हुकूमत ने नमक के उपर कर लगाकर अपना एकाधिकार स्थापित करके रखा था. भारतियों को इंगलैंड से आनेवाले नमक के लिए ज्यादा पैसे देने होते थे. 

       ब्रिटिशरो के इस निर्दयी कानून के खिलाफ गांधीजी के नेतृत्व में हुए दांडी यात्रा में शामिल लोगों ने समुद्र के पानी से नमक बनाने की शपथ ली थी. शुरुआती दौर मे यह पद यात्रा ता :12 मार्च 1930 के दिन महात्मा श्री गांधीजी के नेतृत्व मे अमदावाद के साबरमती आश्रम से शुरू होकर 240 मिल अर्थात करीब 384 किलोमीटर की दुरी पर नवसारी स्थित एक छोटे गांव दांडी तक पहुंची थी. जहां उन्होंने सार्वजनिक रूप से नमक बना कर नमक कानून तोड़ा था. 

       श्री महात्मा गांधी जी अपने 80 अनुयायी स्वयं सेवक ओके साथ साबरमती आश्रम से 24 दिन की पदयात्रा के बाद दांडी पहुचे थे उस वक्त वेब मिलर भी साथ थे . 80 अनुयायी के साथ अमदावाद से शुरू हुई इस पद यात्रा मे आगे लोग जुड़ते चले गये और दांडी गांव पहुंचने तक इस अहिंसक सत्याग्रह मे करीब 50 हजार से ज्यादा लोग जुड़ चुके थे. 

         उन दिनों अंग्रेज हकूमत थी. किसी भी भारतीयों को नमक जमा करने या बेचनेपर प्रतिबंध था. इसमे अंग्रेजो की मोनोपोली थी. भारतीयों को नमक अंग्रेजो से खरीदना पड़ता था. और उसपर वो लोग तगड़ा कर वसूल करते थे. इसीलिए महात्मा गांधीजी ने अत्याचार के खिलाफ दांडी कूच करके जन आंदोलन किया था. 

       नमक सत्याग्रह पूर्ण अहिंसक और शांति पूर्ण था. लोगों को अपना हक अधिकार प्रदान करने के लिये किया गया था. उसके बाद कई लोगोने नमक बनाया और ब्रिटिश शासन को सोचनेपर मजबूर होने पड़ा. इससे स्वतंत्रता की लड़ाई को संबल और नयी दिशा मिली. 

         इस आयोजन के बाद कई सत्याग्रहियों को अंग्रेजो की लाठीया खाई थी. इस आंदोलन में गांधीजी सहित सी राज गोपालाचारी, पंडित जवाहर लाल नहेरु आदि कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था. ये आंदोलन पूरे एक साल तक चला और 1931 को गांधीजी और इर्विन के बीच हुए समझौते से खत्म हो गया था. 

       शुरू मे कुछ लोगोने नमक सत्याग्रह का कड़ा विरोध किया था मगर देशभर से इसका स्वागत होनेसे सबको स्वीकार करना पड़ा था. इस आंदोलन के बाद पुरा देश एकजुट हो गया था. महात्मा गांधी नमक आंदोलन के जरिये अंग्रेजो का मनोबल तोड़ रहा था तो दूसरी और भगत सिंह जैसे युवा नेता ने अंग्रेजो को हिलाकर रख दीया था अतः आजादी का मार्ग खुल रहा था. 

         गांधीजीने ता : 6 अप्रैल 1930 को सुबह 6:30 बजे नमक कानून तोड़ा था. तब उनके दूसरे पुत्र मणिलाल गांधी उनके साथ थे. दांडी में नमक बनाने के बाद, गांधी तट के साथ दक्षिण की ओर बढ़ते गये. रास्ते में नमक बनाते और कई सभाओं को संबोधित करते रहे. तब कांग्रेस पार्टी ने दांडी से 25 मील दक्षिण में धारासना नमक वर्क्स में एक सत्याग्रह करने की योजना बनाई मगर गांधीजी को धारासना में नियोजित कार्रवाई से कुछ दिन पहले 4, 5 मई 1930 की आधी रात को गिरफ्तार कर लिया गया. सत्याग्रह को अख़बार और न्यूज़रील कवरेज ने स्वतंत्रता आंदोलन पर दुनिया भर का ध्यान आकर्षित किया. तब तक नमक सत्याग्रह के करीब 60000 से अधिक भारतीयों को जेल में डाल दिया गया था. 

         नमक सत्याग्रहियों की याद मे दांडी ( गुजरात ) स्थित 

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राष्ट्रीय नमक सत्याग्रह स्मारक बनाया गया है जो 15 एकड़ मे फैला हुआ है. ये दांडी मेमोरियल में एक स्मारक है, जहां 6 मार्च 1930 को नमक मार्च समाप्त हुआ और समुद्र के पानी को उबालकर नमक का उत्पादन करके ब्रिटिश नमक एकाधिकार को तोड़ दिया गया था.

     इस स्मारक में 80 लोगों की मूर्तियां लगी हैं. जो दांडी मार्च के मुख्य साथी थे. मूर्तियां बनाने में 42 मूर्तिकार लगे थे, जिनमें से 9 मूर्तिकार अलग देशों से आए थे. ये मूर्तियां सिलिकॉन ब्रांज की बनी हैं. गांधी की मूर्ति पांच मीटर ऊंची है. जिसके हाथ में एक छड़ी है. 91 वर्षीय मूर्तिकार श्री सदाशिव साठे की ये आखिरी कृति थी. इन्होंने ही गांधी की पहली मूर्ति भी बनाई थी. जो दिल्ली के टाउन हॉल पार्क में लगी है.

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