पुराने भाईंदर गांव की बीती हुई यादे | Part VI

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” मिरा भाईंदर का विकास पुरुष “

श्री पुरुषोत्तम लाल बिहारीलाल चतुर्वेदी

” लाल साहब ” ऊर्फ ” गुरुजी.”

प्रधान संपादक : भाईंदर भूमि समाचार

चतुर्वेदी ब्राह्मण परिवार मे जन्मे श्री पुरुषोत्तम लाल जी की जन्मभूमि भले मथुरा रही हो, मगर उनका कर्मभूमि क्षेत्र भाईंदर रहा है.

आज आप लोग जो भाईंदर का सर्वांगीण विकास देख रहे हो उसका प्रमुख शिल्पकार लाल साहब है. उन्होंने

जब पत्रकारिता शुरु की तब भाईंदर के लोग पानी की एक एक बूंद के लिए तरसते थे. महिलाएं दहिसर , बोरीवली से पानी लाती थी. उनके आंशु ओको पोछने वाला कोई नही था.

जनता की परेशानी और दुःख दर्द को देखकर उनका मन व्यथित हो गया.

भाईंदर डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन की स्थापना की. स्थानीय वरिष्ठ अधिकारी ओसे पत्र व्यवहार किया मगर सब बेकार. शासन – प्रशासन को अनेक पत्र लिखने के बाद भी जब काम नही बना तो असंगठित जनता को जागृत करने ता : 1 जनवरी 1986 के दिन उन्होंने

” भाईंदर भूमि ” हिंदी समाचार पत्र का प्रकाशन करना प्रारंभ किया.

स्थानीय गुंडा तत्वों ने पशुबल से पत्र को कुचलने की तमाम कोशिश की मगर पाषाण हृदय के निडर पत्रकार ने सर पर कफन बांधकर मुस्तैदी से उन सभी लोगों का सामना किया.

आपने क्षेत्रीय समाचारो को जन जन तक पहुंचाया. फलस्वरुप अनेको नवोदित पत्रकार प्रकाश में आये, समय समय पर रोड की दुर्दशा, अनियोजित गटर, लाइट, अनधिकृत बांधकाम अवं पानी की समस्या को उजागर करते रहे.

वरिष्ठ पत्रकार श्री पुरुषोत्तम लाल चतुर्वेदी ने एम. कॉम करने के बाद बेचलर ऑफ़ एजुकेशन (बी.एड ) की शैक्षणिक पदवी हासिल की है. कॉलेज जीवन मे रहते हुए आपने “ब्रज ज्योति” नामक साप्ताहिक प्रकाशित किया. उस वक्त बी. एड कॉलेज मे छात्र नेता रहे.

मुंबई आनेके बाद आपने जूनियर कॉलेज मे तीन साल तक लेक्चरार के रूपमें सेवा की. मुंबई दादर मे आपने मार्सेल वॉलपेपर का स्वपना साकार किया. बना बनाया धंदा छोड़कर सोना चांदी व्यापार मे नसीब आजमाया. पर भाईंदर की जनसमस्यायो को देखते
अच्छा खासा सोना चांदी का कमाई वाला धंदा छोड़कर समाज सेवा के कार्य मे सामिल हो गये.

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भाईंदर की विकरार पानी समस्या को देखते मा को वचन दीया की भाईंदर मे जब तक पर्याप्त पानी नहीं मिलेगा तब तक दाढ़ी बाल नहीं निकालूंगा. और ये मिशन 14 साल वनवास की तरह 14 साल लंबा चला. बढ़ते दाढ़ी बाल को देखते लोगो ने लाल साहब ( गुरुजी ) को पानी वाली दाढ़ी के नामसे संबोधित करना शुरू किया.

वरिष्ठ पत्रकार श्री पुरुषोत्तम लाल बिहारी लाल चतुर्वेदी जी ने ” भाईंदर भूमि ” के माध्यम से भाईंदर शहर की असंगठित जनता को एक सूत्र मे बांधनेका भगीरथ कार्य किया. यहांकी राजकीय, सामाजिक, शैक्षणिक, और सांस्कृतिक संस्था ओ की गतिविधियों से जनता को अवगत कराया. उभरते लेखक, कवि, पत्रकारों तथा समाज सेवकों को ” भाईंदर भूमि “का सशक्त मंच प्रदान किया.

असंगठित जनता की दबी हुई आवाज को बुलंदी देकर तथा स्थानीय भ्रस्टाचार को महाराष्ट्र के शासन तक पंहुचा कर, विकास कार्यो को गति बक्षी और यहां पर जन समस्या का समाधान होते नजर आया.

सन 2003 मे आपने, भाईंदर मे ” एकमत ” ट्रस्ट की स्थापना की. भाईंदर पूर्व जेसलपार्क खाडी स्थित विगत नव साल, पर्यावरण की रक्षा, विश्व का कल्याण, नयी पीढ़ी को हमारे धर्म ग्रंथ रामायण से अवगत कराने तथा यज्ञ से वातावरण की शुद्धि के लिये रामलीला और दस दिवसीय लक्षचंडी महायज्ञ एवं दसहरा मेला का भव्य आयोजन करते रहे , मगर गंदी राजनीत को चलतें 2013 मे इसे बंद कर दीया गया.

32 साल पहले आपने यहां एक सुंदर शहर की कल्पना की थी. जो आज मिरा भाईंदर महा नगर पालिका के रूपमें साकार होती नजर आ रही है. आगामी वर्षो मे जैसे मेट्रो का आगमन हो जायेगा. यहां जलमार्ग सेवा शुरू हो जायेगी, तब मिरा भाईंदर क्षेत्र मेघा सिटी के रूपमें उभरता नजर आएगा, सभीको उस दिनका इन्तेजार है.

लाल साहब कांग्रेस के राष्ट्र समर्पित कार्यकर्त्ता रहे. आप संजय गांधी राष्ट्रीय मोर्चा के मुंबई प्रदेश के उपाध्यक्ष रह चुके है. अमेठी मे संजय गांधी की जीत के लिये साथ मे घूमकर गुरूजी ने प्रचार कार्य मे प्रमुख भूमिका निभाई थी. मेनका गांधी से गुरूजी का राजनीतिक रिस्ता रहा है.

आप कृष्ण भूमि मथुरा के प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार से है. आपके दादा जी महाराज दरभंगा (बिहार) के पुरोहित थे. राज्य का कोष भी संभालते थे. जब गुरुजी के पिता जी की उम्र लगभग तीन साल की थी तभी दादाजी का निधन हो गया अतः गुरुजी ने उन्हें नहीं देखा. वे मथुरा में राजशाही ठाट-बाट से रहते थे.

आपने एक बार ठाणे जिलाधिकारी के कार्यालय मे जिलाधिकारी को जन हित मे चप्पल मारने की कोशिश की थी मगर तब आजुबाजु मे बैठे लोगोने रोक दीया था. यदि पुलिस केस बनता तो पत्रकार के नाते सुबह की सनसनी खेज न्यूज़ बन जाती थी, अतः बे ईज्जती से बचने के लिये जिलाधिकारी ने स्वतः पूरी विगत माफ करके दबा दी थी.

लाल साहब एक निडर, क्रन्तिकारी, निर्भीक पत्रकार है. उनकी संपादकी काबिले तारीफ होती है, इसीलिए तो आपको पाठक वर्ग, ” संपादकीय का शहंशाह ” कहते है.

पत्र के प्रारंभ मे पत्र को कुचलने के लिए गुरूजी के उपर जूठे मुकदमे कीये गये, अपहरण की ना कामियाब कोशिश की गई. यहां तक की पेशेवर सुपारी लेने वाले गुंडे मोवाली को सुपारी देकर जान से मारने की कोशिश की गयी, मगर ” जाको राखे साईया मार सके ना कोई, बाल ना बाक़ा कर सके जो जग बेरी होय. ” जब गुरुजी की उनको असलियत, वास्तविकता मालूम पड़ी तो पेशेवर किलर भी पिगल गये और उन्होंने गुरुजी की माफ़ी मांग ली.

और शरणागति स्वीकार ली.

असंतुस्ट भ्रस्टाचारीयों द्वारा स्टॉल से भाईंदर भूमि पत्र की प्रकाशित प्रत खरीदकर जला दी जाती थी, ताकि न्यूज़ लोगों मे ज्यादा नहीं फैले. नगर पालिका की जाहिरात बंद कर दी गई, लोकल पालिका के विज्ञापन बंद कर दिए. मगर ठाणे माहिती कार्यालय- ठाणे से सरकारी विज्ञापन मिलते रहे.

एक एक रुपये के लिये मोहताज बना दीया गया. यहां तक की पेपर की रद्दी बेचकर नया पेपर खरीदकर पत्र का प्रकाशन जारी रखना पड़ा. ये गुरुजी की आम जनता के लिये तपस्चर्या थी.

उनके विश्वसनीय साथी को धन की लालच देकर फोडनेकी कोशिश की. नही माने तो जान से मारने की धमकी दी. मुजे अश्रुभरी आंखोसे लिखना पड रहा है की फिर भी इस कलम के कसबी ने चट्टान बनके हर मुसीबतों का डटकर सामना किया. वो एक ऐसा मुश्किल समय था, जब ” सुखमे जो पडाछाई साथ साथ चलती है वो भी अंधेरा होने पर साथ छोड़ जाती है.”

आखिरकार पत्र का 17 साल तक नियमित प्रकाशन जारी रखने के बाद सन 2003 मे भाईंदर भूमि का प्रकाशन स्थगित करना पडा. एक ओर पत्र काल की गर्त मे समा गया मगर उसकी कीर्ति भाईंदर वासीयों के दिलो दिमाग मे छोड़ता गया. जिसकी महक आज भी फैली हुई है.

वर्तमान मे गुरूजी सोशल मीडिया व्हाट्सएप पर ” भाईंदर भूमि ग्रुप ” के एडमिन के रूपमें कार्य कर रहे है. ऐसे महामानव, समाजसेवक, वरिष्ठ पत्रकार प्रेरणामूर्ति, पथदर्शक , भाईंदर पत्रकार जगत के भीष्मपितामह, ” विकास पुरुष ” श्री पुरुषोत्तम लाल बिहारीलाल चतुर्वेदी जी ऊर्फ लाल साहब गुरूजी को सैकड़ो तोपों की सलामी.

——=== शिवसर्जन ===——

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