“प्रकाश उत्सर्जक डायोड”

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एलईडी ( LED ) के बारेमें आप लोगोंने अवश्य सुना होगा. आजके युग मे ये मनुष्य की बहुत बडी खोज, उपलब्धि है. हमारे घरों में इस्तेमाल होने वाली बहुत सारी चीजों में LED का इस्तेमाल किया जाता है.

एलईडी LED को हिंदी में ” प्रकाश उत्सर्जक डायोड ” कहा जाता है. और अंग्रेजी में इसे (LIGHT EMITTING DIODE) के नाम से जाना जाता है. यह एक प्रकार का अर्धचालक उपकरण होता है. जो कि प्रकाश का उत्सर्जन करता है, जब इसके अंदर से विद्युत का प्रवाह होता है.

एलईडी LED का विभिन्न क्षेत्रों में इस्तेमाल होते देखने को मिलता है.

जापान के इसामू अकासाकी एवं हिरोशी अमानो और अमेरिका के वैज्ञानिक शुजी नाकामुरा को नीले प्रकाश उत्सर्जित करने वाले डायोड के आविष्कार के लिए भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया गया है.

एलईडी उपयोग आप छोटी सी सामग्री जैसे स्मार्ट घड़ी, स्मार्टफोन की स्क्रीन, टीवी स्कीन, होम एप्लीन्सेस, कार की स्क्रीन, मल्टीमीडिया, होम बल्ब LED आदि चीजों में देखा जा सकता है. LED आकार में बहुत छोटे होते हैं. और बहुत ही कम बिजली का इस्तेमाल करके प्रकाश का उत्सर्जन करते हैं. इसके लिए बिजली की काफी बचत भी होती है.

LED को एक्टिव सेमी कंडक्टर की केटेगरी में भी रखा जाता है. इसकी तुलना आप साधारण डायाड के साथ भी कर सकते हैं. पर दोनों में अंतर इतना रहता है कि दोनों की प्रकाश उत्सर्जन करने की क्षमता और उनका रंग अलग अलग होती है.

एलईडी LED के टर्मिनल जिसे कैथोड़ ( CATHODE ) और अनोड ( ANODE ) भी कहा जाता है, जब उससे किसी वोल्टेज सौर्स ( बिजली )

से जोड़ा जाता है, तब यह अलग-अलग रंग की रोशनी पैदा करती है. इसकी रोशनी उत्सर्जन करने की क्षमता इस बात पर भी निर्भर करती है कि एलईडी

LED में किस प्रकार की सेमी कंडक्टर (अर्धचालक) पदार्थ का इस्तेमाल किया गया है.

एलईडी LED के जलने पर जो प्रकाश उत्सर्जित होती है, यह प्रकाश मोनोक्रोमेटिक monochromatic होती है. उत्सर्जित होने वाली प्रकाश का

तरंग दैर्ध्य wavelength, सिंगल होता है. इस तरह से LED विद्युत ऊर्जा को (electric energy) प्रकाश ऊर्जा (light energy) में बदलने का कार्य करती है.

इसकी विशेषता यह है कि आप इसे किसी भी प्लास्टिक फ़िल्म में भी लगा सकते हैं. LED परंपरागत तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली प्रकाश उत्सर्जन यंत्र की तुलना में कम विद्युत खर्चा करता है. इसके साथ ही इसका जीवनकाल लंबा, उन्नत और आकार में काफी छोटा होता है. लेकिन इसको बनाने में काफी महंगी होती है. एक साधारण बल्ब लगभग 1000 घंटे तक प्रकाश दे सकती है, लेकिन एलईडी LED 100000 घंटे तक प्रकाश देने में सक्षम होते हैं.

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LED एक अर्धचालक उपकरण (semiconductor device) होती है. जो बिजली के साथ जोड़े जाने पर प्रकाश को उत्सर्जित करती है. इस से उत्सर्जित होने वाली रोशनी ज्यादा चमकदार नहीं होती है, इसकी तरंग की दूरी समांतर रहती है. LED को जलाने पर तेज प्रकाश उत्पन्न होता है. किसी भी LED की एक आउटपुट रेंज होती है जैसे red (wavelength लगभग 700 nanometer) से नीली-बैगनी की (400 nanometer) तक होती है. कुछ LED infrared energy भी उत्सर्जित करने में सक्षम होते हैं. इस तरह के एलईडी को IRED (INFRA EMITTING DIODE) कहा जाता है.

एलईडी LED के बारे में सबसे पहली जानकारी साल 1907 में एक ब्रिटिश विज्ञानिक H.J ROUND की प्रयोगशाला में पता लगाया गया था. इसका अविष्कार साल 1920 के आसपास रूस में किया गया था. और सन 1962 में अमेरिका में व्यवहारिक इलेक्ट्रॉनिक घटक के रूप में प्रस्तुत किया था. सन 1962 में विज्ञानिक Nick Holonyak ने एलईडी LED पाठ पहला experiment किया था. जिसके चलते इन्हें एलईडी LED का Godfather भी माना जाता है.

इससे पहले सन 1961 में दो विज्ञानिक Gary Pittman और Robert Biard जब वे एक प्रयोग कर रहे थे तब उन्होंने एक नया अविष्कार किया जिसमें gallium arsenides electric current के संपर्क पर आने पर LED, infrared radiation का उत्सर्जन करती थी. बाद में उन्होंने इसे infrared LED के नाम से इसका patent करवा लिया था.

सन 1972 में M. George Catford जो Holonyak के छात्र हुआ करते थे उन्होंने yellow LED को सबसे पहले बनाया था और उन्होंने red and red orange LED के रोशनी output को 10 गुना बढ़ा दिया था.जो उस समय के हिसाब से बहुत बड़ी एक उपलब्धि साबित हुई थी.

एलईडी LED के लिए Nobel prize सन 2014 में कम ऊर्जा में सफेद रोशनी देने वाली blue LED (light emitting diode) के लिए तीन विज्ञानिक को Nobel prize से सम्मानित किया गया है. जिनके नाम (1) Professor Isamu Akasaki (2) Hiroshi Amano और (3) Shuji Nakamura थे. Blue LED light एक light spectrum की सीमा होती है जिसे 400 नैनोमीटर से 525 नैनोमीटर के wavelength के रूप में परिभाषित किया जाता है. इस spectrum में violet और cyan के wavelength भी मौजूद रहते हैं. Narrow spectrum bluelight ( a.k.a blue LED, या short wavelength light) एक तरह की high-energy visible प्रकाश होती है. जिसका wavelength 400 से 450 नैनोमीटर के बीच होता है.

किसी भी LED में दो तरह के अर्धचालक (semiconductor) light source का इस्तेमाल किया जाता है. जिसके चलते इसे p-n junction diode भी कहते हैं. दोनों junction को voltage source दिया जाता है तो यह प्रकाश का उत्सर्जन करते हैं.जिसके चलते कोई भी एलईडी ऊर्जा का उत्सर्जन photons के रूप में करते हैं. इस effect को Electroluminescence effect भी कहते हैं। फोटोन के रूप में निकलने वाली प्रकाश का color इस बात पर निर्भर करता है कि अर्धचालक के बीच energy band gap कितना है.

LED को बनाने के लिए जिस पदार्थ का इस्तेमाल किया जाता है वह एक तरीके से अर्धचालक होता है. जिसमें मुख्य द्वार पर alluminium-gallium arsenides (AlGaAs) होती है. इस पदार्थ के atom अपने दूसरे atom के साथ बहुत ही strongly bonded होते हैं.

जिसके चलते free electrons के नहीं होने से electricity की conduction हो पाना ना के बराबर होता है.इसमें कुछ अशुद पदार्थों को भी मिलाया जाता है जिसे doping कहा जाता है, जिसके चलते इसमें कुछ extra atoms आ जाते हैं. जिससे मूल पदार्थ का संतुलन बिगड़ जाता है. Free electrons के चलते electron n-junction से p-junction की तरफ आगे बढ़ने लगते हैं.

LED के छोटे आकार के कारण इन्हें प्रिंटेड सर्किट बोर्ड में लगाना सरल होता है. अन्य प्रकाश स्रोतो की अपेक्षा एल.ई.डी. बहुत कम विकिरण करते हैं.

एल.ई.डी. का जीवनकाल काफ़ी होता है. एक रिपोर्ट के अनुसार इनका जीवनकाल 35000 से 50000 घंटे तक होता है. दूसरे फ्लोरोसेंट लैम्प की तरह एल.ई.डी. में मर्करी नहीं होता है. इस कारण इसके विषैले होने की संभावना कम होती है.

इसका उपयोग छोटे पैनेलों में उपकरण या यंत्र की दशा बताने के लिये, विज्ञापन आदि के लिये डिस्प्ले बोर्ड बनाने में, अंधेरे में देखने के लिये जैसे गाड़ियों की लाइट,घरों में बल्ब और टॉर्च के रूप में, सजावटी प्रकाश के लिए सड़क पर लाल बत्ती संकेतकों के रूप में और LED के द्वारा श्रेणी में जोड़ी गई आकर्षक रंगीन लाइटिंग जिनका उपयोग दीपावली विवाह आदि अन्य उत्सवों में किया जाता है.

( सोर्स सोशल मीडिया,फेक्ट टेक्नो से साभार )

कुछ विशेष जानकारी :

*** एल ई डी बल्ब बहुत से प्रकार के होते है, जैसे E27 LED Bulbs (ES), E14 LED Bulbs (SES), B22 LED Bulbs (Bayonet), B15 LED Bulbs (Small Bayonet), GU10 LED Bulbs. G4 LED Bulbs,G9 LED Bulbs,MR16 LED Bulbs.

*** इसकी कीमत 299 रुपए से शुरू हो जाती है। पावर सॉल्यूशन कंपनी Su-Kam भी LED इनवर्टर बल्ब बना रही है। उसका दावा है कि लाइट जाने के बाद भी ये बल्ब 4 घंटे तक नॉन-स्टॉप जलता रहता है। इतना ही नहीं, ये डायरेक्ट बंद नहीं होता, बल्कि इसकी रोशनी कम होती जाती है।

*** रिचार्जबल इमरजेंसी LED बल्ब रुपये 399 से 499 रुपये मे खरीदा जा सकता है. यह एक रिचार्जेबल इन्वर्टर एलईडी बल्ब है. इसे इमरजेंसी लाइट के तौर पर उपयोग किया जा सकता है.

यह बल्ब रिचार्जेबल होते हैं, इसलिए बैटरी का उपयोग जारी रखने की आवश्यकता नहीं है. ये लगभग पांच घंटे तक चलते हैं.

*** आज एलईडी बल्ब का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जाता है क्योंकि यह कम बिजली की खपत करके भी हमें बहुत ज्यादा रोशनी देते हैं मार्केट में ये 5 watt से लेकर 50 watt एलईडी बल्ब मिल सकते हैं लेकिन घरों में हम लोग 20 watt तक के एलईडी बल्ब का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि 20 watt का एलइडी बल्ब एक पूरे हॉल में रोशनी करने के लिए सक्षम होता है.

*** एलईडी (LED) बल्ब सीएफएल की तुलना में कम बिजली खपत करता है. एक एलईडी (LED) बल्ब की life आमतौर पर 50000 घंटे या अधिक होती है जबकि सीएफएल (CFL) बल्ब की 8000 घंटे तक ही होती है. एलईडी (LED) बल्ब सीएफएल (CFL) की तुलना में महंगा होता है.

*** सामान्य विद्युत फिलामेंट बल्ब एक विद्युत उपकरण है जो विद्युत ऊर्जा को ऊष्मा और प्रकाश ऊर्जा में परिवर्तित करता है. यह आमतौर पर कांच से बना होता है जिसमें अक्रिय गैसें (नाइट्रोजन और आर्गन) भरी होती हैं.

*** घरेलू फ्रिज की बिजली खपत आमतौर पर 100 और 200 वाट के बीच होती है.

*** सीलिंग फैन मुख्य रूप से 40 से 70 वाट के होते हैं यानी कि इसका मतलब यह हुआ की एक घंटे इस्तेमाल करने पर यह कम से कम 40 वाट और अधिकतम 70 वाट बिजली का उपयोग करता हैं.

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