प्राकृतिक आपदा का काला कहर “सुनामी”| Tsunami

SUNAMI

सुनामी एक प्राकृतिक आपदा है जो समुद्र के भीतर होने वाले भूकंप या ज्वालामुखी विस्फोट से होनेवाले कंपन की वजह से निर्माण होती है. जापानी भाषा मे सुनामी ( TSUNAMI ) कहा जाता है. सुनामी का मतलब होता है , ” बंदरगाह के निकट की लहर. ”    

        ये इतनी खौफनाक होती है कि पुरे गांव या शहर को बहाकर डुबो देती है. सुनामी प्रलयकारी होती है. जहां इसका प्रकोप होता है, वहां मातम छा जाता है. इसका जोश इतना होता है कि ये घरों को जहाज को तिनके की तरह बहाकर ले जाती है, और मलबे मे रूपांतर कर देती है. 

       सुनामी का तरंग दैर्ध्य ( LENGTH ) 160 किमी. तक भी देखा गया है, साथ ही इनकी गति अत्यधिक होती है तो कभी कभी 650 किमी. प्रति घंटा भी देखी गई है. खुले सागरों में इन तरंगों की ऊँचाई अधिकतम 1 मी. की होती है. 

     ” सुनामीटर ” से समुद्र तल में आई भूकम्प की तीव्रता की जानकारी मिलती है, जबकि ” सिग्नलिंग एण्ड कम्युनेकेटिंग उपकरण ” के माध्यम से सुनामी के सभी संभावित क्षेत्रों में खतरे की चेतावनी भी दी जाती है. 

      सुनामी वार्निंग सेन्टर से ये दोनों यंत्र एक खास नेटवर्क के माध्यम से जुड़े होते हैं. जैसे ही समुद्र के अन्दर कम्पन्न होती है, तरंगों की सूचनाएं तत्काल ” सुनामी वार्निंग सेन्टर ” को प्राप्त हो जाती है. 

      यह केन्द्र उपग्रह से जुड़ा हुआ होता है. इसीलिए पूरी दुनिया को तत्काल इस भयानक हलचल की जानकारी मिल जाती है. वर्तमान समय में सुनामी के चेतावनी तंत्र घटना के 8 घंटे पहले इसकी सूचना देते हैं. वैज्ञानिक विश्व के 14 देशों में कॉस्मिक रे डिटेक्टर्स स्थापित करने की दिशा में सक्रिय है. इनसे आपदा के संबंध में 20 से 24 घंटे पहले चेतावनी दी जा सकती है. 

      भारत ने तटीय इलाकों में सुनामी की पूर्व सूचना देने के लिए उन्नत एक्सपर्ट डिसिजन सपोर्ट सिस्टम विकसित किया गया है. यह प्रणाली उत्कृष्ट सूचना प्रौद्योगिकी, भूअंतरिक्ष, दृश्य और दूरसंवेदी प्रौद्योगिकियों पर आधारित है. इसमें भूकंप केन्द्रों, बॉटम प्रेशर रिकॉर्डर ज्वार-भाटा की चेतावनी आदि केन्द्रों के नेटवर्क को शामिल किया गया है. 

      अक्टूबर 2007 से ही भारत ने विश्व की सबसे आधुनिक सुनामी चेतावनी प्रणाली प्रारंभ कर दी है. इस प्रणाली से मिलने वाली जानकारी भारत पड़ोसी देशों को भी उपलब्ध कराएगा, यह प्रणाली भूकम्प की तीव्रता, गहराई और केन्द्र बताएगी. हिन्द महासागर में हर तरह की भूकम्पीय हलचल को इससे सिर्फ 20 मिनट में आकलन कर निकटवर्ती क्षेत्रों में सूचना उपलब्ध कराना संभव हो जाएगा. यह प्रणाली भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केन्द्र हैदराबाद में लगाई है.

ता : 26 दिसंबर 2004 की सुनामी ने मानव जाती को अस्त व्यस्त कर दीया था. इस दिन हिंद महासागर में आई सूनामी ने भारत सहित दुनिया के कई देशों में ऐसी तबाही मच गई थी कि जिससे उभरने में कई सालों लग गये थे. 

       हिंद महासागर के तटीय क्षेत्रों में 9.15 की तीव्रता के भूकंप के आने के बाद सुनामी लहर पैदा हुईं थी. जो भारत, श्रीलंका, इण्डिनेशिया, थाईलैंड और मलेशिया में 2 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे. ये संख्या इसलिए भी इतनी ज्यादा हुई क्योंकि साल के अंतिम दिन थे और लोग नई साल की छुट्टियां मनाने तटीय क्षेत्रों में बहुत संख्या में आये थे.

          हालांकि सुनामी की चेतावनी पहले से ही दे दी गई थी लेकिन इसका प्रभाव इतना ज्यादा था कि जान माल को रोका नहीं जा सका. बस हर जगह लाशें ही लाशें थीं.

      इसकी लहेरे ने थाइलैंड, मेडागास्कर, मालदीव, केन्या, मलेशिया, म्यांमार, सेशेल्स, सोमालिया, तंजानिया, बांग्लादेश तक भी असर डाला था. 

   सबसे ज्यादा मार इंडोनेशिया, दक्षिण भारत और श्रीलंका पर पड़ी. 2004 में सूनामी से 13 प्रभावित देशों में सात लाख तीस हजार लोग विस्थापित हुए. इस आपदा से निपटने और पुर्ननिर्माण के लिए सरकारी सहायता और निजी दान के रूप में 13.6 अरब डॉलर खर्च किए गए थे. 

      2 लाख 26 हजार लोगों की हुई मौत अकेले भारत ने सुनामी से हुए नुकसान की भरपाई में लगभग 1 खरब 63 अरब 80 करोड रुपए खर्च किये गये थे. इसमे कुल 13 देश हुए प्रभावित हुये थे. 4 लाख 70 हजार घर तबाह हुये थे, तथा 18 लाख लोग हुए बेघर तथा 650 हजार से ज्यादा लोग हुए लापता हुये थे. 

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क्या है सूनामी

सूनामी एक जापानी शब्द है, जिसका मतलब है बंदरगाह के पास की लहर. दरअसल ये बहुत लंबी यानी सैकड़ों किलो मीटर चौड़ाई वाली लहरें होती हैं. समुद्र के भीतर अचानक जब बड़ी तेज़ हलचल होने लगती है तो उसमें उफान उठता है जिससे लंबी और बहुत ऊंची लहरों का रेला उठना शुरू हो जाता है जो ज़बरदस्त आवेग के साथ आगे बढ़ती है.

          ता :18 सितम्बर, 2011 के सिक्किम में आये रिक्टर स्केल पर 6.8 तीव्रता वाली शक्तिशाली भूकम्प ने भयानक तबाही मचाई. 25 अप्रैल, 2015 को नेपाल में 7.8 तीव्रता का भूकम्प आया. भूकम्प का अधिकेन्द्र (लामगुंज), नेपाल से 38 किमी. दूर था. 1934 ई. के बाद पहली बार नेपाल में इतना प्रचंड तीव्रता वाला भूकम्प आया जिसमें 8,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी.      

             सुनामी तबाही का दूसरा नाम है. जब जमीन के उपर कंपन होता है उसे ” धरतीकंप ” कहा जाता है, मगर ये समुद्र मे होता है और लहेरे उठकर जमीन पर तबाही मचाता है, उसे ” सुनामी ” ( TSUNAMI ) कहते है. समुद्र के भीतर ज्वालामुखी फटने से भी विनाशक सुनामी आती है. 

*** ता : 11 मार्च 2011 मे , जापान मे आयी सुनामी ने मातम मनाके रख दीया था. जापान मे समुद्र के बीचो बिच रिएक्टर स्केल पर 9.0 की तीव्रता के साथ आया भूकंप ने तबाही मचा कर रख दी थी. उसमे करीब 1800 लोगों की जान चली गई थी. करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ था. 

*** ता : 26 दिसंबर 2004 मे हिंद महासागर ( भारत और अन्य देश ) आयी सुनामी की लहर ने भारत सहित दुनिया कई देशों में भारी तबाही मचाई थी. इस आपदा में ढाई लाख से भी ज्यादा लोगों की जान चली गई थी. 

       पोर्ट ब्लेयर से करीब एक हजार कि.मी. दूर सुबह आये भूकंप से पूर्वी भारत में बड़े पैमाने पर तबाही हुई थी. भूकंप और उससे पैदा हुई सूनामी लहरों से अंडमान द्वीप समूह, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और पांडिचेरी में भी जानमाल का भारी नुकसान हुआ था. 

*** सन 2004 मे हिंद महासागर (इंडोनेशिया) मे आयी सुनामी मे करीब 3,50,000 लोगों की जान चली जानेका अनुमान है. 

*** सन 1908 मे मेसिना, इटली मे आयी सुनामी मे करीबन एक लाख लोगोंकी मौत हुई थी तथा कई लोगों की माल मिलकत का नुकशान हुआ था, और लाखों लोग बेघर हुये थे.

*** सन 1782 मे दक्षिण चीन का समुद्री हिस्सा (ताइवान) मे आयी सुनामी मे 40,000 लोगोंकी मौत हो गई थी. 

*** सन 1883 मे क्राकाटाऊ, इंडोनेशिया समुद्र मे आयी सुनामी मे 36,500 लोगोंकी जान चली गई थी, तथा लाखों लोग बेघर हो गये थे. 

*** सन 1707 मे टोकाइडो-नानकाइडो, जापान के समुद्र मे आयी सुनामी मे 30,000 लोग मारे गई थे. और लाखोका नुकशान हुआ था. 

*** सन 1896 मे सनरीकू, जापान मे आयी सुनामी मे करीब 26,300 लोग मारे गये थे तथा लाखो लोग बेघर हुये थे. लाखों की संपत्ति नष्ट हो गई थी. 

*** सन 1868 मे नार्थ चिली मे आयी विनाशक सुनामी मे करीब 25,674 लोगों की जान गई थी,और लाखों की धन संपत्ति नष्ट हुई थी. 

*** अमरीका के क्रीसेंट शहर में सन 1964 मे आयी सुनामी में मानव जीवन की क्षति इसी कारण हुई थी, कि सुनामी की पहली लहर की चेतावनी यहां समय पर मिल गई थी व लोगों ने अपना जीवन बचा भी लिया था. पर वे पहली लहर के निकलने के बाद शीघ्र समुद्र तट पर लौट जाए व सुनामी की दूसरी लहर से मारे गए थे. 

*** सन 1972 मे कयुशू द्वीप, जापान मे आयी भयंकर सुनामी मे कुल मिलाकर 15,030 लोगों की मौत हुई थी. 

*** ता : 26 दिसंबर 2004 के दिन रिएक्टर स्केल पर 9.1 तीव्रता का एक भयानक भूकंप आया और आयी सुनामी मे करीब 2लाख 30 हजार लोगोंकी जान चली गई थी. यह सुनामी से इंडोनेशिया, भारत, श्रीलंका सहित अन्य 14 देश प्रभावित हुए थे.

सुनामी के समय क्या दक्षता लेनी चाहिए ? 

*** सुनामी से बचने के लिये कुछ तटीय जल में तेजी से वृद्धि और गिरावट पर ध्यान देना जरुरी होता है. अगर समुद्र अचानक पीछे जाकर वापस आ जाए और खाली रेत को छोड़ दे, तो यह एक बड़ी चेतावनी का संकेत होता है कि पानी में अचानक वृद्धि होने वाली है.

*** सुनामी से या भूकंप से पहले पशुओं के व्यवहार मे अजीब परिवर्तन पाया जाता है. पशुओं का अपनी जगह को छोडऩा, मनुष्यों के पास शरण लेने की कोशिश करना, चित्र विचित्र आवाज करके असामान्य व्यवहार करना या एक साथ समूह बनाना ये सब आने वाली आपदा का प्रतिक होता है. 

*** सुनामी आपदा के वक्त अपनी संपत्ति का विचार ना करते अपनी जान बचनेका प्रयत्न करना चाहिए. अगर आप चीजों को बटोरने में लग जाएंगे, तो आपके पास समय नहीं बचेगा. और आप मुश्किल मे पड़ जाएंगे. 

*** ऐसे वक्त मे हमेशा ऊंची भूमि पर शरण लेना चाहिए तथा समुद्र किनारे, ,झील, या पानी के अन्य निकायों से दूर भाग कर ऊंची भूमि तत्काल चले जाना चाहिए.  

*** सुनामी के समय ऊंची, मजबूत और ठोस ईमारत को चुने और अधिकतम उपर की और तुरंत जानेकी कोशिश करनी चाहिए. अगर आप पानी में फंस गए हैं तो, कोई भी चीज जो पानी में तैर रही हो, उसे पकडकर रखे. 

*** स्थानिय अधिकारीओ की घोषणा का पालन करें. रेडिओ सुने. बीना गभराये संयम बरते. 

*** सुनामी एक प्राकृतिक आपदा है. जिसकी कल्पना करने से ही इंसान डर जाता है. मगर बीना डरे समय सूचकता का वापर करके अपनी सुरक्षा की जा सकती है.

—–====शिवसर्जन ====——

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