बॉलीवुड हिंदी फ़िल्म जगत के प्रथम लोकप्रिय सुपरस्टार श्री राजेश खन्ना.

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तारिख : 12 मार्च 1971 के दिन रिलीज हुई आनंद फ़िल्म में अभिनेता राजेश खन्ना ने कैंसर पीड़ित व्यक्ति का रोल अदा किया था. इस समय उसने सोचा तक नहीं था कि उसे वास्तविक जिंदगी में भी कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी होंने वाली है, जो उनकी मौत का कारण बनेगी.

राजेश खन्ना का वास्तविक नाम जतिन खन्ना था. अपने अंकल के कहने पर उन्होंने अपना नाम बदल कर राजेश खन्ना रखा था. सन 1965 में यूनाइटेड प्रोड्यूसर्स और फिल्मफेअर ने छुपी हुई प्रतिभाओ को ढूंढने, एक अभियान चलाया था. दस हजार लडको में से 8 लडको को चुना गया था, जिसमे एक राजेश खन्ना भी सामिल थे. अंतिम पारि मे राजेश खन्ना को विजेता घोषित किया गया था.

प्रतियोगिता जीतते ही राजेश खन्ना का संघर्ष खत्म हुआ था और सबसे पहले उन्हें “राज” फिल्म के लिए जीपी सिप्पी ने साइन किया था जिसमें बबीता जैसी बड़ी स्टार थीं.

फिल्म इंडस्ट्री में राजेश को प्यार से काका कहते थे. राजेश का जन्म ता : 29 दिसम्बर 1942 के दिन ब्रिटिश भारत अमृतसर में हुआ था. राजेश खन्ना स्कूल और कॉलेज जमाने से ही एक्टिंग की ओर आकर्षित हुए थे, उन्हें उनके एक नजदीकी रिश्तेदार ने गोद लिया था और बहुत ही लाड़-प्यार से पाला था.

सन 1969 से सन 1975 के बीच राजेश ने कई सुपरहिट फिल्में दीं थी.

राजेश की पहली प्रदर्शित फिल्म का नाम “आखिरी खत” है, जो 1966 में रिलीज हुई थी. सन 1969 में रिलीज हुई “आराधना” और “दो रास्ते” फ़िल्म की सफलता के बाद राजेश खन्ना सीधे स्टार बन गये थे और उनको सुपरस्टार घोषित कर दिया गया था.

उनकी लोकप्रियता को देखते कई लड़कियां उनकी दीवानी बन गई थी. लड़कियों ने उन्हें खून से खत लिखे , उनकी फोटो से शादी कर ली, कुछ ने अपने हाथ या जांघ पर राजेश का नाम गुदवा लिया कई लड़कियां उनका फोटो तकिये के नीचे रखकर सोती थी.

आराधना फिल्म का एक गाना ” मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू…” उनके करियर का सबसे बड़ा हिट गाना रहा.

अदाकार राजेश खन्ना की सफलता के पीछे संगीतकार आरडी बर्मन जी और गायक किशोर जी का अहम योगदान रहा है. इनके बनाए गये और राजेश पर फिल्माए अधिकांश गीत हिट साबित हुए और आज भी सुने जाते हैं. किशोर ने 91 फिल्मों में राजेश को आवाज दी तो आरडी बर्मन ने उनकी 40 फिल्मोंमें सफल संगीत दिया था.

कई निर्माता-निर्देशक राजेश खन्ना के घर के बाहर लाइन लगाए खड़े रहते थे. वे मुंहमांगे दाम चुकाकर उन्हें साइन करना चाहते थे. “आनंद” फिल्म राजेश खन्ना के करियर की सर्वश्रेष्ठ फिल्म थी, जिसमें उन्होंने कैंसर से ग्रस्त जिंदादिल युवक की भूमिका निभाई थी.

राजेश खन्ना को रोमांटिक हीरो के रूप में बेहद पसंद किया गया. उनकी आंख झपकाने और गर्दन टेढ़ी करने की अदा के लोग दीवाने थे. मुमताज और शर्मिला टैगोर के साथ राजेश खन्ना की जोड़ी को काफी पसंद किया गया. मुमताज के साथ उन्होंने आठ सुपरहिट फिल्में दी थी.

राजेश ने अभिनेत्री आशा पारेख और वहीदा रहमान जैसी सीनियर एक्ट्रेस के साथ भी अभिनय किया था. खामोशी में राजेश को वहीदा के कहने पर ही रखा गया था. मीना कुमारी, श्री गुरुदत्त और गीता बाली को राजेश जी अपना आदर्श मानते थे.

फ़िल्म जंजीर और फ़िल्म शोले जैसी एक्शन फिल्मों का निर्माण व सफलता और अमिताभ बच्चन के उदय ने राजेश खन्ना की लहर को थाम लिया था. लोग एक्शन फिल्में पसंद करने लगे और 1975 के बाद राजेश की कई रोमांटिक फिल्में असफल रही थी. दरम्यान राजेश के स्वभाव की वजह से शक्ति सामंत, मनमोहन देसाई, ऋषिकेश मुखर्जी और यश चोपड़ा ने उन्हें छोड़ अमिताभ को लेकर फिल्म बनाना शुरू कर दी थी.

अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना को प्रतिद्वंद्वी माना जाता था. दोनों ने आनंद और नमक हराम नामक फिल्मों में साथ काम किया था. दोनों फिल्मों में राजेश के रोल अमिताभ के मुकाबले सशक्त साबित हुए थे.

जीतेन्द्र और राजेश खन्ना स्कूल में साथ साथ में पढ़ते थे. राजेश खन्ना और उनकी बेटी ट्विंकल का 29 दिसंबर को जन्मदिन आता है. अक्षय के अनुसार वे बचपन से राजेश खन्ना के फैन रहे हैं. आराधना, अमर प्रेम और कटी पतंग उनकी पसंदीदा फिल्म है.

श्री राजीव गांधी के कहने पर राजेश ने राजनीति में पदार्पण किया था.कांग्रेस (ई) की तरफ से कुछ चुनाव भी उन्होंने लड़े थे. उसमें वे जीते भी और हारे भी थे. श्री लालकृष्ण आडवाणी को उन्होंने चुनाव में कड़ी टक्कर दी और शत्रुघ्न सिन्हा को हराया भी था. वे नई दिल्ली लोक सभा सीट से पाँच वर्ष 1991-96 तक कांग्रेस पार्टी के सांसद रहे. बाद में उन्होंने राजनीती से सन्यास ले लिया.

राजेश की सबसे प्रतिष्ठित भूमिका सन 1971 में रिलीज हुई आनंद फ़िल्म थी. तब श्री अमिताभ बच्चन नवोदित कलाकार थे. राजेश खन्ना ने एक गंभीर रूप से बीमार लेकिन हंसमुख व्यक्ति का किरदार निभाया था. उनका संवाद “जिंदगी बड़ी होनी चाहिए, लम्बी नहीं” कई लोगों के लिए मार्गदर्शक वाक्य बन गया था.

राजेश खन्ना ने कुल 180 फ़िल्मों और 163 फीचर फ़िल्मों में काम किया, 128 फ़िल्मों में मुख्य भूमिका निभायी, 22 में दोहरी भूमिका के अतिरिक्त 17 छोटी फ़िल्मों में भी काम किया. व तीन साल 1969-71 के भीतर 15 सोलो हिट फ़िल्मों में अभिनय करके बॉलीवुड का सुपर स्टार बननेका सौभाग्य प्राप्त किया. उन्हें फ़िल्मों में सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिये तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार मिला व 14 बार मनोनीत किया गया.

राजेश खन्ना ने सन 1966 में पहली बार 23 साल की उम्र में “आखिरी खत” नामक फ़िल्म में काम किया था. इसके बाद में राज़, बहारों के सपने, आखिरी खत जैसी तीन कामयाब फ़िल्म रिलीज हुई. इसमे बहारों के सपने असफल रही मगर उन्हें असली कामयाबी 1969 में आराधना से मिली जो उनकी पहली प्लेटिनम जयंती सुपरडुपर हिट फ़िल्म थी. आराधना के बाद हिन्दी फ़िल्मों के पहले सुपरस्टार का खिताब अपने नाम किया. उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार 15 सोलो सुपरहिट फ़िल्में दी.- आराधना, इत्त्फ़ाक़, दो रास्ते, बंधन, डोली, सफ़र, खामोशी, कटी पतंग, आन मिलो सजना, ट्रैन, आनन्द, सच्चा झूठा, दुश्मन, महबूब की मेंहदी, हाथी मेरे साथी जैसी फ़िल्म ने कामियाबी की मंजिल हासिल की थी.

राजेश खन्ना ने मुमताज़ के साथ आठ फ़िल्मों में काम किया और ये सभी फ़िल्में सुपरहिट साबित हुईं.

बंगाल फ़िल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा हिन्दी फ़िल्मोंके सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार भी अधिकतम चार बार उनके ही के नाम पर रहा और 25 बार मनोनीत किया गया. सन 2005 में उन्हें फ़िल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेण्ट अवार्ड दिया गया. राजेश खन्ना हिन्दी सिनेमा के पहले सुपर स्टार थे.

राजेश खन्ना को सन 1975 में फ़िल्मफ़ेयर का सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार फ़िल्म अविष्कार के लिए दिया गया. सन 1972 में फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार फ़िल्म आनन्द के लिए दिया गया. सन 1971 में फ़िल्म फ़ेयर का सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार फ़िल्म सच्चा झूठा के लिए दिया गया.

सन 2013 में, उन्हें मरणोपरांत भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.

तारीख : 18 जुलाई 2012 के दिन राजेश खन्ना का निधन हो गया था. वे कैंसर से जूझ रहे थे. उन्हें अपनी मौत के डेढ़ साल पहले ही पता चल गया था कि वे इस जानलेवा बीमारी के शिकार हो चुके हैं. मौत के 20 दिन पहले उसने अपनी फैमिली को कहा था कि मैं ये जानता हूं कि दवाइयां अपना काम नहीं कर रही हैं, लगता है मेरा टाइम अब आ गया है.

काका ( राजेश खन्ना ) के मृत्यु के बाद सुपर स्टार शाहरुख खान का कहना था कि राजेश ने अपने जमाने में जो लोकप्रियता हासिल की थी, उसे कोई नहीं छू सकता है. ता : 18 जुलाई 2012 को काका ने अपने घर में ही आखिरी सांस ली थी.

राजेश खन्ना भारतीय बॉलीवुड फ़िल्म के अभिनेता, निर्देशक व निर्माता थे. तारीख : 19 जुलाई को विले पार्ले के पवन हंस शवदाह गृह में उनका अन्तिम संस्कार किया गया. भारी वर्षा व ट्रेफिक जाम होने के बावजूद कई लोग पैदल चलकर श्मशान घाट तक पहुँचे.

पचहत्तर वर्षीय फ़िल्म अभिनेता निर्देशक मनोज कुमार, फ़िल्मस्टार श्री अमिताभ बच्चन तथा उनके पुत्र श्री अभिषेक बच्चन काका की अन्तिम यात्रा में शरीक होने वालों में प्रमुख थे. उनकी चिता को मुखाग्नि अक्षय कुमार की सहायता से उनके नौ वर्षीय नाती आरव ने दी थी.

राजेश खन्ना का अंतिम समय बड़ा दुखदाई रहा. उन्हीके आनंद फ़िल्म का एक डायलॉग…..बाबू मोशाय, जिंदगी और मौत ऊपर वाले के हाथ है जहांपनाह, जिसे न आप बदल सकते हैं न मैं, हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियां हैं, जिनकी डोर ऊपर वाले के उंगलियों में बंधी है. कब कौन कैसे उठेगा, ये कोई नहीं बता सकता……. — फिल्म: आनंद.

उनकी फिल्में, गाने, संवाद, स्टाइल और दरियादिली को भुलाया नहीं जा सकता. आज भले ही इस दुनिया में काका नहीं हैं, लेकिन अपने फैन्स के दिलों में हमेशा यूं ही छाए रहेंगे, क्योंकि आनंद मरा नहीं… आनंद मरते नहीं.

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