भारतीय सेना के कमीशन अधिकारी की रैंक एवं उनके बैज का विवरण :

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आपने अक्सर सेना के अधिकारियों की ड्रेस पर कई तरह के “ बैज ” देखे होंगे लेकिन आप उनको देखकर ये पता नहीं लगा पाते हैं कि ये व्यक्ति सेना में किस पद पर है ? मगर इस लेख को पढ़ लेंगे तो निश्चित रूप से पहचान जायेंगे कि किस अधिकारी को कौन सा “बैज” दिया जाता है.

इस लेख में हम आपको विभिन्न सैन्यकर्मियों की रैंक एवं उनके वर्दी पर लगे बैज का विवरण दे रहे हैं ताकि जब किसी सैन्यकर्मी को देखें तो आसानी से पता लगा सकें कि वह सैन्यकर्मी किस पद पर आसीन है.

आइए अब जानते हैं कि भारतीय सेना के विभिन्न कमीशन अधिकारियों एवं गैर-कमीशन अधिकारियों के “बैज” क्या है?

भारतीय सेना के कमीशन अधिकारी की रैंक एवं उनके बैज का विवरण :

(1) फील्ड मार्शल :

इस रैंक में सबसे पहली पोस्ट फील्ड मार्शल की होती है. जो इंडियन आर्मी की सबसे ऊंची पांच स्टार वाली रैंक है. फील्ड मार्शल के वर्दी पर कमल के घेरे के अन्दर तलवार और डंडा क्रॉस के रूप में रहते हैं जिनके ऊपर भारत के राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तम्भ का निशान होता है. ये कभी भी सेवानिवृत नहीं होते हैं अर्थात फील्ड मार्शल जब तक जीवित रहते हैं तब तक उनके नाम के साथ फील्ड मार्शल शब्द जुड़ा रहता है.

टिप्पणी : भारत में अब तक केवल दो लोगों को फील्ड मार्शल की उपाधि दी गई है : फील्ड मार्शल के.एम.करियप्पा एवं फील्ड मार्शल सैम मानेक शॉ.

(2) जनरल या सेना प्रमुख :

आर्मी में फील्ड मार्शल के बाद जनरल रैंक आती है. वैसे तो फील्ड मार्शल रैंक इंडियन आर्मी की सर्वोच्च रैंक है, लेकिन आर्मी के रेगुलर स्ट्रक्चर में फील्ड मार्शल का प्रयोग न होने की वजह से ही इस रैंक को इंडियन आर्मी का सर्वोच्च पद माना जाता है. यह रैंक चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ को मिलती है.

जनरल या सेना प्रमुख के वर्दी पर तलवार और डंडा क्रॉस के रूप में रहते हैं जिनके ऊपर पाँच बिन्दुओं वाला सितारा तथा उसके ऊपर भारत के राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तम्भ का निशान होता है. थल सेनाध्यक्ष का कार्यकाल 3 साल या 62 वर्ष की आयु (जो भी पहले हो जाय) तक है.

(3) लेफ्टिनेंट जनरल :

इंडियन आर्मी में जनरल के बाद लेफ्टिनेंट जनरल का पद आता है. जिस में इनकी पहचान इनके दोनों सोल्डर पर अशोक स्तम्भ, बैटन और तलवार के क्रॉस लगे हुए होते हैं और कॉलर पर तीन स्टार लगे होते हैं। लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर अधिकारियों को 60 वर्ष के बाद रिटायर्ड कर दिया जाता हैं। इन्हें ये रैंक कमीशंड सर्विस के माध्यम से दी जाती है.

(4) मेजर जनरल :

इंडियन आर्मी में मेजर जनरल तीसरी सबसे ऊंची रैंक है. मेजर जनरल पद का प्रमोशन सलेक्शन के जरिये होता है. इसके लिए कुल 32 सालों की कमिशन्ड सर्विस का होना जरूरी है. बता दें इस रैंक की पहचान लाल रंग की आउट लाइन के साथ सुनहरे रंग का एक स्टार और तलवार होती है.

(5) ब्रिगेडियर :

इंडियन आर्मी में ब्रिगेडियर चौथी ऊंची रैंक है. ब्रिगेडियर पोस्ट का प्रमोशन भी सेलेक्शन से मिलता है. जिसके लिए 25 सालों की कमिशन्ड सर्विस का भी होना जरूरी है. इस रैंक की पहचान सुनहरे रंग का राष्ट्रीय चिन्ह और त्रिकोण गठन में तीन स्टार है. ब्रिगेडियर की सेवानिवृति की आयु 56 वर्ष निर्धारित है.

(6) कर्नल :

कर्नल एक सीनियर कमिशन्ड ऑफिसर टाइपकी रैंक होती है. इंडियन आर्मी में रेजिमेंट के इंचार्ज कर्नल होते हैं. देखा जाए तो कर्नल हाइएस्ट और सेकंड हाइएस्ट फील्ड रैंक है. कर्नल रैंक की पहचान सुनहरे रंग का राष्ट्रीय चिन्ह व दो स्टार से होती है. कर्नल के वर्दी पर दो, पाँच बिन्दुओं वाले सितारे के ऊपर भारत के राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तम्भ का निशान होता है. कर्नल की सेवानिवृति की आयु 54 वर्ष निर्धारित है.

(7) लेफ्टिनेंट कर्नल :

लेफ्टिनेंट कर्नल के वर्दी पर पाँच बिन्दुओं वाले सितारे (star) के ऊपर भारत के राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तम्भ का निशान होता है. लेफ्टिनेंट कर्नल किसी भी कमिशन्ड ऑफिसर के सीनियर होने की पहली सीढ़ी होती है, जो 13 साल की कमिशन्ड सर्विस पूरी करने के बाद ऑफिसर को इस रैंक के लिए प्रमोट किया जाता है. इसकी पहचान सुनहरे रंग का राष्ट्रीय चिन्ह और एक स्टार है.

(8 मेजर :

मेजर के वर्दी पर भारत के राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तम्भ का निशान होता है.

इंडियन आर्मी में मेजर 7वीं उच्च स्तर की रैंक है. किसी भी आर्मी ऑफिसर के लिए यह बहुत ही अहम रैंक मानी जाती है. 6 सालों की सर्विस के बाद भारतीय सेना के जवान को इस पद पर प्रमोट किया जाता है. इसकी पहचान सुनहरे रंग का राष्ट्रीय चिन्ह है.

(9) कैप्टन :

कैप्टन के वर्दी पर तीन, पाँच बिन्दुओं वाले सितारे (star) का निशान होता है. इंडियन आर्मी में कमीशन्ड होने के बाद आगे बढ़ने के लिए दूसरा पड़ाव कैप्टन है. कमीशंड होने के 2 साल की सर्विस के बाद समय सीमा के आधार पर यह पोस्ट दी जाती है.इसकी पहचान सुनहरे रंग के तीन स्टार है.

(10) लेफ्टिनेंट :

लेफ्टिनेंट के वर्दी पर दो, पाँच बिन्दुओं वाले सितारे (star) का निशान होता है.

कमीशंड होने के बाद भारतीय सेना में मिलने वाली पहली रैंक लेफ्टिनेंट है. लेफ्टिनेंट रैंक की पहचान सुनहरे रंग के दो स्टार से की जाती है.

(11) सूबेदार मेजर :

जूनियर कमीशंड रैंक में सबसे ऊंची की रैंक सूबेदार मेजर की होती है. सूबेदार मेजर रैंक को JCO की आखिरी सीढ़ी भी कह सकते है. बता दें सूबेदार मेजर 34 सालों की सर्विस के बाद रिटायर हो जाते हैं.

(12) सूबेदार :

इंडियन आर्मी में सूबेदार एक जूनियर कमीशंड ऑफिसर होता है. हर बटालियन में कई सूबेदार होते हैं, 30 वर्षों की सर्विस के बाद JCO के पद पर सूबेदार की रैंक संभालने वाला सैनिक रिटायर हो जाता है.

(13) नायब सूबेदार :

नायब रैंक सूबेदार JCO रैंक की पहली सीढ़ी होती है. इस रैंक की पहचान सुनहरे रंग के एक स्टार के साथ लाल और पीले रंग की पट्टी के साथ होती है.

(14) हवालदार नायक :

सिपाहियों के प्रमोशन के आधार पर इसका चुनाव किया जाता है. हवालदार के बैज पर 3 रैंक की पट्टी बनी होती है.

(15) नायक :

नायक की पोस्ट हवलदार से छोटी और लांस नायक से बड़ी रैंक होती है. बता दें नायक के बैज पर 2 रैंक की पट्टी लगी होती है.

(16) लांस नायक :

सिपाहियों के प्रमोशन होने पर वह सबसे पहले लांस नायक पद पर होते है. बता दें लांस नायक के बैज पर 1 रैंक की पट्टी होती है.

(17) सिपाही :

आर्मी में सिपाही की वर्दी पर कोई भी रैंक नहीं होती है, यह एक सामान्य सिपाही होता है जो रैंक वाले वरिष्ठ अधिकारियों के ऑर्डर फॉलो करता है और देश की रक्षा करता है.

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Photo credit -https://indianarmy.nic.in

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