भाषाओं की जननी आदिभाषा संस्कृत.| Sanskrit Language

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” संस्कृत ” विश्व की प्राचीनतम लिखित भाषा है , जिसे अनेक भाषाओं की जननी देववाणी और आदिभाषा कहा जाता है. इसे न केवल भारत बल्कि प्राचीनतम और श्रेष्ठतम भाषा माना गया है. हिंदू धर्म के लगभग सभी धार्मिक ग्रंथों को संस्कृत भाषा में ही लिखा गया है. आज के समय में भी पूजा-पाठ और यज्ञ आदि में संस्कृत मंत्रों का ही उच्चारण किया जाता है.

इसका सबसे पुराना लिखित रिकॉर्ड तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व का माना जाता है, जिसके बाद से भाषा का सर्वांगीण विकास जारी है. दूसरी तरफ प्राचीन इंडो-आर्यन भाषा संस्कृत को दुनिया की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक माना जाता है. संस्कृत का रिकॉर्ड इतिहास करीब 3500 साल पुराना है. संस्कृत भाषा के सबसे पुराने लिखित अभिलेख वेदों में मिले हैं.

संस्कृत भाषा एक समय भारत के बुद्धिजीवियों की भाषा हुआ करती थी.

अब धीरे-धीरे विलुप्त हो रही है.किताबों के कुछ पन्नों तक सीमित रह गई हैं. एक समय इसे ज्ञान की भाषा कहा जाता था. लेकिन अब इस भाषा को लेकर बहुत कम लोग उत्साहित दिखाई देते हैं. अंग्रेजी की होड़ में लोग संस्कृत को भूल गए हैं. लेकिन अब धीरे-धीरे लोगों में अपनी इस ज्ञान की भाषा को लेकर जागरूकता बढ़ रही है.

संस्कृत भारत के उत्तराखंड राज्य की राजभाषा है. उत्तराखंड राजभाषा अधिनियम 2009 के अंतर्गत संस्कृत को राज्य की दूसरी राजभाषा के रूप में घोषित किया गया है. उत्तराखंड भारत का पहला राज्य है जिसने संस्कृत को अपनी दूसरी आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी है. उत्तराखंड में यह निर्णय 2010 में लिया गया था. इसके पीछे मुख्य उद्देश्य संस्कृत भाषा को पुनर्जीवित करना और उसके अध्ययन और प्रयोग को बढ़ावा देना था.

वैसे उत्तराखंड को देव भूमि कहा जाता है इसलिए यहां संस्कृत भाषा का ऐतिहासिक महत्व है. यह राज्य में कई प्राचीन संस्कृत शिक्षण संस्थान और आश्रम हैं, जहां परंपरागत रूप से संस्कृत पढ़ाया जाता हैं. इसके अलावा, इस राज्य में कई महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल भी हैं, जहां संस्कृत भाषा का उपयोग अनुष्ठानों और धार्मिक ग्रंथों के पाठ के लिए किया जाता है.

उत्तराखंड में सरकार द्वारा संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए कई योजनाएं चलाई जाती हैं. संस्कृत विद्यालयों और महाविद्यालयों को बढ़ावा दिया जा रहा है और संस्कृत को स्कूलों में वैकल्पिक भाषा के रूप में भी पढ़ाया जाता है.

सन 2010 में उत्तराखंड में बीजेपी सरकार थी. रमेश पोखरियाल “निशंक” राज्य के मुख्यमंत्री थे. उन्होंने उत्तराखंड में संस्कृत को दूसरी राजभाषा का दर्जा दिया था. यदि आप संस्कृत भाषा पढ़ना चाहते हैं तो आप उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार में दाखिला ले सकते हैं. ये राज्यका सबसे बड़ा संस्कृत कॉलेज है. इस कॉलेज में संस्कृत की शिक्षा लेने के लिए ना सिर्फ देश के अलग-अलग राज्यों से बल्कि विदेशों से भी छात्र आते हैं.

संस्कृत भाषा उत्तराखंड में बोली जाती है. राज्य सरकार ने इस भाषा को राज्य की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया हुआ है. ऐसे में यह यहां हिंदी के बाद दूसरे नंबर की प्रमुख भाषा है.

कंबोडिया, वह देश है जिसकी राष्ट्रभाषा कभी संस्कृत थी. इतिहास में इसका उल्लेख है. यहां पर 6वी शताब्दी से लेकर 12 वी शताब्दी तक देवभाषा संस्कृत को राष्ट्र भाषा का दर्जा प्राप्त था. कंबोडिया का प्राचीन नाम कंबुज था.

संस्कृत की रोचक बातें :

*** क्या आपको पता हैं ? कर्नाटक का गांव मत्तूर ऐसी जगह है, जहां के सभी लोग संस्कृत भाषा में ही बात करते हैं. यहां प्राचीन समय से ही संस्कृत भाषा का प्रयोग बोलचाल में किया जा रहा है, जिसके बाद यहां के लोगों के जुबान पर संस्कृत भाषा चढ़ गई है.

*** संस्कृत भाषा में एक अखबार भी निकलता है. सुधर्मा नाम का संस्कृत अखबार सन 1970 से प्रकाशित हो रहा है.

*** आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जहां एक ओर भारतीय छात्र विदेश से अन्य भाषाओं में डिग्री हासिल करने के लिए जाते हैं, वहीं जर्मनी में 14 यूनिवर्सिटी संस्कृत भाषा की पढ़ाई करा रही हैं.

*** संस्कृत में एक शब्द के कई पर्यायवाची हैं. उदाहरण के तौर पर इस भाषा में हाथी के 100 पर्यायवाची शब्द होते हैं.

*** वर्तमान में संस्कृत के शब्दकोष में 102 अरब 78 करोड़ 50 लाख शब्द है.

*** नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार जब वो अंतरिक्ष ट्रैवलर्स को मैसेज भेजते थे तो उनके वाक्य उलट हो जाते थे. इस वजह से मैसेज का अर्थ ही बदल जाता था. उन्होंले कई भाषाओं का प्रयोग किया लेकिन हर बार यही समस्या आई. आखिर में उन्होंने संस्कृत में मैसेज भेजा क्योंकि संस्कृत के वाक्य उल्टे हो जाने पर भी अपना अर्थ नही बदलते हैं.

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