“रक्षा बंधन – नारियल पूर्णिमा.” समुद्र पूजन| Raksha Bandhan

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” रक्षा बंधन ” के त्यौहार को ” नारियल पूर्णिमा ” का त्यौहार भी कहते है. श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन यह त्यौहार मनाया जाता हैं. यह हमारा पारम्परिक सामाजिक – सांस्कृतिक – धार्मिक त्यौहार है. 

       भाई बहन के पवित्र रिस्ते का प्रतिक है. महाराष्ट्र सहित पुरे भारत भरमे बडे हर्षोउत्साह के साथ मे यह त्यौहार को मनाया जाता है. हिन्दू धर्मी आज के दिन समुद्र की पूजा करके नारियल समुद्र को अर्पण करते है. 

         गुण और कर्म के अनुसार सम्पूर्ण सृष्टि चार वर्णो में विभक्त है. जैसे श्वेत, लाल,पीला और नीला रंग. जैसे पिओन, लिपिक, अधिकारी और प्रशासक.  

        भारतीय त्यौहारों के भी चार वर्ण है. रक्षाबंधन ब्राह्मण का मुख्य त्यौहार है, इस दिन श्रावणीकर्म करके नया यज्ञो पवीत धारण करने का विधान है. इसे सभी लोग मनाते है, बहन-भाई को राखी बांधती है. 

       दशहरा क्षत्रियवर्ण त्यौहार है, शस्त्र, मशीन, वाहन आदि की पूजा होती है. शौर्य और विजय के इस पर्व को सभी लोग मनाते हैं. 

       दीपावली वैश्यवर्ण त्यौहार है, कुबेर-लक्ष्मी,धन-सम्पत्ति, नवान्न की पूजा होती है. सभी उत्साह से मनाते हैं. तथा होली शूद्रवर्ण त्यौहार है. इसमें वसंत के रंगों से रोमांचित होकर सभी मस्ती करते हैं और एक-दूसरे से बिना किसी भेदभाव के गले मिल कर सौहार्द से त्यौहार मनाते हैं. 

          इतिहास मे रक्षा बंधन के सन्दर्भ मे अनेक कहानी हैं, मेवाड की रानी करमवती ने मुग़ल राजा हुमायु को राखी भेजकर रक्षा की याचना की थी. 

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     सबसे प्रसिद्ध कहानी द्वापर युग की प्रभु श्री कृष्ण और द्रोपदी की हैं. शिशुपाल को मारने प्रभु ने सुदर्शन चक्र का प्रयोग किया तब उसकी उंगली मे चोट आनेपर खून देखकर सब इधर उधर कपड़ा लेने दौड़ने लगे तब माता द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी फाड़कर उंगली पर बांध दी थी. इसका बदला श्री कृष्ण ने चिर हरण के समय अखंड लंबी साड़ी भेजकर द्रौपदी के लाज की रक्षा की थी. तबसे रक्षा बंधन का त्यौहार प्रचलित होकर मनाया जाता हैं. 

        कुदरत के साथ खिलवाड करोंगे तो कुदरत आपके साथ खिलवाड करेगा. समुद्र हमेशा निर्मल रहना पसंद करता है. मनुष्य कचरा – गंदगी समुद्र में डालता है, मगर समुद्र उसे कभी स्वीकार करता है ? नहीं. वह गंदगी को, किनारे पर लाकर वापिस जमीन पर फेंक देता है. 

          सनातन ( हिन्दू ) धर्म में समुद्र को पवित्र समुद्र देव मानते है. लोग श्रद्धा से उसकी पूजा करते है. विशेष करके कोली – माछी समाज का समुद्र से सबसे ज्यादा वास्ता है. क्योकि समुद्र से उनका पेट पलता है. मच्छी मारी करके वो अपना जीवन निर्वाह करते है. 

       बारिस में समुद्र में मच्छी मारी करनेके लिये सरकार द्वारा बंदी किया जाता है. मरीन नेवी वाले पहरी कानून का उल्लंधन करने वाले को पकड़कर कानूनी कार्यवाई करते है. इसके पीछे का यह कारण है कि बारिस में समुद्र तूफानी हो जाता है. तेज हवा और अति वृस्टि के कारण पचास साठ फुट तक उपर मोजे उठते है, जिससे जान का ख़तरा बढ़ जाता है, 

        तो दूसरी और यही मछली ओके प्रजनन का समय भी होता है. अतः कुछ महीने तक उनको बड़े होनेका समय दिया जाता है. आज टेक्नोलॉजी इतनी बढ़ गयी है कि तूफान चक्रवात की खबर हवामान खाते को चल जाती है, और समय पर वायरलेस संदेश द्रारा बोट को सचेत कर दिया जाता है और जान हानि होनेसे बच जाती है. 

        हर साल सावन महीने में नारियल पूर्णिमा से सरकार का प्रतिबंध उठा लिया जाता है. ईस दिन कोली समाज पारम्पारिक वस्त्र परिधान करके बहोत बडा उत्सव मनाते है. बच्चे से बुजुर्ग तक बैंड बाजा वाजिंत्र के नाद पर नाचते गाते समुद्र की पूजा करने जाते है और सोने का नारियल बनाकर समुद्र को अर्पण करके समुद्र में विसर्जित किया जाता है. दूसरे दिन से कोली समाज समुद्र में मच्छी मारी करना शुरू करते है,

      नारियल पूर्णिमा की खासियत यह है की यह त्यौहार मच्छी मारी करने वाले सभी क्रिश्चन, मुस्लमान या अन्य धर्म के लोग इसे धूम धाम से मनाते है. 

       आज ही के दिन हिन्दू समाज के लोगो मे समुद्र की पूजा करके समुद्र को नारियल अर्पण करनेकी प्रथा है.  

     कोली समाज सिर्फ मच्छी ही नहीं पकड़ते. देश की पहरेदारी का काम भी करते है. आंतकवादीओ के उपर उनकी नजर गरुड़ जैसी रहती है. शंकास्पद गतिविधि की जानकारी तुरंत तट रक्षक दल को देते है. 

       काला समुद्र का नाम आप लोगोने सुना होगा. क्योकि वहा का पानी काला होता है. ऐसे ही सेकड़ो समुद्री मिल के अंतर के बाद पानीका रंग बदलते दिखता है, कभी नीला तो कभी लाल तो कभी सफ़ेद तो कही जगह पर काला रंग दृष्टिमान होता है. 

      दुनिया में पांच महासागर ( समुन्दर ) है, जैसे की 

(1) हिन्द महासागर.(2) प्रशांत महासागर. (3) अटलांटिक महासागर. (4) उत्तर ध्रुवीय महासागर. (5) दक्षिण ध्रुवीय महासागर. 

दुनिया में 71% भू भाग ( जमीन ) है तो 29% जल भाग ( पानी ) है. दुनिया के मुख्य सात महा द्रीप है. समुद्र कही कही तो हिमालय की चोटी की ऊंचाई से भी गहरा है. आज भी विदेशों में माल भेजनेके लिये समुद्र प्रमुख जल श्रोत माना जाता है. 

         हमारा भारत देश तीन बाजूसे पानीसे घेरा हुआ है, विशाल सागर किनारा मच्छीमारी को प्रोत्साहित करता है. 

     मच्छीमारो को कोली , माछी , माजी, आदि नाम से पहचाना जाता है. हिन्दू , मुसलमान , क्रिश्चन हर धर्म के लोग मच्छी मारी करते है. 

    नारियल पूर्णिमा का त्यौहार हमारे ऋषि मुनि ओके समय से आदि काल से मनाया जाता है. समुद्र देव की पूजा मतलब वरुण देव की पूजा. वरुण देव हमें पानी देता है. पानी के बिना जीवन संभव नहीं. पानी से अन्न धान्य की उत्पति होती है. बिजली बनती है जो हमें जीवन निर्वाह के लीये जरुरी है. 

     नारियल पूर्णिमा ब्राह्मणों का बड़ा त्यौहार है. कई लोग ब्राह्मणों के हाथ राखी बंधवाते है और यथा शक्ति दान, दक्षिणा देते है. भाविक श्रद्धालु भक्त ब्राह्मणों का पाव छू कर उनका आशीर्वाद लेते है. ब्राह्मण भी मंत्रोचार करके धार्मिक रीती रिवाज़ के अनुसार राखी बांधकर लम्बे, स्वस्थ, आयुष्य का आशीर्वाद देते है. 

      आजकल देश की कई महिलाये सरहद के जवानो को राखी बांधकर देश की सुरक्षा की याचना करती हैं. 

        गावोंमें नारियल पूर्णिमा के दिन नारियल फोडनेकी प्रतियोगिता होती है. दो खिलाडी हाथ मे नारियल लेके एक दूसरे के नारियल पर प्रहार करते है. जिसका फुट जाता है उसकी हार होती है और वो अपना फूटा हुआ नारियल जितने वाले को दे देता है. इस रसम को देखने अनेक लोग हाजिर रहते है. 

     कहा जाता है की जल जो ना होता तो जल जाता जग. पृथ्वी अग्नि का गोला है, जो ऊपर से ठंडा मगर अंदर जल रहा लावा है. सहिमे जल के बिना जीवन नहीं होता. 

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                              शिव सर्जन

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