वाहनों के पीछे लिखने वाली शायरी.

Truck ki sharyri

कई लोग अपनी गाड़ी के पीछे कुछ न कुछ लिखते हैं, जो या तो वो मजेदार शायरी होती है या किसी फिल्म का सुपर – डुपर डायलॉग होता है, या फिर ज्ञान की बात होती है. ज्यादातर ट्रक आर्टिस्ट अपने ट्रक के पीछे शायरी, डायलॉग आदि लिखते हैं.

ट्रक ड्राईवर शेरो शायरी, गजल, दर्दभरे गानों को सुनने के बहुत शौकीन होते है और सफ़र के दौरान वह इन्ही से मनोरंजन करते है.

ऐसी ही कुछ मजेदार बात लेकर आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं…..

*** धीरे चलोगे तो बार-बार मिलोगे,

तेज चलोगे तो हरिद्वार मिलोगे.

*** मालिक की गाडी,

ड्राइवर का पसीना,

चलती है रोड पर,

बन कर हसीना.

*** मरना हो तो मरो अपने

वतन की मिट्टी के लिए

हसीना भी दुपट्टा उतार देगी

कफन के लिए.

*** ये नीम का पेड़ चन्दन से कम नहीं,

हमारा लखनऊ लन्दन से कम नहीं.

*** फूल है गुलाब का

चमेली का मत समझना,

आशिक हूं आपका

सहेली का मत समझना.

*** चलती है गाड़ी, उड़ती है धूल,

जलते है दुश्मन खिलते है फूल.

*** हमारी चलती है तो….

लोगों की जलती है.

*** भगवान ही बचाये इन तीनोसे,

डॉक्टर, पुलिस और हसीनाओसे.

*** कोई कहता है प्यार

नशा बन जाता है,

कोई कहता है प्यार

सज़ा बन जाता है,

पर प्यार करो अगर

सच्चे दिल से,

तो प्यार जीने की वजह

बन जाता है.

***

मोहब्बत की शमा जला कर तो देखो,

ये दिलो की दुनिया सज़ा कर तो देखो,

तुझे हो न जाए मोहब्बत तो कहना,

ज़रा हमसे नजरे मिला कर तो देखो.

*** कुत्ता भी बिना वजह नहीं भौंकता.

***

नियत अच्छी है तो, भाग्य तेरी दासी है,

कर्म अच्छे हैं तो घर में मथुरा काशी है.

*** वाहन चलाते समय,

सौंदर्य दर्शन ना करें,

वर्ना देव दर्शन हो जायेगे.

*** यह तूफान मेल से कम नहीं,

और किसी में इतना दम नहीं.

*** बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला.

***

ट्रक का केबिन होता है बडा सुहाना..

होता उसमें ही खाना, पीना और सोना.

*** गुलाम थे तो हम सब हिंदुस्तानी थे,

आज़ादी ने हमें ️हिन्दू – मुसलमान

बना दिया.

*** मेरी ख़ामोशी में सन्नाटा भी है,

शौर भी है, तूने देखा ही नहीं,

आँखों में कुछ और भी है.

*** जिन्हें वाकई बात करना आता है,

वो लोग‍ अक्सर खामोश रहते है.

*** न कोई नजर बुरी होती है न कोई

मुंह काला होता है,

सब कुछ करने वाला तो भाई ऊपर

वाला होता है !

*** ताउम्र ग़ालिब ये भूल करता रहा,

धूल चेहरे पर थी और,

आइना साफ़ करता रहा.

About पत्रकार : सदाशिव माछी -"शिव सर्जन"

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