“विक्रम और बेताल की कहानी” | Vikram Aur Betaal

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” विक्रम और बेताल” की कहानी को बेताल पच्चीसी के नाम से भी जाना जाता है. यह 25 कहानियों का संग्रह है, इस संग्रह मे कई प्ररेणादायक कहानियां शामिल हैं. सभी कहानियों को बेताल (एक पिशाच) तब सुनाता है, जब राजा विक्रम उसे जंगल से पकड़कर एक योगी के पास ले जा रहे होते हैं. हर बार बेताल रास्ता लंबा होने के कारण राजा विक्रम को कहानी सुनाता है. ये सभी जिन कहानियों का संग्रह विक्रम बेताल की कहानियों के नाम से प्रसिद्ध है.

कहानी सुनाने से पहले बेताल, राजा के सामने एक शर्त रखता है कि अगर कहानी खत्म होने के बाद उसने मुंह से आवाज निकाली, तो वो वापस उड़कर पेड़ से लटक जाएगा. उधर, जब भी बेताल कहानी सुनाकर खत्म करता, तो राजा एक सवाल पूछता और कहता, राजन अगर तुमने जवाब पता होने पर भी नहीं दिया, तो मैं तुम्हारा सिर तोड़ दूंगा.

इस वजह से राजा को मजबूर होकर जवाब देना पड़ता था और पहली शर्त के अनुसार राजा के बोलते ही बेताल वापस जाकर पेड़ से उल्टा लटक जाता था. इस तरह बेताल ने राजा को 25 कहानियां सुनाई थी.

प्रस्तुत है विक्रम और बेताल की एक कहानी

ब्राह्मण के चार विद्वान बेटे :

कुसुमपुर नगर में एक राजा राज्य करता था. उसके राज्य में एक ब्राह्मण था, जिसके चार बेटे थे. लड़के बड़े होने पर ब्राह्मण मर गया और ब्राह्मणी उसके साथ सती हो गयी. उनके रिश्तेदारों ने उनका धन छीन लिया. वे चारों भाई नाना के यहाँ चले गये. लेकिन कुछ दिन बाद वहाँ भी उनके साथ बुरा व्यवहार होने लगा, तब सबने मिलकर सोचा कि कोई विद्या सीखनी चाहिए यह सोच करके चारों, चार दिशाओं में चल दिये.

कुछ समय बाद वे विद्या सीखकर मिले तब एक ने कहा, “मैंने ऐसी विद्या सीखी है कि मैं मरे हुए प्राणी की हड्डियों पर मांस चढ़ा सकता हूँ।” दूसरे ने कहा, मैं उसके खाल और बाल पैदा कर सकता हूँ.” तीसरे ने कहा, “मैं उसके सारे अंग बना सकता हूँ” चौथा बोला, “मैं उसमें जान डाल सकता हूँ।”

एक दिन वे अपनी विद्या की परीक्षा लेने जंगल में गये. वहाँ उन्हें एक मरे शेर की हड्डियाँ मिलीं.उन्होंने उसे बिना जाने पहचाने ही उठा लिया. फिर एक ने माँस डाला, व दूसरे ने खाल और बाल पैदा किये, तीसरे ने सारे अंग बनाये और चौथे ने उसमें प्राण डाल दिये. फिर क्या शेर जीवित हो उठा और चारो को खा गया.

यह कथा सुनाकर बेताल बोला, कि ” हे राजन , बताओ कि उन चारों में से शेर बनाने का अपराध किसने किया ?”

राजा ने कहा, “जिसने प्राण डाले उसने, क्योंकि बाकी तीन को यह पता ही नहीं था कि वे शेर बना रहे हैं. इसलिए उनका कोई दोष नहीं है.”

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