“विशालकाय हाथी.” Elephant

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” हाथी जिंदा हो तब लाख का , अगर मरा तो सवा लाख का” यह कहावत पुरानी है. आज हाथी की कीमत लाख की नहीं रही बल्कि लाखों की हो गयी है. 

  ( हाथी चलता है, तो कुत्ते भोंकते है. ) ( हाथी के दांत खानेके अलग , दिखाने के अलग ), ( चींटी को कण , हाथी को मण ) आदि कहावत मशहूर है. 

    पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्री गणेश जी का मुह हाथी का लगा हुआ है, अतः लोग भक्ति भाव से हाथी को सम्मान देते है. पृथ्वी पर से विशाल काय प्राणी डायनोसोर के लुप्त होने के बाद वर्तमान एक मात्र हाथी ही जमीन पर रहने वाला सबसे बड़ा प्राणी है. 

      ज्यादातर हाथी हमें एशिया और अफ्रीका महाद्वीप के मैदानों में दिखाई देते हैं. हाथी की तीन प्रजातियाँ ओमे से हाल सिर्फ दो प्रजातियाँ ही जीवित हैं. एक ऍलिफ़स और दूसरी लॉक्सो डॉण्टा व तीसरी प्रजाति मॅमथस अब विलुप्त हो चुकी है.

         हाथी की त्वचा की मोटाई तीन सेंटीमीटर तक होती है. सफ़ेद रंग के हाथी को एल्बिनो कहा जाता है. उसको पवित्र माना जाता है और इनसे कोई काम नहीं लिया जाता है. 

        हाथी में लगभग 28 दांत होते हैं. हाथी दांतो की वजह से हाथी का अवैध शिकार किया जाता है. हाथी की सूंड 10 फीट तक लम्बी होती है. जो उसे गंध और स्वास लेनेके लिये काम आती है. हाथी की सूंड उसके हाथ की तरह उपयोग में आती है. यह एक सिक्के जैसी छोटी वस्तु से लेकर 270 किलो वजन तक के लकड़ी के गट्ठर या छोटा पेड़ को आसानी से उठा लेता है.     

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     हाथी अपनी सूंड का इस्तेमाल पानी पीने के लिए करता है. हाथी अपनी सूंड से एक बार में करीब 14 लीटर पानी खींच लेता है और फिर उसे अपने मुँह से पी लेता है. 

        हाथी के पैर मोटे खम्बों की तरह होते हैं, जिसकी वजह उसे खड़े रहने के लिए बहुत ही कम शक्ति की आवश्यकता होती है. हाथी खड़े-खड़े ही आराम करते है.

       हाथी घास, पेड़ों की छाल और पत्तियाँ खाता है.हाथी अपनी सूंड का उपयोग हाथ की तरह करता है हाथी वनों में अकेले ही घूमते हैं या फिर अन्य नर हाथियों के साथ समूह बनाकर रहता हैं.

             हाथी का गर्भकाल ज़मीनी जीवों में सबसे अधिक लंबा 22 महीनों का होता है. अधिकांशतः बच्चे वर्षा ऋतु के अंतिम दिनों में पैदा होते हैं. हाथी के बच्चों को बछड़ा या बछड़ी कहा जाता है कुछ लोग उसे मदनिया भी कहते है.

       जन्म के समय उनका वजन करीब 90 किलोग्राम होता है. और इसकी ऊँचाई 1 मीटर तक होती है. नर, हाथी चौदह से पंद्रह वर्ष की आयु में यौन परिपक्वता पा लेते हैं और मादा 15 से 16 वर्ष की आयु में पहले बच्चे को जन्म देती है. 

      हाथी की श्रवण शक्ति और घ्राणेन्द्र शक्ति बहुत अच्छी होती है . पानी की गंध को यह 4.5 किलोमीटर की दूरी से ही सूंघ सकता है, हाथी को पानी बहुत पसंद आता है, अतः इन्हें नदियों और तालाबों में नहाते देखा जा सकता है .  

       हाथी अच्छे तैराक भी होते हैं. ये नियमित रूप से स्नान करते है. हाथी की आयु करीब 50 से 70 वर्ष तक की होती है. हालाकि सबसे दीर्धायु हाथी 82 वर्ष का दर्ज किया गया है. 

       हाथीदांत में नक्काशी सरलता से हो जाती है, अतः कलाकारों ने इसे महत्ता दी हैं जिसके कारण भारी संख्या में विश्व में हाथियों का विनाश हो रहा है 

          हाथी दांत की अनेकों कलात्मक चीजे बनाई जाती है. हाथी के दांत की चुडिया गुजरात तथा राजस्थान मे पहनी जाती है. मगर वह महंगी मिलती है. 

     हाथी के उपर राजेश खन्ना की बनी फ़िल्म, ” हाथी मेरा साथी ” सुपरहिट गयी थी. हाथी के उपर अनेक फ़िल्मी तथा बाल गीत बने है. जैसे ” हाथी राजा कहा चले.” ” दो मोठे हाथी झुमके चले ” 

      राजा लोग हाथी को ट्रेनिंग देकर लड़ाई मे उतारते थे. उपरांत किले के दरवाजे को तोड़नेके लिये हाथीओ का उपयोग किया जाता था. दिलीप कुमार , मधुबाला और पृथ्वी राज कपूर की ऐतिहासिक फ़िल्म ” मुगल ए आज़म ” मे कई हाथीओको, लड़ाई के मैदान मे दिखाए गये है. 

      राजेश खन्ना की, “हाथी मेरे साथी ” हिंदी फ़िल्म हाथी के करतब के उपर बनी थी जो सुपर डुपर हिट हुई थी. 

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