हिल स्टेशनो की “रानी” उदगमंडलम (UDAGAMANDALAM ), (ऊटी)

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हमारे भारत के तमिलनाडु राज्य के नीलगिरी जिले में स्थित ऊटी शहर भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है, जो अपनी अति खूबसूरत वादियों, प्राकृतिक सौंदर्य, हरे भरे बगीचों, और सुंदर हिल स्टेशन के रूप में मशहूर है. यहां के चाय के बागान, नेशनल पार्क, और आकर्षक माउंटेन व्यूज से पर्यटकों को प्रभावित करता हैं.

ऊटी शहर नीलगिरि पहाड़ियों में बसा एक नयन रम्य हिल स्टेशन हैं जो अपनी असली प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है. हरियाली और सुहावने मौसम से लदी इस रिजॉर्ट टाउन को “हिल स्टेशनों की रानी” कहा जाता है.

आश्चर्यजनक खूब सूरत नज़ारों, विशाल चाय के बागानों और शांत झीलों से लेकर झरने और भव्य बगीचों तक, यहां एक्सप्लोर करने और अनुभव करने के लिए बहुत कुछ मौजूद है. आप भी अगर इस खूबसूरत हिल स्टेशन के लिए ट्रिप प्लान बना रहे हैं, तो इस लेख में आज हम आप लोगों को घूमने की सारी जानकारियां देते हैं.

ऊटी, तमिलनाडु राज्य, दक्षिण-पूर्वी भारत में स्थित है. ऊटी का पुराना नाम “उटकमंड” और “उदगमंडलम था. ऊटी मैसूर से लगभग 126 किमी की दुरी पर बसा हुआ शहर हैं.

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ऊटी में दर्शनीय स्थल संक्षिप्त में :

(1) एवलांच झील झील :

ऊटी से करीब 28 किमी दूरी पर स्थित, एवलांच झील ऊटी टूर पर जाने वालों के लिए ज़रूर देखने जैसा है. ये पहाड़ों और नयन रम्य हरियाली के बीच खूबसूरती से बसी यह झील आगंतुक को मंत्रमुग्ध कर देती है. यह 1800 के आसपास एक बड़े भूस्खलन के कारण बनी थी.

यह ट्राउट मछली पकड़ने के लिए लोकप्रिय है और इसके लिए आवश्यक उपकरण ट्राउट हैचरी से लिए जा सकते हैं. आस-पास के क्षेत्रों और इसके दुर्लभ वनस्पतियों और जीवों की खोज के साथ-साथ, यहाँ लोकप्रिय अन्य कई गतिविधियाँ हैं , कैम्पिंग, राफ्टिंग और ऊपरी भवानी जैसे कई आस-पास के पहाड़ी क्षेत्रों में ट्रेकिंग. यह एक आदर्श पिकनिक स्थल भी है.

(2) ऊटी झील :

ऊटी झील के दर्शनीय स्थलो में से एक ऊटी झील सुंदर घूमने लायक स्थल है. यह एक कृत्रिम झील है जिसे मछली पकड़ने के उद्देश्य से बनाया गया था. यह झील बोटिंग के लिए लोकप्रिय है. पर्यटक इसके शांत पानी पर सवारी का आनंद लेते है. झील के पास बोटिंग हाउस स्थित है, जहाँ किराए पर कई तरह की नावें उपलब्ध हैं. झील के किनारे साइकिल चलाना भी एक निजी अनुभव है. झील के आस-पास कुछ दुकानें भी हैं, जहाँ स्थानीय रूप से बनी कई तरह की चीज़ें मिलती हैं.

( 3) एमराल्ड झील :

नीलगिरि जिले में एमराल्ड गांव के पास स्थित एमराल्ड झील साइलेंट वैली नामक स्थान पर स्थित है. यह ऊटी से लगभग 25 किमी दूर स्थित है. यह एक खूबसूरत झील है जो पिकनिक के लिए एक आदर्श स्थान है जहाँ आप आराम कर सकते हैं और अपने प्रियजन के साथ कुछ अच्छा समय बिता सकते हैं. झील के आस-पास के चाय के बागान इसकी सुंदरता में चार चाँद लगाते हैं. यहाँ से सूर्योदय और सूर्यास्त का नज़ारा बेहद खूबसूरत है जो देखने पर्यटक यहां तक आते हैं.

(4) सरकारी बॉटनिकल गार्डन :

करीब 55 हेक्टेयर में फैले, ऊटी बॉटनिकल गार्डन में देशी और विदेशी पौधों और पेड़ों की लगभग एक हजार प्रजातियां हैं. साथ ही यह उद्यान रंगीन नीलगिरि पक्षियों का भी घर है, जो पेड़ों और बाड़ों में अपना घोंसला बनाते रहते हैं. यहां टहलते हुए लोगों को सुख शांति का अनुभव होता है.

यहां पर सजावटी पौधों, बोन्साई पौधे, फर्न, जड़ी-बूटियों और दुर्लभ पेड़ों की एक विस्तृत श्रृंखला है. आप सुबह में 7 बजे से शाम 6:30 बजे के बीच में कभी भी यहां घूमने जा सकते हैं. बच्चों के लिए यहां एंट्री फीस 15 रुपए है तो वही बड़ों के लिए 30 रुपए है. यह तमिलनाडु के बागवानी विभाग द्वारा संचालित हैं.

उद्यान फ़र्न हाउस, लोअर गार्डन, इटैलियन गार्डन, कंज़र्वेटरी और नर्सरी जैसे पाँच खंडों में विभाजित है. ऊटी समर फ़ेस्टिवल के एक भाग के रूप में यहाँ आयोजित होने वाला पुष्प शो यहाँ का मुख्य आकर्षण है.

(5) हिरण पार्क :

ऊटी झील से 2 किमी की दूरी पर स्थित, हिरण पार्क सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है. सांभर और चीतल जैसे हिरणों की किस्मों के साथ अपने समृद्ध जीव-जंतुओं के साथ डियर पार्क एक मनभावन यात्रा है. जो खासकर वन्यजीव उत्साही लोगों के लिए देखने जैसा हैं. 22 एकड़ के क्षेत्र में फैले इस पार्क की स्थापना 1986 में हुई थी. यह न केवल तमिलनाडु बल्कि भारत के प्रसिद्ध वन्यजीव अभयारण्यों में से एक है, जो वन्यजीवों और विभिन्न जानवरों को करीब से देखने का अद्भुत अवसर प्रदान करता है.

(6) डोड्डाबेट्टा पीक :

करीब 2623 मीटर की ऊंचाई पर स्थित डोड्डाबेट्टा पीक नीलगिरी की सबसे ऊंची चोटी है. पश्चिमी और पूर्वी घाट के जंक्शन पर, यह ऊटी से करीब 10 किमी दूरी पर है. घने शोलों से ढका यह शिखर ट्रेकर्स का पसंदीदा स्थान है. चोटी के शीर्ष से दृश्य बिल्कुल मंत्रमुग्ध कर देने वाला है, चोटी पर एक दूरबीन घर है जिसमें दो दूरबीनें हैं जो आसपास की घाटी का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करती हैं. यहाँकी समृद्ध वनस्पतियाँ और जीव जंतु डोड्डाबेट्टा पीक के समग्र आकर्षण को बढ़ाते हैं.

(7) कलहट्टी झरने :

ऊटी से लगभग 13 किमी दूर, ऊटी-मैसूर रोड पर, कलहट्टी झरना ऊटी टूर पर देखे जाने वाले सबसे अधिक खूबसूरत झरनों में से एक है. इस झरने तक कलहट्टी गांव से 2 मील की चढ़ाई करके पहुंचा जा सकता है. ऐसा माना जाता है कि महान हिंदू संत अगस्त्य कभी यहां रहते थे. समृद्ध पक्षी जीवों के साथ, यह अक्सर पक्षी देखने वालों द्वारा भी देखा जाता है। इसकी प्राकृतिक सुंदरता मंत्रमुग्ध कर देती हैं.

(8) कामराज सागर बांध :

सागर बांध पिकनिक और फिल्म शूटिंग के लिए एक लोकप्रिय स्थान, यह बांध ऊटी बस स्टैंड से करीब 10 किमी दूर स्थित है. सैंडीनल्लाह जलाशय के नाम से भी जाना जाने वाला यह बांध सुंदर परिवेश के साथ ही शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करता है जहाँ पर्यटक आराम से कुछ समय बिता सकते हैं. एक लोकप्रिय पिकनिक स्थल होने के साथ-साथ, यह पक्षी देखने और मछली पकड़ने के लिए भी पर्यटकों द्वारा दौरा किया जाता है.

(9) मुदुमलाई राष्ट्रीय उद्यान :

ऊटी मैसूर मार्ग पर पूर्वी घाट और पश्चिमी घाट को जोड़ने वाला मुदुमलाई राष्ट्रीय उद्यान ऊटी की यात्रा पर प्रकृति प्रेमियों के लिए एक और जगह है. इस राष्ट्रीय उद्यान में कई जंगली जानवर और समृद्ध पक्षी जीव-जंतु हैं, साथ ही उतनी ही समृद्ध वनस्पतियाँ भी हैं. इसे बाघ अभयारण्य भी घोषित किया गया है क्योंकि यह लगभग 50 बाघों का घर है. यदि आप इच्छुक हैं तो आप पार्क के विभिन्न स्थानों पर वन विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए कई गेस्ट हाउसों के माध्यम से आवास प्राप्त कर सकते हैं.

(10) मुकुर्थी राष्ट्रीय उद्यान :

मुकुर्थी नेशनल पार्क अपनी मनमोहक प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध प्रकृति के बीच हर किसी को यादगार समय बिताने का वादा करता है. 80 वर्ग किलोमीटर में फैले इस राष्ट्रीय उद्यान में कई धाराएँ और नदियाँ बहती हैं, जो इस जगह के समग्र आकर्षण को बढ़ाती हैं. पानी के स्रोतों के आसपास कई जानवर और पक्षी देखे जा सकते हैं. राष्ट्रीय उद्यान के अंदर कुछ वॉच टावर भी स्थित हैं. यह ट्रेकिंग के लिए भी एक लोकप्रिय स्थल है.

(11) नीडल रॉक व्यू-पॉइंट :

गुडालुर से लगभग 8 किमी दूर स्थित, नीडल रॉक व्यू-पॉइंट आसपास की घाटी और क्षेत्रों का एक मंत्रमुग्ध करने वाला 360 डिग्री का दृश्य प्रस्तुत करता है. गुडालुर ऊटी से लगभग 51 किमी दूर है. इसे सूचिमलाई के नाम से भी जाना जाता है, यह ट्रेकिंग के लिए भी एक लोकप्रिय स्थान है. इस व्यू पॉइंट को इसका नाम इसलिए मिला क्योंकि इसका आकार सुई जैसा है. बादलों का पहाड़ियों से मिलना, उन्हें देखना नयन रम्या हैं.

(12) ऊटी रोज गार्डन :

ऊटी में घूमने के लिए रोज़ गार्डन एक और लोकप्रिय जगह है. तमिलनाडु सरकार द्वारा संचालित यह उद्यान 4 हेक्टेयर भूमि में फैला हुआ है और इसमें 20 हज़ार से ज़्यादा किस्म के गुलाब हैं. यह एक अच्छी तरह से बनाए रखा गया उद्यान है, इसे वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ़ रोज़ सोसाइटीज़ से दक्षिण एशिया के लिए गार्डन ऑफ़ एक्सीलेंस अवार्ड जीतने का भी गौरव प्राप्त है. गुलाब की बेमिसाल खूबसूरती एक शानदार नज़ारा पेश करती है और फोटोग्राफी के लिए एक आदर्श पृष्ठभूमि है.

(13) ऊटी टॉय ट्रेन :

नीलगिरि माउंटेन रेलवे का एक हिस्सा, ऊटी टॉय ट्रेन हर ऊटी टूर का एक अभिन्न अंग है. यह मेट्टुपलायम से कुन्नूर होते हुए ऊटी तक चलती है. इस ऐतिहासिक टॉय ट्रेन की सवारी किसी भी अन्य ट्रेन की सवारी से बेजोड़ है; हरे-भरे दृश्य और लुभावने नीलगिरि पहाड़ों से गुज़रते हुए ट्रेन 46 कि.मी. के ट्रैक पर चलती है. चुनने के लिए प्रथम श्रेणी और द्वितीय श्रेणी के कोच हैं.

(14) जनजातीय अनुसंधान केंद्र :

ऊटी से करीब 10 किलोमीटर की दुरी स्थित, ट्राइबल रिसर्च सेंटर स्वदेशी लोगों के जीवन की झलक पेश करता है. दक्षिण भारत की आदिवासी जन जातियों के जीवन पर शोध करने के साथ-साथ, इसमें एक अच्छी तरह से सुसज्जित पुस्तकालय भी है. इसमें कलाकृतियों को प्रदर्शित करने वाला एक संग्रहालय भी है. सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकने वाला यह स्थान स्थानीय लोगों के जीवन को समझने के लिए एक आदर्श स्थान है.

(15) पार्सन्स वैली जलाशय :

पारसन घाटी जलाशय पारसन घाटीमें स्थित है, जो समुद्र तल से करीब 2,196 मीटरकी ऊँचाई पर स्थित 200 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है.ऊटी मैसूर मार्ग पर स्थित, यहाँ सड़क मार्ग से पहुँचा जा सकता है. वन विभाग से अनुमति मिलने के बाद इस जलविद्युत जलाशय में प्रवेश किया जा सकता है. यह नीलगिरि जिले के लिए पानी का प्राथमिक स्रोत है. जलाशय के चारों ओर घाटी का नज़ारा देखने लायक है.

(16) पाइकारा झरना :

ऊटी मैसूर रोड पर स्थित यह झरना ऊटी से लगभग 20 किमी दूरी पर है. पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित यह जगह झरने की प्राकृतिक सुंदरता और आसपास की हरियाली को निहारते हुए आराम करने के लिए आदर्श है. झरने के पास बोट हाउस और एक रेस्तरां भी है, जहाँ आप पानी की प्राचीन धाराओं की सुंदरता को देखते हुए स्नैक्स का आनंद ले सकते हैं. आसपास इलाका टोडा बस्तियों के लिए लोकप्रिय है.

(17) सेंट स्टीफंस चर्च :

19वीं शताब्दी में निर्मित सेंट स्टीफन चर्च अपनी वास्तुकला की सुंदरता और धार्मिक महत्व के कारण ऊटी में घूमने लायक जगह है, इस चर्च के अंदरूनी हिस्से खूबसूरत हैं. अंतिम भोज की पेंटिंग के साथ चित्रित कांच की खिड़कियां विशेष रूप से आकर्षक हैं ऐसा कहा जाता है कि इस चर्च के निर्माण में इस्तेमाल की गई लकड़ी श्रीनंगापटना के साथ-साथ टीपू सुल्तान पैलेस से भी लाई गई थी.

(18) ऊटी स्टोन हाउस :

ऊटी में बना पहला बंगला स्टोन हाउस है. इसका निर्माण जॉन सुलिवन ने 1822 में करवाया था. स्थानीय लोग इसे काल बंगला कहते थे, इसे टोडा लोगों से लाई गई जमीन पर बनाया गया था. इसकी प्राचीन वास्तुकला देखने लायक है. इस बंगले को देखने के लिए कई पर्यटक यहां आते हैं.

(19) टोडा हट्स ऊटी :

ऊटी में सबसे आकर्षक और अनोखी दर्शनीय जगहों में से एक टोडा हट्स हैं. ये ऊटीकी स्वदेशी जनजातियों में से एक टोडा लोगों के रहने की जगह हैं. झोपड़ियाँ अर्ध-बैरल के आकार में बनाई गई हैं. इन झोपड़ियों में कोई खिड़कियाँ नहीं हैं और बहुत कम दरवाज़े हैं जहाँ आपको झुककर अंदर जाना पड़ता है.

एक बार जब आप झोपड़ी के अंदर पहुँच जाते हैं तो वहाँ खड़े होने के लिए भी जगह होती है. टोडा लोगों का यह घनिष्ठ समुदाय जीवनयापन के लिए ज़्यादातर मवेशी चराने और खेती पर निर्भर करता है.

(20) वैक्स वर्ल्ड ऊटी :

शहर के केंद्र से 2 किमी की दूरी पर स्थित, वैक्स वर्ल्ड निश्चित रूप से ऊटी में देखने लायक जगह है. यहाँ महान भारतीय हस्तियों की कई असली जैसी मूर्तियाँ प्रदर्शित की गई हैं. इस संग्रहालय में कुछ मूर्तियाँ महात्मा गांधी, बाल गंगाधर तिलक, संत मदर टेरेसा, गोपाल कृष्ण गोखले, स्वर्गीय डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और कई अन्य लोगों की हैं. यहाँ स्थानीय लोगों और उनकी जीवन शैली की प्रतिकृतियाँ प्रदर्शित की गई हैं.

(21) वेनलॉक डाउंस ऊटी :

……80 एकड़ से ज़्यादा की हरियाली से भरपूर इस जगह में हिंदुस्तान फोटो फिल्म्स कंपनी भी मौजूद है, जो हरियाली और शांत वातावरण का एक बड़ा विस्तार पेश करती है. प्रकृति के सुकून भरे स्पर्श और शांत वातावरण के बीच यहाँ टहलना, जहाँ हवा के साथ पक्षियों और पत्तियों की चहचहाहट के अलावा कुछ भी नहीं है, कुछ ऐसा है जो आपके ऊटी टूर को पूरा करेगा. भेड़ों को चरते हुए देखना और यूकेलिप्टस के पेड़ों की लंबी-लंबी कतारें आपको मंत्रमुग्ध कर देंगी.

( 22) मुरुगन मंदिर :

तमिलनाडु के तमाम शहरों की तरह ऊटी में भी कुछ शानदार वास्तुकला वाले मंदिर हैं. एल्क हिल पर स्थित मुरुगन मंदिर भी एक ऐसा ही भव्य मंदिर है. जिसकी वजह से इस जगह पर हर साल हज़ारों की संख्या में पर्यटक आते हैं. भगवान मुरुगन को समर्पित यह मंदिर ऊटी के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में गिना जाता है. इस मंदिर में भगवान के भक्तों के द्वारा किया जाने वाला कावड़ी अट्टम नृत्य यहां का मुख्य आकर्षण है.

(23) प्यकारा जलप्रपात :

शहर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित प्यकारा जलप्रपात ऊटी के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है. यह जलप्रपात देवदार के वृक्षों से घिरा एक बहुत ही शानदार पिकनिक स्थल है. इस जगह पर लोग स्पीडबोट सवारी का आनंद ले सकते हैं. यह जगह नेचर वॉक के लिए भी काफ़ी अनुकूल है, चीड़ के पेड़ों के बीच से होकर आप लंबी सैर कर सकते हैं. इस जगह पर बोट हाउस और रेस्तरां आदि भी मौजूद है जहां पर आप तरह तरह के खानपान का भी आनंद ले सकते हैं. इस जगह पर पानी की ख़ूबसूरती देखते ही बनती है. पानी की धाराओं की सुंदरता इस जगह पर आने वाले पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती है.

ऊटी जाने का उपयुक्त समय :

वैसे ऊटी घूमने के लिए सही समय का चुनाव करने की जरूरत ही नहीं है. यहाँ साल के 12 महीने पर्यटक आते हैं. फिर भी थोड़ा विस्तार से देखें तो मार्च से मई तक यहाँ वसंत ऋतु रहती है. इस दौरान हल्के तापमान, खिले हुए फूलों और साफ नीले आसमान को देखा जा सकता है.

यह समय दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए बिल्कुल उपयुक्त होता है. जून से सितंबर चार महीने तक यहाँ मानसून रहता है. जो प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श माना जाता है. इस दौरान ऊटी के हरे-भरे दृश्यों के जादू का अनुभव किया जा सकता है. अक्टूबर और नवंबर का महिना यहाँ शरद ऋतु का समय होता है. इस दौरान मौसम सुहावना बना रहता है.

अब बात करें दिसंबर से ले कर फरवरी तक की, तो इन महीनों में ऊटी की सर्दी महसूस किया जा सकता है. इस दौरान चाय बागानों की यात्रा और होटल रूम के चिमनी के पास आराम करते हुए चाय/कॉफी की चुस्की लेना आपके ट्रिप को यादगार एल्बम में बदल देगी।

ऊटी के बारे में रोचक तथ्य :-

(1) *** ऊटी ब्रिटिश काल में मद्रास प्रेसिडेंसी की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी

(2) *** सन 1822 में, कोयंबटूर के तत्कालीन कलेक्टर जॉन सिविलिअन ने ऊटी में स्टोनहाउस बनवाया, जो अब गवर्मेट आर्ट कॉलेज के प्रधानाचार्य का चैंबर है.

(3) *** ऊटी ने ब्रिटिश काल के समय में विकास किया और चाय, सागोन, और सिनकोना का उत्पादन शुरू किया

(4) *** यहां चाय और कॉफी के बहुत सारे बागान हैं.

(5) *** ऊटी में भोजन में अंग्रेजी और भारतीय मसालों का सम्मिश्रण देखा जा सकता है.

(6) *** ऊटी विश्व प्रसिद्ध हनीमून डेस्टिनेशन है और इसे “पहाड़ों की रानी” भी कहा जाता है.

(7) *** ऊटी पहले टोंगा आदिवासियों का गढ़ था. इसे “उटकमण्डलम” भी कहा जाता है.

( 8)*** ऑस्कर विजेता “द एलीफेंट व्हिस्परर्स” की शूटिंग तमिलनाडु के इस खूबसूरत स्थान पर हुई थी, जो देखने लायक है.

पर्यटक ऊटी कैसे पहुंचें ?

“ऊटी” तमिलनाडु राज्य के नीलगिरी में स्थित एक हिल स्टेशन है. यह चेन्नई और बैंगलोर जैसे महत्वपूर्ण शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है. ऊटी तक पहुँचने का तरीका प्रस्तुत है.

(1) हवाई जहाज से :

निकटतम हवाई अड्डा कोयंबटूर में है जो हिल स्टेशन से करीब 100 किमी दूर स्थित है. हवाई अड्डे से टैक्सी सेवाएँ उपलब्ध हैं. कोयंबटूर चेन्नई, बैंगलोर, मदुरै और हैदराबाद सहित कई दक्षिण भारतीय शहरों से हवाई मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है.

(2) ट्रेन से :

मेट्टुपालयम ऊटी से करीब 47 किमी दूर सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है. कोयंबटूर और चेन्नई से मेट्टुपालयम के लिए नियमित ट्रेनें हैं. मेट्टुपालयम और कोनूर भी टॉय ट्रेन द्वारा ऊटी से जुड़े हुए हैं.

(3) सड़क मार्ग द्वारा :

ऊटी सड़क मार्ग से दक्षिण भारत के कई मुख्य शहरों से जुड़ा हुआ है. मैसूर, बेंगलुरु, मदुरै और कन्याकुमारी तथा केरल के कई शहरों से ऊटी के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं. दक्षिण भारत के कई शहरों में ट्रेवल एजेंट ऊटी के लिए पैकेज ट्रिप भी ऑफर करते हैं.

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