अंक एक से नव की दिलचस्प कहानी.

एक बार 1 से 9 अंक लाइन में खड़े थे. अचानक 9 अंक ने 8 अंक को एक जोरदार धक्का मारा. 8 अंक बोला कि आपने मुजे क्यू धक्का मारा ? इसपर 9 अंक बोला कि चुप बैठ. तू मुझसे छोटा है. तू सहन करनेका. समाज में ऐसा ही होता है. बड़ा आदमी छोटा आदमी को हमेशा दबाता है. तेरा जन्म ही दबने के लिए हुआ है.

तू छोटा है इसीलिए तू मुजे कुछ कर भी नहीं सकता. अतः तेरे नसीब में बड़ो से दबना ही लिखा है. 8 नंबर चुप तो हो गया मगर उसने पीछे खड़े हुए 7 अंक को धक्का मारा. वो गिरते गिरते बचा. वो आग बबूला हो उठा, मगर 8 अंक बोला कि तू चुप रह जा. में तेरे से बड़ा हूं, इसीलिए तुझे मुजसे डरना ही होगा. दुनिया हमेशा कमजोर को दराती है. तू मुझसे छोटा है. तू कर भी क्या सकता है.

अंक 7 ने गुस्सा होकर अंक 6 नंबर को धक्का मारा. और बोला कि तू छोटा है इसीलिए अन्याय को सहन करना सीखो वर्ना तेरा जिना हराम हो जायेगा. तू कोर्ट कचहरी तक जायेगा तो मैं तेरे वकील को खरीद लूंगा, इसीलिए भलाई इसमे है कि तू सहन कर. चुप रहे.

अंक 6 नंबर दुनियादारी समज गया और उसने अंक 5 को एक धक्का मारा. अंक 5 ने अंक 4 को धक्का मारा. 4 अंक ने अंक 3 को धक्का मारा. अंक 3 ने अंक 2 को धक्का मारा. अंक 2 ने अंक 1 नबर को धक्का मारा.

अंक 1 नबर रोने लगा और कहने लगा. मैं तो सबसे छोटा हू. मैं किसको धक्का मारु. क्या मुजे हमेशा ऐसे बड़े लोगोंसे डरते रहने का. उस समय जीरो (0) नंबर दूरसे सब देख रहा था. वो 1 अंक के पास आया और बोला यदि हम दोनों साथ मिलकर खड़ा रह जाते है तो अन्य 8 अंक की मजाल है कि वो हम को कुछ कर सके.

दोनों अंकों ने यहीं किया शून्य 1 अंक की बगल में खड़ा रह गया. अब दोनोंकी ताकत 10 अंक बन चुकी थी. दोनों अंक 9 के आगे 10 अंक बनकर खड़े हो गये. अब उनकी ताकत अंक 9 से ज्यादा हो चुकी थी. ये देखकर अंक 9 चुप हो गया.

मित्रो ये छोटीसी कहानी हमें बहुत कुछ कह जाती है. हमारे संगठन में शक्ति होती है. एक अकेला रहे तो हमें कोई भी डरा धमका सकता है. मगर यदि हम मिलकर रहे तो हमारा कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता

About पत्रकार : सदाशिव माछी -"शिव सर्जन"

View all posts by पत्रकार : सदाशिव माछी -"शिव सर्जन" →