अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ( ICJ )

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अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ( INTERNATIONAL COURT OF JUSTICE ) संयुक्त राष्ट्र का मुख्य न्यायिक भाग है. इसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा सन 1945 में की गई थी, और संयुक्त राष्ट्रसंघ के घोषणा पत्र के अंतर्गत इसका उद्घाटन अधिवेशन 18 अप्रैल 1946 के दिन विधिवत प्रारंभ किया गया था. इसका मुख्यालय (पीस पैलेस) शांति महल हेग (नीदरलैंड) में विध्यमान है.

         इसकी अधिकारिक भाषाएँ अंग्रेजी और फ्रेंच है. इसके प्रशासनिक व्यय का तमाम खर्चा संयुक्त राष्ट्र संघ वहन करता है. अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में 15 जज होते हैं, जो संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद् द्वारा नौ वर्षों के लिये चुने जाते हैं. इसकी कार्य साधक संख्या (कोरम) नव है. यह न्यायालय में नियुक्ति पाने के लिये प्रत्याशी को महासभा और सुरक्षा परिषद् दोनों में बहुमत प्राप्त करना होता है. हर तीसरे साल इन 15 न्यायधीशों में से पांच दुबारा चुने जा सकते है. 

         इन न्यायाधीशों की नियुक्ति उनकी राष्ट्रीयता के आधार पर न होते, उच्च नैतिक चरित्र, योग्यता और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के प्रति उनकी सुजबुझ के आधार पर होती है. 

        यहां पर एक ही देश से दो न्यायाधीश नहीं हो सकते हैं. अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में पहले भारतीय मुख्य न्यायाधीश डॉ. नगेन्द्र सिंह थे. संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार इसके सभी 193 देश के सदस्य इस न्यायालय से न्याय पाने का अधिकार रखते हैं. हालाँकि जो देश संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य नहीं है वे भी यहाँ न्याय पाने के लिये अपील कर सकते हैं.

      न्यायालय द्वारा सभापति तथा उप-सभापति का निर्वाचन और रजिस्ट्रार की नियुक्ति की जाती है. यहां सभी मामलों पर अंतिम निर्णय न्यायाधीशों के बहुमत से होता है. सभापति को निर्णायक मत देने का अधिकार होता है. न्यायालय का निर्णय अंतिम होता है तथा इस पर पुनः अपील नहीं की जा सकती है, परंतु कुछ मामलों में पुनर्विचार किया जा सकता है.     

      अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय ( ICJ ) संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख भागो में से, एकमात्र ऐसा भाग है जो कि न्यूयॉर्क में स्थित नहीं है. इसका अधिवेशन छट्टियों को छोड़कर हमेशा चालू रहता है. 

      भारतीय जज के तौर पर यहां पर श्री दलवीर भंडारी हैं. दलवीर भंडारी को आईसीजे में नवम्बर 2017 में दुबारा चुन लिया गया है. आईसीजे में अपने पुन:निर्वाचन के लिए भंडारी और ब्रिटेन के क्रिस्टोफर ग्रीनवुड के बीच कांटे की टक्कर थी लेकिन ब्रिटेन ने अपना प्रत्याशी वापस ले लिए था इस कारण भंडारी की जीत पक्की हो गयी थी. भंडारी का कार्यकाल 9 साल का होगा. 

श्री दलवीर भंडारी के बारेमें कुछ विशेष :

*** न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी वर्ष 2005 में सर्वोच्च  न्यायालय के न्यायाधीश बने थे.

*** मई 2016 में वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी, कोटा द्वारा डॉक्टर ऑफ़ लेटर्स डिग्री की प्राप्ति.

*** 2014 में, भारत के राष्ट्रपति ने भंडारी को पद्म भूषण,    भारत में तीसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार प्रदान किया.

*** भंडारी को उत्तरी पश्चिमी विश्वविद्यालय लॉ स्कूल,  शिकागो, संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा, अपनी 150 साल 

(1859 -2009) की सालगिरह समारोह में, अपने 16  सबसे प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों में से एक मानते चुना गया था

 *** टुमकुर विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ लॉ (एलएलडी)  डिग्री की प्राप्ति की थी.  

      संयुक्त राष्ट्र महासभा में भंडारी को कुल 193 में से 183 वोट मिले थे जबकि सुरक्षा परिषद् में सभी 15 मत भारत के पक्ष में गये. इस चुनाव के लिए न्यूयॉर्क स्थित संगठन के मुख्यालय में अलग से मतदान करवाया गया था. 

 अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय को अपनी मर्जी के हिसाब से नियम बनाने की पूरी शक्ति प्राप्त है. न्यायालय की न्यायिक प्रक्रिया, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय नियमावली,1978 के अनुसार चलती है जिसे 29 सितंबर 2005 को संशोधित किया था .

        वादी को यहां केस दर्ज करवाने से पहले न्यायालय के अधिकार क्षेत्र और अपने दावे के आधार पर एक लिखित आवेदन पत्र देना पड़ता है.

       इस न्यायालय में मामलों की यदि न्यायालय चाहे तो सुनवाई बंद अदालत में भी कर सकता है. यहां सभी प्रश्नों का निर्णय न्यायाधीशों के बहुमत से होता है. सभापति को निर्णायक मत देने का अधिकार है. न्यायालय का निर्णय अंतिम होता है, उसकी अपील नहीं हो सकती किंतु कुछ मामलों में पुनर्विचार न्यायालय चाहे तो होता है.

        गत साल अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में भारत की ओर से दायर कुलभूषण यादव के केस की सुनवाई मे अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने पाकिस्तान सरकार को आदेश दिया था कि कुलभूषण को तब तक फांसी ना दी जाये जब तक कि सभी विकल्पों पर विचार ना कर लिया जाये.

       अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय की कार्यप्रणाली काफी जटिल होती है. बहुत लम्बी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. इसके बावजूद अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय विश्व में कई देशों के बीच पेचीदा मामलों को सुलझाकर शांति स्थापित करा चुका है.

न्यायालय की कुल संख्या के एक तिहाई सदस्य हर तीन साल में चुने जाते हैं और ये न्यायाधीश पुन: चुनाव के पात्र होते हैं.

न्यायालय के 15 न्यायाधीश निम्नलिखित क्षेत्रों से लिये जाते हैं:

1. अफ्रीका से = 3.

2. लैटिन अमेरिका और कैरेबियन देशों से = 2.

3. एशिया से = 3.

4. पश्चिमी यूरोप और अन्य राज्यों से = 5.

5.पूर्वी यूरोप से = 2.

     वर्तमान (26 जुलाई, 2019) में अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय का स्वरूप कुछ इस प्रकार है :

न्यायाधीश का नाम देश

 (1) अब्दुलकावी अहमद यूसुफ (अध्यक्ष)

 (2) सोमालिया , पीटर टॉमका – स्लोवाकिया

 (3) शू हानकिन, (उपाध्यक्ष) – चीन.   

 (4) रॉनी अब्राहम – फ्राँस. 

 (5) दलवीर भंडारी- भारत. 

 (6) एंटोनियो ऑगस्टो ट्रिनडाडे- ब्राज़ील.

 (7) जेम्ल रिचर्ड क्रॉफोर्ड- ऑस्ट्रेलिया. 

 (8) मोहम्मद बेनौना -मोरक्को

 (9) जोआन ई. डोनोह्यू- अमेरिका.

 (10) जॉर्जिओ गजा-इटली.

 (11) पैट्रिक लिप्टन रॉबिंसन- जमैका. 

 (12) जूलिया सेबुटिंडे -युगांडा

 (13) किरिल गेवोर्जिअन- रूसी संघ. 

(14) तस्सदुक हुसैन गिलानी -पाकिस्तान

(15) नवाज़ सलाम- लेबनॉन

(16) यूजी इवसाव,जापान. 

किसी एक न्यायाधीश को हटाने के लिए बाकी के न्यायाधीशों का सर्वसम्मत निर्णय जरूरी है. न्यायालय द्वारा सभापति तथा उपसभापति का निर्वाचन और रजिस्ट्रार की नियुक्ति की जाती है.

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