“अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष.”

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सनातन हिंदू धर्म प्रणाली में नारी को माता के पवित्र रूप में देखा जाता है. माता का मतलब जननी होता है. मां को ईश्वर से भी बढ़कर माना जाता है. क्योंकि पृथ्वी पर जन्म लेनेवाले ईश्वर की जन्मदात्री भी एक नारी ही होती है.

तारिख : 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. यह सभी महिलाओं को मान-सम्मान देने के उदेश्य से इंटरनेशनल विमेंस डे के रूप दुनियाभर में मनाया जाता है.

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को मनाने का प्रथम विचार एक मजदूर आंदोलन से हुआ था. ई. सन 1908 में 15 हज़ार महिलाओं ने न्यूयॉर्क शहर में एक रैली निकाली थी. उनकी की मांग थी नौकरी के घंटे कम किया जाय, काम के हिसाब से वेतन दिया जाय और महिलाओको मतदान का भी अधिकार दिया जाय.

इस वारदात के ठीक एक साल बाद सोशलिस्ट पार्टी ऑफ़ अमरीका ने 8 मार्च को पहला राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित कर दिया था.

स्त्री को सौंदर्य का प्रतिक माना जाता है. स्त्री को सजना-संवरना, श्रृंगार करना बहुत पसंद होता है. मनुस्मृति मे उल्लेख है कि जिस घर के पुरुष अपनी पत्नी, माता या बहन को अच्छे वस्त्र प्रदान करते हैं, उस घर पर परम पिता परमेश्वर हमेशा प्रसन्न रहते हैं. ऐसे घर में हमेशा सुख-शांति बनी रहती है और सभी कामों में सफलता भी मिलती है. शास्त्रों में स्त्री को घर की लक्ष्मी माना जाता है.

सनातन हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्त्व विशेष होता है. और नवरात्रों में छोटी कन्याओं में माता का रूप देखा जाता है. अष्टमी व नवमी तिथि के दिन तीन से नौ वर्ष की कन्याओं का पूजन किए जाने की हमारे यहां परंपरा है. सनातन धर्म ग्रंथों के अनुसार तीन वर्ष से लेकर नौ वर्ष की कन्याएं साक्षात माता का स्वरूप मानी जाती है.

भारत के सबसे प्राचीन हिंदू ग्रन्थ मनुस्मृति में नारी के बारेमें कहा गया है कि, ” यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ” भावार्थ : जहाँ नारीओकी पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं.

हिंदू शास्त्रों के अनुसार दो साल की कन्या को कुमारी कहा जाता है, तीन साल की कन्या को त्रिमूर्ति, चार साल की कन्या को कल्याणी, पांच साल की कन्या को रोहिणी, छ: साल की कन्या को कालिका, सात साल की कन्या को चंडिका, और आठ साल की कन्या को शाम्भवी, नौ साल की कन्या को दुर्गा और दस साल की कन्या को सुभद्रा मानी जाती हैं. कन्याओको भोजन कराने के बाद दक्षिणा देनी चाहिए. इस से महामाया भगवती माता प्रसन्न होकर मनोरथ पूर्ण करती हैं.

शास्त्रों का कहना है कि एक कन्या की पूजा से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. दो की पूजा से भोग और मोक्ष. तीन की पूजा अर्चना से धर्म, अर्थ व काम. चार की पूजा से राज्यपद. पांच की पूजा से विद्या. छ: की पूजा से छ: प्रकार की सिद्धि. सात की पूजा से राज्य. आठ की पूजा से संपदा और नौ की पूजा से पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है.

नारी को ईश्वर ने कोमल बनाया है मगर कमजोर नहीं. ये कल्पना चावला बनकर अंतरिक्ष में उदयन कर सकती है. ये झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई बनकर अन्याय के खिलाफ अपनी तलवार उठा सकती है. ये महा रानी अहिल्याबाई होल्कर बनकर मानवता की भलाई के लिये अनेक धार्मिक कार्य कर सकती है.

जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी ” अर्थात माता और मातृभूमि का स्थान स्वर्ग से भी ऊपर होता है.”

भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी, दुर्गा व लक्ष्मी आदि का यथोचित मान सम्मान दिया गया है अत: उसे हमें उचित सम्मान देना हमारा उतरदायित्व बनता है.

शादी से पहले वो किसीकी बेटी, बहन होती है. शादी के बाद वो पत्नी, बहु, भाभी, ननद, मामी, चाची, बुआ,

और माँ आदि अनेक नाम से पहचानी जाती है. वो कोल्हू के बैल की तरह कार्य करते रहती है. घर-परिवार संतान के जन्म के बाद तो उनकी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है. और एक आम महिला का जीवन कब बीत जाता है, पता ही नहीं चलता.

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