अंबानी से करोड़ गुना बड़ा   राजा था, ” मनसा मूसा.”

masna musha

             भारत में सबसे अधिक धनिक शख्स की बात करें तो हमारी आंखों के सामने श्री मुकेश अंबानी जी की तस्वीर दृष्टिगोचर होती है. वर्तमान में फोर्बस के सर्वेक्षण के अनुसार, अमेजॉन के संस्थापक श्री जेफ बेरोज़ इस समय दुनिया के सबसे रईस शख्स हैं. उनके पास 175 बिलियन डॉलर की संपत्ति है. लिस्ट के अंदर टॉप 5 में एक भी भारतीय नहीं है. हालांकि, 6 नंबर पर मुकेश अंबानी ने अपनी जगह बनाई है. 

        इतिहास में एक से बढ़कर एक राजा महाराजा धनिक हो गये जिनकी संपत्ति अन गिनत थी. ऐसा ही एक राजा श्री ” मनसा मूसा ” हो गया , जिनकी गिनती इतिहास में दुनिया के सबसे अमीर राजा के रुप में की जाती है. वो अंबानी और टाटा से करोड़ों गुना अमीर था. आपको जानकर हैरानी होंगी कि ये शख्स, मुकेश अंबानी की कुल संपत्ति से ज्यादा सोना वो दान कर देता था.

        राजा मूसा का जन्म सन 1280 में राजसी परिवार में हुआ था. राजा मूसा जब छोटे थे, तब उनके बड़े भाई एक अभियान से वापस नहीं आ पाए , तब उन्हें उनकी विरासत का साम्राज्य मिला था. मूसा माली देश के राजा थे. उस समय माली देश सोना और अन्य कीमती सामानों का प्रमुख मुख्य व्यापारिक केंद्र था. इससे माली देश के पास दुनिया का आधा सोना होता था . 

          मनसा मूसा वो मुसलमान राजा था जो इतिहास का सबसे अमीर शख्स माना जाता था. उनके पास सोना का भंडार था. इतिहास कार मानते है कि मनसा मूसा की दौलत के बारे में पुख्ता अनुमान लगाना मुश्किल है. वो टिम्बकटू के राजा थे. मूसा की माली सल्तनत पर उस समय हुकूमत थी. उनका असली नाम मूसा कीटा प्रथम था . लेकिन तख़्त पर बैठने के बाद वो मनसा नाम से प्रसिद्ध हुए, जिसका मतलब बादशाह होता है.

      आज के मॉरीटानिया, सेनेगल, गांबिया, गिनिया, बुर्किना फासो, माली, नाइजर, चाड और नाइजीरिया तब मूसा की सल्तनत का हिस्सा हुआ करता थे. राजा aमनसा मूसा ने कई मस्जिदों का निर्माण कराया जिनमें कई आज भी मौजूद हैं.

टिम्बकटू का जिंगारेबेर मस्जिद मनसा मूसा के दौर में बनी उन मस्जिदों में से एक है जो आज भी मौजूद हैं. 

       मनसा मूसा की दौलत का हिसाब आज के समय मे लगाना एक मुश्किल काम है. फिर भी एक अंदाजा है कि मनसा मूसा के पास 4,00,000 मिलियन अमरीकी डॉलर के बराबर की दौलत थी. भारतीय मुद्रा में ये रकम करीब ढाई लाख करोड़ रुपये होती है. 

      अमेज़न के संस्थापक जेफ़ बेज़ोस दुनिया के सबसे रईस शख्स घोषित किए हैं जिनके पास 1,06,000 मिलियन अमरीकी डॉलर की दौलत है. मनसा मूसा के पास जेफ़ बेज़ोस से कहीं ज्यादा दौलत थी.

        इसके बावजूद अगर मुद्रास्फीति को ध्यान में रख भी लिया जाए तो मूसा की दौलत का हाल के जीवित या मृत रईस लोगों से तुलना की जाय तो हमें पता चलता हैं कि रॉथस्काइल्ड फ़ैमिली के पास 3,50,000 मिलियन अमरीकी डॉलर और जॉन डी रॉकफ़ेलर के पास 3,40,000 मिलियन अमरीकी डॉलर के मुकाबले ज्यादा थी.

           एक बार सन 1324 में मनसा मूसा मक्का यात्रा पर निकले थ. इस यात्रा में मनसा मूसा ने साढ़े 6 हज़ार कि. मी. का फ़ासला तय किया था. लोगोंको पता चला की मूसा के कारवां में 60 हज़ार लोग शामिल थे और इनमें 12 हज़ार तो केवल सुल्तान के निजी सेवक थे. मनसा मूसा जिस घोड़े पर सवार थे, उससे आगे 500 लोगों का दस्ता चला करता था जिनके हाथ में सोने की छड़ी होती थी. मनसा मूसा के ये 500 संदेशवाहक बेहतरीन रेशम का लिबास पहना करते थे.

      इनके अलावा इस कारवां में 80 ऊंटों का जत्था भी रहता था, जिस पर 136 किलो सोना लदा होता था. कहा जाता है कि मनसा मूसा इतने उदार थे कि वे जब मिस्र की राजधानी काहिरा से गुजरे तो वहां उन्होंने ग़रीबों को इतना दान दे दिया कि उस इलाके में बड़े पैमाने पर महंगाई बढ़ गई थी. 

         मनसा मूसा की इस यात्रा की वजह से उनके दौलत के क़िस्से यूरोपीय लोगों तक पहुंचे. यूरोप से लोग सिर्फ़ ये देखने के लिए उनके पास आने लगे कि उनकी दौलत के बारे में जो कहा जा रहा है वो सच है.

    मनसा मूसा की दौलत की जब पुष्टि होनेके बाद उस वक्त के महत्वपूर्ण नक़्शे कैटलन एटलस में माली सल्तनत और उसके बादशाह का नाम शामिल किया गया. 14 वीं सदी के कैटलन एटलस में उस वक्त की उन तमाम जगहों का वर्णन है जो यूरोपीय लोगों को मालूम थी.

    सोने का मुकुट और हाथ में सोने की अशर्फ़ी के साथ मनसा मूसा यूरोपीय नक़्शे में अमर हो गये थे. राजा मूसा को ही अफ्रीका में शिक्षा शुरू करने के लिए जिम्मेदार माना जाता है. उनको साहित्य, कला और वास्तुकला में भी काफी रूचि थी. 

           मनसा मूसा ने करीब सन 1312 से सन 1337 तक शासन किया और इसी दौरान उन्होंने अरबों की सम्पत्ति जुटाई थी. 

           मनसा मूसा ने करीब 25 वर्षों तक शासन किया था. वर्तमान दौर का घाना, टिम्बकटू और माली उनके साम्राज्य का हिस्सा था. सन 1337 ( आयु : 57 ) में उनकी मौत के बाद उनके कारोबार को अगली पीढ़ियां संभाल नहीं पाईं. ऐसा माना जाता है कि उन दिनों चले लंबे चले गृहयुद्ध और विदेशी फौजों के आक्रमण के चलते उनके साम्राज्य का आगे पतन हो गया. 

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