अफवाह कानो कान फैलती है. अफवाह को पैर नहीं होते, अफवाह के पंख होते है, अतः कहा जाता हे कि अफवाह उड़ती है. हमारे भारत देश मे अफवा फैलाना कानूनन अपराध है. लोगोंमे फैली बात जो मिथ्या हो अगर जिसकी अधिकारिक तौर पर पुष्टि न हो पाई हो तो उस बातको अफवाह कही जाती है.
अफवाह शंका – कुशंका से जन्म लेती है. अफवाह दंगा फिसाद के समय , कोई घटना, चुनाव के समय, अथवा आंतकवादी विस्फोट या लड़ाई के समय या आजकी तारीख मे कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के लिये फैलाई जाती है.
दो देश के बिच लड़ाई – युद्ध होता है, तब अपने सैन्य और जनता का मनोबल बढ़ाने के लिये जानबुज कर अफवा फैलाई जाती है. जब अपने दस सैनिक मरते हे तो तीन चार बताये जाते है और जब सामने वाले के चार मरते है तो दस बताया जाता है, ताकि सैन्य और लोगोंका हौसला बरकरार रहे. दुनिया का हर देश यहीं बात का अनुसरण करता है.
खास कर चुनाव के दिनों मे अफवाह का बाजार गरम रहता है. चुनाव के एक दो दिन आगे से अफवाह फैलाई जाती हे कि इसीका पल्ला भारी है.जीत तो इसीकी निश्चित है. इसीका जोर ज्यादा है जैसी अफवाह फैलाकर मतदाता को अपनी और खीचनेका प्रयास किया जाता है.
झगड़ा फिसाद के समय कभी कभी यह भी संभव होता है कि बताई गई मृतक कि संख्या वास्तविक संख्या से भी ज्यादा या कम होती है.
दंगा, फिसाद, आंतकवादी हमले के समय समाज कंटको द्वारा कुछ ज्यादा ही अफवाह फैलाई जाती है. ऐसे हमले के समय जितने लोग मरते है उससे कुछ ज्यादा ही आकड़ा बताया जाता है. ऐसी अफवाह कुछ लोग स्वार्थ सिद्धि के लिये फैलाते है. अतः सरकार बार बार ऐलान करती है कि अफवाह पर ध्यान मत दो.
राजकारण मे स्वार्थ सिद्धि के लिये इसका उपयोग ज्यादा किया जाता है. आम सभा के वक्त अपने ही आदमीओ द्वारा मंच पर पत्थर मरवाकर विरोधी पक्ष के कुकर्म का करतूत होने की अफवाह फैलाई जाती है.
रातके अंधेरे मे रमन राघव ने सन 1965 से 1968 के बिच उत्तरीय मुंबई मे करीब 40 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी थी तब उत्तर मुंबई मे ना ना प्रकार की अफवाह फैलाई गई थी. अफवाह का एक मात्र उद्देश्य दहशत फैलाना होता है.
उस समय पूरी मुंबई मे अफवाह का बाजार गरम था. कोई कहता था, वो तो पिशाच शक्ति है. बिल्ली बनकर आता है और आदमी बनकर हत्या करके चला जाता है. तो कुछ लोग अफवाह फैलाते थे की वो कुत्ता बनकर आता है. तो कोई कहता था की वो आदमी को देखकर अदृश्य हो जाता था, और हत्या करता था.
उसके पकडे जानेपर सब साबित हो गया की वो सब की सब फिजूल गलत अफवाह थी. रमन राघव मानसिक रोगी था, और एक सामान्य हत्यारा था.
कभी कभी कोई बीमार अस्पाल मे भर्ती हो ऐसे महान व्यक्ति के मरनेकी अफवाह फैलाई जाती है. अफवाह कानो कान इतनी तेजी से फैलती है के फैलाने वाले का पता लगाना मुश्किल होता है.
हाल चाइना – इटली – भारत -अमेरिका सहित विश्व मे फैला कोरोना वायरस रोग से हजारों लोगो की जान चली गई है. जिसकी असर दुनिया भर मे हुई. भारत मे सोशल मिडिया मे यह अफवाह फैलाई गई थी की चिकन ( मुर्गी ) मे कोरोना के विषाणु पाये गये. 70 प्रतिशत लोगों ने मुर्गी खाना छोड़ दिया जिसकी असर मुर्गी के व्यापार मे हुई.
ऐसीही मुर्गी मे वायरस होनेकी अफवाह सात आठ साल पहले उडी थी. तब अधिकांश लोगों ने मुर्गी खाना बंद किया था. तब भाईंदर मे मुर्गी दस रुपये किलो बिकी थी. मुर्गी का तब वास्तविक भाव 120 से 140 रुपये चालू था.
अफवाह फैलाना मानव सहज़ स्वभाव है. जब ऐसी कोई अफवाह कोई व्यक्ति सुनता हे तो तुरंत दूसरेको बोलकर हवन मे आहुति डालता है. अफवाह फैलाना कानूनन अपराध है.
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