शाम के नव बज चुके थे. मैं मेरा बजाज चेतक स्कूटर पर स्वार होकर घर की तरफ प्रयाण कर रहा था. अमावस्या की रात थी. घनघोर अंधेरा था. उत्तन गांव स्थित भूतबंगला एरिया पास करने के बाद में डोंगरी गांव की और आगे बढ़ रहा था.
सुनसान रास्ते पर स्कूटर की दीप लाइट में मुजे एक सफेद साड़ी पहनी हुई महिला दिखाई पड़ी. वो बस स्टॉप पर खड़ी थी. नजदीक आते ही उसने मुजे स्कूटर रोकनेका इशारा किया. मैंने ब्रेक मारकर स्कूटर ख़डी की. वह तीस – बत्तीस साल की सुंदर महिला थी. उसने मुजसे लिफ्ट मांगी.
मैने पूछा, कि कहा तक जाना है ? उसने कहा, जाना तो मांडली तालाब भाईंदर पश्चिम तक, मगर आपको जहां जाना हो वहां तक मुजे छोड़ दीजियेगा.
मैंने कहा ठीक है बैठ जावो. मुजे आगे भाईंदर पूर्व जाना है. मैं छोड़ दूंगा. तब ” फ्लाई ओवर ब्रिज ” नहीं था. ईस्ट वेस्ट जानेके लिए रेल्वे फाटक पार करना पड़ता था.
मैने कहा, कि मुजे मांडली तालाब होकर ही जाना है. मैने स्कूटर को किक मारकर स्टार्ट किया. मैंने कहा आपको एक पराया पुरुष के साथ वीरान रास्ते से अकेले जाना डर नहीं लगता. उसने कहा, डर तो लगता है पर आप मेरे लिए नया नहीं हो. मैं आपको अच्छी तरह जानती हूं. आप पत्रकार महोदय हो.
हर रविवार आप फ्रेश मच्छी लेने उत्तन जाते हो. मेरी बस छूट गई और दूसरी बस के इंतजार में खड़ी थी, तब आपका स्कूटर आते देखा. धीरे धीरे रास्ता कट रहा था. हम लोग एक दूसरे का परिचय जान रहे थे. उसका नाम किशोरी था. मांडली तालाब स्थित वो अपने दादा के घर रहती थी. बचपन में माता पिता के मृत्यु के बाद, उसका लालन पालन दादा ने किया था.
हम लोगोंने एक दूसरे के मोबाइल नंबर शेयर किये. बात ही बातों में कब मांडली तालाब आ चूका पता ही नहीं चला. मैंने स्कूटर रोका और ऊष्मा भरी विदाई ली.
इस बातको 10 दिन हो गये. एक दिन शाम 4 बजे किशोरी का फोन आया, हैल्लो, मैं किशोरी बोल रही हूं. आपको समय हो तो हम लोग मनोरी बिच गुमने चलें?. नई – नई दोस्ती थी इसीलिए मैं मना नहीं कर सका. स्कूटर निकाला और मांडली तालाब पहुंचा. किशोरी मेरे वहां पहुंचने से पहले ही वो आकर खड़ी थी.
उसको रिसीव करके में आगे बढ़ा.
उस दिन रात के अंधेरे मे मैं उसकी सूरत ठीक से नहीं देख पाया था. किशोरी सुंदर थी. जवान थी. कोई भी उसकी सुंदरता देखकर पागल हो जाये इतनी मादक थी. मनोरी पहुचे. घंटो भर बात चित की. अब तो हमारी दोस्ती प्यार मे बदल चुकी थी.
दो तीन मुलाक़ात के बाद उसने मुजे शादी का प्रस्ताव रखा. किशोरी कुंवारी थी. खूबसूरत थी, मगर मेरा मन कुछ और कह रहा था. कैसे भी करके मैने उस समय उसकी बात को डाइवर्ट कर दिया. उसको पता था, मैं शादीशुदा हूं फिर भी वो शादी करना चाहती थी.
एक बार हम दोनों पाली बिच रिसोर्ट गये थे. वहां मेरा एक मित्र अमित भी आया था. अमित मेरा बचपन का दोस्त था. हम लोग ग्यारहवीं ( मेट्रिक ) तक साथ पढ़े थे. मैंने अमित से किशोरी की पहचान कराई. अमित एक बड़े बिल्डर का बेटा था. हैंडसम था. BMW गाडी मे घूमता था. अरबो की मिलकत थी.
पंद्रह दिन बीत गये. किशोरी का फोन नहीं आया. मित्रों से पता चला कि अब वो अमित के साथ BMW कार मे गुम रही है. मैने मौन रहना पसंद किया. दोनों कुंवारे थे, हैंडसम थे. मैंने उनकी खुशीमे अपनी ख़ुशी देखी. एक दिन अमित, शादी का कार्ड लेकर मेरे घर आया. मुजे सरप्राइस देते बोला कि मेरी और किशोरी की शादी का कार्ड देने आया हूं.
मैंने अमित की पीठ थपथपाई, अभिनंदन का वर्षाव किया. मेरी मिसेस ने चाह नास्ते का बंदोबस्त किया. एक दिन किशोरी का फोन आया बोली कि , आप नाराज तो नहीं हो? मैंने कहा कि, बिलकुल नहीं. वैसे भी मैं शादीशुदा हूं. जो हुआ अच्छा हुआ. आपको भी तो करोड़ों का पति मिला.
एक महीने के बाद निर्धारित समय पर दोनोंकी शादी हो गई. अमित ने भी दिल खोलकर खर्च किया. छह महीने का समय बीत गया. दोनोकी अच्छी खासी गृहस्थी चल रही थी. दोनों खुश थे. एक दिन मुजे अमित का फोन आया की आप मेरे घर अर्जन्ट पहुँचो. उसकी आवाज मे भय स्पष्ट नजर आ रहा था.
मैं गोल्डन नेस्ट स्थित उसके बंगले पर पहुंचा. उसने सब हकीकत बताई. किशोरी तीन चार घंटे से लापता थी. घर मे रखे नगद 50 लाख रुपये गायब थे. किशोरी अपना जेवरात भी साथ लेकर गई थी. अपना मोबाइल घर मे छोड़ गई थी. अमित ने दुःखी स्वर मे बताया कि वो उनके दादा के घर गया तो पता चला कि वो रात से ही अपने भाड़ा का घर छोड़ गया था. उसकी बीस हजार की डिपॉज़िट भी लेकर गया था.
हम लोग समज नहीं पा रहे थे कि ये चोरी का मामला है कि किडनेप का.
हम दोनों ने भाईंदर पुलिस स्टेशन मे कंप्लेंट लिखवाई. पुलिस ने हमारी सब बात सुनी और औपचारिक तक्रार लिखी और तपास करनेका आश्वासन दिया. आठ दिन बीत गये अमित ने बताया कि वो कोलकाता की रहनेवाली थी. उन्होंने अपना पता भी दिया था. अमित कई बार उसे कोलकाता जानेके लिए कहता था, पर वो ताल देती थी.
अमित ने अपनी BMW कार निकाली और कोलकाता प्रयाण किया.
दिये हुए पते पर पहुचे तो पता चला कि वह घर एक निवृत आर्मी का था. उसने हमें बताया कि आप लोग फस चुके हो. बार बार वो हमारा ही पता देती है. अब तक मद्रास, दिल्ली, सूरत और अब आज भाईंदर से ये कंप्लेंट लेकर आये हो. सभी के साथ, एक ही प्रकार का धोका हुआ है.
अब हम समज चुके थे कि अमित पुरी तरह फस चूका है. ये कोई बड़े गिरोह का काम था. किशोरी करोड़ पति अमित को छोड़कर नहीं भागती थी, मगर वो ऐसा नहीं करती तो उनका गिरोह उसे मार देता था.
उसके बाद अमित ने आज तक दूसरी शादी नहीं की और आजीवन विधुर रहने का प्रण लिया….
(समाप्त )