कुछ किताबों के मुताबिक, भारत में करीब 571 किले हैं. ये छोटे-बड़े किले देश के अलग-अलग राज्यों में फैले हैं.
इसमें से राजस्थान में 250 से ज़्यादा किले हैं. ये किले राजपूत शासकों के लिए आश्रय स्थल थे. राजस्थान के कुछ प्रमुख दुर्ग ये रहे…..
बाला किला, अचलगढ़, आमेर दुर्ग, बदनोर किला, बाड़मेर किला, भटनेर किला, चित्तौड़गढ़ किला, देव गिरी किला, गागरोन का किला, गढ़ महल.
राजस्थान के कुछ और दुर्ग :
गुगोर किला, जयगढ़ फ़ोर्ट, जैसलमेर का किला, जालौर किला, झालावाड़ का किला, जूना किला, जूनागढ़ किला, खंडार किला, खेजरला किला, खीमसर किला.
राजस्थान के कुछ पहाड़ी दुर्ग :
कुम्भलगढ़ दुर्ग, केसरोली पहाड़ी दुर्ग. राजस्थान का सबसे प्राचीन दुर्ग भटनेर दुर्ग है. यह हनुमानगढ़ ज़िले में स्थित है.
आज चर्चा करेंगे अलवर के बाला दुर्ग की , जिसे 52 दुर्गों का लाडला दुर्ग भी कहा जाता है. अलवर, राजस्थान राज्य का एक शहर है, जहाँ पर बाला दुर्ग विद्यमान है. यह किला अरावली की पहाड़ियों पर लगभग 300 मीटर (960 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है, जो शहर का नयन रम्य दृश्य प्रस्तुत करता है.
राजस्थान का हर किला किसी न किसी रियासत की कहानी प्रस्तुत करता है. इन्हीं में से एक है अलवर का बाला किला, जिस पर मुगलों, मराठों और जाटों का शासन रहा. इसे खास करके दुश्मन पर गोलियां बरसाने के लिए तैयार किया गया था. इस किले पर कभी युद्ध नहीं होने के कारण इसे “कुंवारा किला” भी कहा जाता हैं. वर्तमान में यह किला पर्यटन स्थल के रूप में विकसित है.
माना जाता है कि इस किले का निर्माण 1492 में हसन खान मेवाती ने शुरू करवाया था. सन 1775 में इस किले पर माहाराव राजा प्रताप सिंह का राज था, जिन्होंने अलवर की स्थापना की थी. पहाड़ पर बना ये किला उत्तर से दक्षिण दिशा में करीब 5 किलोमीटर तक फैला है. वहीं, पूर्व से पश्चिम में इसकी लंबाई 1.6 किलोमीटर की है.
किले में आने जाने के लिए कुल 6 दरवाजे थे. जिनके नाम (1) जय पोल, (2) सूरज पोल, (3) लक्ष्मण पोल,(4) चांद पोल, (5) किशन पोल और (6) अंधेरी पोल थे.
किला अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है. अंदर से कई भागों में बंटा हुआ है. एक जगह से दूसरी जगह पहुंचने के लिए कई तरफ से सीढ़ियां हैं.
किले के जिस कमरे में जहांगीर ठहरा था, उसे सलीम महल के नाम से जाना जाता है. इस किले में एक दिन बाबर ने भी बिताया था.
बाला किला समुद्र तल से 1960 फुट ऊंचाई पर स्थित है. यह 8 कि.मी. की परिधि में फैला हुआ है. दुश्मन पर गोलियां बरसाने के लिए खास तौर से इसे तैयार किया गया था. दुश्मन पर बंदूकें चलाने के लिए किले की दीवारों में करीब 500 छेद हैं, जिनमें से 10 फुट की बंदूक से भी गोली चलाई जा सकती थी. दुश्मनों पर नजर रखने के लिए 15 बड़े 51 छोटे बुर्ज और 3359 कंगूरे हैं. इस किले पर निकुंभ, खान जादा, मुगलों, मराठों, जाटों राजपूतों का शासन रहा.
बाला किला क्षेत्र में कुंभ निकुंभों की कुलदेवी, करणी माता मंदिर, तोप वाले हनुमान जी, चक्रधारी हनुमान जी मंदिर, सीताराम मंदिर सहित अन्य मंदिर, जय आश्रम, सलीम सागर, सलीम बारादरी स्थित हैं. मंगलवार तथा शनिवार को मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए प्रवेश निशुल्क है.
सरिस्का क्षेत्र में आने के कारण वन विभाग की ओर से दुपहिया और चौपहिया वाहनों के लिए रेट निर्धारित है, जबकि बाला किला में पर्यटकों को प्रवेश निशुल्क है.
वहां तक कैसे पहुंचें :
बाला किला अलवर शहर से 6 कि.मी. दूर पहाड़ी पर स्थित है. जयपोल, लक्ष्मण पोल, सूरजपोल, चांदपोल, अंधेरी द्वार और कृष्णा द्वार से बाला किला तक पहुंचा जा सकता है. किला पर्यटकों के लिए सुबह 10 से शाम 5 बजे तक खुला रहता है.
( समाप्त )