सुरीली आवाज के धनी श्री भूपेन हजारिका का नाम सुनते ही हमें हिंदी फ़िल्म रुदाली का गाना ,
दिल हूम हूम करे, घबराए….
घन धम धम करे, डर जाए….
इक बूँद कभी पानी की…
मोरी अँखियों से बरसाए…
याद आता हैं ईसको लिखा था, गुलजार साहब ने और संगीत से सवारा था, श्री भूपेन हजारिका साहब ने. इस डुएट ( युगल ) गीत को गाया था, कोकिल कंठी लता मंगेशकर जी और सुरो के शहंशाह श्री भूपेन हजारिका जी ने.
उनका जन्म ता : 8 सितंबर 1926 के दिन पूर्वोत्तर राज्य असम ( भारत ) के तिनसुकिया जिले के सदिया गांव मे हुआ था. हजारिका के पिताजी का नाम नीलकांत एवं माताजी का नाम शांति प्रिया था.
हजारिका साहब बहूमुखी प्रतिभा के धनी थे. आप एक उत्तम कवि, लेखक, गीतकार, गायक, संगीतकार, फ़िल्म निर्माता और असम की संस्कृति और संगीत के ज्ञानी थे.
पूर्वोत्तर भारत असम की संस्कृति, लोक संगीत को उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर, बखूबी से हिंदी सिनेमा माध्यम से पेश किया हैं. भूपेन हजारिका को सन 1975 मे सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था.
सन 1987 मे संगीत नाटक अकादमी पुरुष्कार. सन 1977 मे पद्मश्री और सन 2001 मे पद्मभूषण से नवाजा गया था. इसके अलावा उनको सन 1992 मे दादा साहेब फाल्के पुरुष्कार, तथा 2009 मे असम रत्न तथा मुक्ति जोधा पदक से सम्मानित किया गया था. ता : 5 नवम्बर 2011 के दिन उनके निधन के बाद 2019 मे 70 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर उनको मरणोपरान्त भारतरत्न से विभूषित किया गया था.
उनके दो गाने, ” ये गंगा तू बहती क्यों है ” और रुदाली फ़िल्म का हिट गाना, ” दिल हूम हूम करे ” ने लाखों संगीत प्रेमीओको दीवाना बना दीया था. आजभी कई लोग उनके गाने को प्रेम से गुनगुनाते है.
दस संतानों में सबसे बड़े, हजारिका का संगीत के प्रति लगाव अपनी माता के कारण हुआ, जिन्होंने उन्हें पारंपरिक असमिया संगीत की शिक्षा दी थी.
बचपन में ही उन्होंने अपना प्रथम गीत लिखा और दस वर्ष की आयु में उसे गाया था साथ ही उन्होंने असमिया चलचित्र की दूसरी फिल्म इंद्रमालती के लिए सन 1939 में बारह वर्ष की आयु मॆं काम भी किया था.
उन्होंने करीब 13 साल की आयु में तेजपुर से मैट्रिक की परीक्षा पास की थी आगे की पढ़ाई के लिए वे गुवाहाटी गए, सन 1942 में गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज से इंटरमीडिएट किया. 1946 में उन्होंने बनारस हिंदू विश्व विद्यालय से राजनीति विज्ञान में एम ए किया था. बाद मे पढ़ाई के लिए वे विदेश गए और न्यूयॉर्क स्थित कोलंबिया विश्व विद्यालय से उन्होंने पीएचडी की डिग्री हासिल की थी.
भूपेन का बचपन गुवाहाटी में बीता. 10 साल की उम्र में वो असमिया भाषा में गाने गाते थे. फिल्म प्रोडूसर ज्योति प्रसाद अग्रवाल ने उनकी आवाज सुनी और पसंद किया था. श्री हजारिका ने ज्योतिप्रसाद की फिल्म इंद्रमालती में दो गाने गाए. 1936 में कोलकाता में भूपेन ने अपना पहला गाना रिकॉर्ड किया था. मात्र 13 साल की उम्र में हजारिका ने अपना पहला गाना लिखा था. यहीं से उनके सिंगर, कंपोजर और गीतकार बनने का सफर शुरू हो गया था.
पढ़ाई पूरी होने के बाद हजारिका ने गुवाहाटी में ऑल इंडिया रेडियो में गाना शुरू कर दिया था. इसके साथ भूपेन हजारिका बंगाली गानों को हिंदी में ट्रांसलेट कर उसे अपनी आवाज देते थे. हजारिका को कई भाषाओं का ज्ञान था. समय बीतने के साथ वो स्टेज परफॉर्मेंस भी देने लगे. एक बार वो कोलंबिया यूनिवर्सिटी गए थे, यहां उनकी मुलाकात प्रियम्वदा पटेल से हुई, दोनों में प्यार हुआ और यूएस में ही साल 1950 में दोनों ने शादी कर ली.
भूपेन दा देश के ऐसे कलाकार थे, जो अपने गीत खुद लिखते थे, गीतको संगीतबद्ध करते थे और गाते भी थे.
श्री भूपेन हजारिका सेतु या ढोला सदिया सेतु भारत का सबसे लम्बा पुल है. जिसका उद्घाटन ता : 26 मई 2017 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कर दिया गया था. यह 9.15 किलोमीटर (5.69 मील) लम्बा सेतु लोहित नदी को पार करता है, जो ब्रह्मपुत्र नदी की एक मुख्य उप नदी है. इसका एक छोर अरुणाचल प्रदेश के ढोला कस्बे में और दूसरा छोर असम के तिनसुकिया जिले के सदिया कस्बे में है. इस से अरुणाचल प्रदेश और असम के बीच के यातायात के समय में चार घंटे की कमी हुई है. ढोला-सदिया सेतु महाराष्ट्र के मुंबई नगर के बान्द्रा-वर्ली समुद्रसेतु से 3.55 किमी (2.21 मील) अधिक लम्बा है.
रुदाली फ़िल्म का सदाबहार गीत के बोल के साथ आजकी पोस्ट का समापन करुंगा.
दिल हूम हूम करे, घबराए
घन धम धम करे, डर जाए
इक बूँद कभी पानी की
मोरी अँखियों से बरसाए
दिल हूम हूम करे…
तेरी झोरी डारूँ, सब सूखे पात जो आये
तेरा छूआँ लागे, मेरी सुखी डार हरियाए
दिल हूम हूम करे…
जिस तन को छुआ तुने, उस तन को छुपाऊँ
जिस मन को लागे नैना, वो किसको दिखाऊँ
ओ मोरे चन्द्रमा, तेरी चांदनी अंग जलाए
ऊँची तोर अटारी, मैंने पंख लिए कटवाए
दिल हूम हूम करे…
——–=== शिवसर्जन ===—–