आकाश में बिजली क्यों गिरती है?

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बिजली को हम लोग लाइट, प्रकाश, इलेक्ट्रिसिटी, और उजाला जैसे अनेक नामोंसे जानते है. बिना बिजली के, हम लोगोंको अंधेरा दिखाई देता है. मगर आपने कभी सोचा है? आकाश में उपर बिजली कैसे गिरती है?

बारिस के मौसम में आसमान में बादलों के कुछ समूह धनात्मक तो कुछ ऋणात्मक आवेशित होते हैं. धनात्मक और ऋणात्मक आवेशित बादल जब एक-दूसरे के समीप आते हैं तो टकराने से अति उच्च शक्ति की बिजली निर्माण होती है. इससे दोनों तरह के बादलों के बीच हवा में विद्युत-प्रवाह गतिमान हो जाता है. विद्युत-धारा के प्रवाहित होने से रोशनी की तेज चमक पैदा होती है.

आकाशिय बिजली गिरने से कई बार धन या जन हानि होती है. ये कहा जाता है कि मध्य प्रदेश में बिजली गिरने की सर्वाधिक घटनाएं होती हैं. इसके बाद छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा और बंगाल का नंबर आता है. इन राज्यों के अलावा बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक में भी बिजली गिरने की घटनाएं होती रहती हैं.

आकाशिय बिजली गिरने कि घटना ज्यादातर बरसात के दिनोंमे घटित होती है. खुले आसमान, हरे पेड़ के नीचे और पानी के करीब वालों लोग इसकी चपेट में आते हैं. बिजली के खुले वायर और मोबाइल के टॉवर के नजदीक हो तो खतरा बढ़ जाता है.

मोबाइल फोन में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें होती है अगर आप कभी किसी ऐसी जगह पर मौजूद हो जहां बिजली चमक रही हो तो मोबाइल फोन का इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड बिजली को अपनी ओर खींच लेता है. ऐसी स्थिति में बिजली की तरंगे मोबाइल में प्रवेश कर जाती है और विस्फोट हो जाता है, अतः सावधानी बरतना आवश्यक है.

बिजली X-Ray किरणों से लैस होती है. आकाश से गिरने वाली बिजली करीब 4 से 5 किलोमीटर लंबी होती है. इसकी फ्लैश 1 या 2 इंच चौड़ी होती है. इसमें 10 करोड़ volt के साथ 10000 एम्पियर का करंट होता है.

आकाशिय बिजली का तापमान सूर्य के ऊपरी सतह से भी ज्यादा होता है. इसकी क्षमता 300 किलोवॉट यांनी 12.5 करोड़ वॉट से ज्यादा चार्ज की होती है. यह बिजली मिली सेकेंड से भी कम समय के लिए ठहरती है, तो मनुष्य के सिर, गले और कंधोंको सबसे ज्यादा प्रभावित करती है. दोपहर के वक्त में इसके गिरने की संभावना ज्यादा होती है. एक अध्ययन के अनुसार आकाशीय बिजली औरतों से ज्यादा आदमियों को प्रभावित करती है.

बिजली गिरने की स्थिति में क्या करें :

आकाश में बिजली गिर रही हो, और आप कही बाहर हैं तो किसी भी इमारत में आश्रय लेना चाहिए. अगर वहां बिल्डिंग नहीं हैं तो कार, किसी वाहन या कठोर परत वाली जगह के नीचे चले जाना चाहिए. कभी भी पेड़ सुरक्षा का बेहतर विकल्प बिलकुल नहीं हैं, क्योंकि वे बिजली को अपनी ओर खींच सकते हैं.

अगर आप कहीं आश्रय नहीं ले सकते तो कम से कम इलाके की सबसे ऊंचे वस्तु जैसे टावर से दूर रहें. अगर आसपास एक-दो पेड़ हैं तो खुले मैदान में ही कहीं झुककर बैठ जाना सबसे सुरक्षित है.

घर की खिड़कियों, दरवाजे और बरामदे में भी नही जाना चाहिए. घर में किसी धातु के पाइप को भी छूना नहीं चाहिए. हाथ धोने या शॉवर का उपयोग न करें. ऐसे वक्त बर्तन या कपड़े धोने का जोखिम भी न मोल लें.

अगर किसी पानी वाली जगह हैं तो तुरंत बाहर निकलने की कोशिश करें. पानी में छोटी नाव, स्विमिंग पूल, झील, नदी या जल के किसी भी अन्य स्रोत में नाव आदि पर सवार हैं तो तुरंत वहां से निकल जानेकी कोशिश करें.और जब आप बिजली के आवेश में आते हैं तो तुरंत ही जमीन पर लेट जाना चाहिए. वज्रपात जानवरों के लिए भी खतरा है, पेड़ के नीचे बारिश से बचने को खड़े जानवरों पर अक्सर बिजली जानलेवा साबित होती है.

बच्चों को बिजली के किसी भी उपकरण से दूर रखना चाहिए. मोबाइल चार्ज या किसी अन्य उपकरण को प्लग करने के साथ उसका इस्तेमाल बिल्कुल न करें. ज्यादा देर तक बिजली कड़कती है तो स्थानीय राहत और बचाव एजेंसी से संपर्क साधना चाहिये. अगर बिजली चली जाए तो भी इलेक्ट्रिक उपकरणों या स्विच को बार-बार चालू बंद नहीं करना चाहिए.

आपने अक्सर देखा होगा कि आकाश में बिजली की चमक बिजली की गड़गड़ाहट से पहले देखी जाती है. क्योंकि प्रकाश की गति ध्वनि की गति से अधिक है. निर्वात में इसका सटीक मान कुल 29,97,92,458 किमी प्रति सेकेण्ड है, जिसे प्राय: 3 लाख किमी/सेकंड कहा जाता है.

किसी माध्यम जैसे हवा, जल, लोहा में ध्वनि १ सेकेण्ड में जितनी दूरी तय करती है उसे उस माध्यम में ध्वनि का वेग कहते हैं. शुष्क वायु में 20 °C (68 °F) पर ध्वनि का वेग 344 मीटर प्रति सेकेण्ड है. इसीलिए प्रकाश का वेग ध्वनि का वेग से कई गुना ज्यादा होनेकी वजह से हमें आकाश में बिजली की चमक बिजली की गड़गड़ाहट से पहले देखी जाती है

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