सिसली के सिराक्यूज़ शहर मे एक व्यक्ति निर्वस्त्र होकर दौड़ रहा था. वह जोरशोर से चिल्ला रहा था, “यूरेका” “यूरेका”.!!!. यूरेका ( Eureka ) का यूनानी अर्थ होता है,
” मैंने इसे पा लिया !”
ये कोई ओर सामान्य व्यक्ति नहीं था.ये था, यूनानी गणितज्ञ, भौतिक विज्ञानी, अभियंता, महान आविष्कारक और खगोल अग्रणी वैज्ञानिक आर्किमिडीज़. जिन्होंने वस्तुओं के तैरने-डूबने के सिद्धांत की शोध की थी.
आर्किमिडीज़ का नियम :
” यदि कोई वस्तु किसी तरल में आंशिक या पूर्ण रूप से डूबी है तो उसके भार में कमी होती है. भार में यह कमी, उस वस्तु द्वारा हटाये गये तरल के भार के बराबर होती है.”
आर्किमिडीज़ के सिद्धांत का आधुनिक संस्करण कहता है कि,” द्रव में पूरी या अधूरी डूबी किसी भी चीज़ पर एक उत्प्लावन बल लगता है और इस बल का परिमाण हटाए गए द्रव के वज़न के बराबर होता है. अर्थात तैरती हुई वस्तु पर लगने वाला उत्प्लावन बल, उस वस्तु के द्वारा हटाए गए द्रव के भार के बराबर होता है.”
वैज्ञानिक आर्किमिडीज का जन्म ई.पू. 287 मे सेराक्यूस, सिसिली के बंदरगाह शहर में मैग्ना ग्रासिया की एक बस्ती में हुआ था.आर्किमिडीज़ 75 वर्ष तक दुनिया मे जीवित रहे थे. आर्किमिडीज़ के अनुसार उनके पिता का नाम फ़िदिआस था.
आर्किमिडीज़ को अक्सर यांत्रिक उपकरणों का महान डिजाइनर कहा जाता है. उन्होंने अनेक यांत्रिक उपकरणों की शोध की थी, जिसमे उन्होंने भौतिक विज्ञान में जलस्थैतिकी, सांख्यिकी और उत्तोलक के सिद्धांत की व्याख्या की नीव रखी थी. उन्हें नवीनीकृत मशीनों को डिजाइन करने का श्रेय दिया जाता है, इनमें सीज इंजन और स्क्रू पम्प शामिल हैं. आधुनिक प्रयोगों से आर्किमिडीज़ के इन दावों का परीक्षण किया गया है कि दर्पणों का उपयोग करते हुए बड़े जहाजों को आग लगाई जा सकती हैं.
आर्किमिडीज़ की जीवनी उनके मित्र हीराक्लिडस के द्वारा लिखी गयी थी. मगर यह अज्ञात है कि वह शादी शुदा थे या नहीं या उनके बच्चे थे या नहीं. संभवत: अपनी जवानी में आर्किमिडीज़ ने अलेक्जेंड्रिया, मिस्र में अध्ययन किया, जहां सामोस के कोनन और सायरीन के इरेटोस्थेनेज जैसे महान लोग उनके समकालीन थे.
आर्किमिडीज की मृत्यु ई. पू. 212 दूसरे पुनिक युद्ध के दौरान हुई जब रोमन सेनाओं ने जनरल मार्कस के नेतृत्व में दो साल की घेराबंदी के बाद सेराक्यूस शहर पर कब्ज़ा लिया था.
उस वक्त एक रोमन सैनिक ने आर्किमिडीज को आकर जनरल मार्सेलस से मिलने का आदेश दिया था, लेकिन तब उन्होंने यह कहकर इनकार कर दिया कि उन्हें अपनी समस्या पर काम पूरा करना है. इससे क्रोधित होकर सैनिकने अपनी तलवार से आर्किमिडीज़ को मार डाला था.
कहा जाता है कि आर्किमिडीज़ की मृत्यु से जनरल मार्सेलस अतियंत क्रोधित हुए, क्योंकि वे उन्हें एक अमूल्य वैज्ञानिक सम्पति मानते थे और उन्होंने आदेश दिए थे कि आर्किमिडीज़ को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाया जाय. और सम्मान के साथ लाया जाय.
आर्किमिडीज़ ने सेराक्यूस पर आक्रमण करने वाले जहाजोंको जलाने के लिए एक साथ संग्रहित किये गए दर्पणों को एक परवलय परावर्तक के रूप में प्रयोग किया था. जो आग से शत्रु के जहाजों को नष्ट कर देता था. यह उपकरण को ” आर्किमिडीज़ की उष्मा किरण ” कहा जाता है, इसका उपयोग लक्ष्य जहाज पर सूर्य के प्रकाश को फोकस करने के लिए किया जाता था, जिससे अग्नि गरमी से प्रज्जवलित होकर जहाज को जला देती थी. आर्कमिडीज जानता था कि
लकड़ी को जलाने के लिये अपने ज्वलन बिंदु तक पहुंचना जरुरी होता है, जो लगभग 300 डिग्री सेल्सियस तक यांनी (570 डिग्री फारेन्हाईट) होता है.
आर्कमिडीज के बारेमे एक कहानी बडी प्रचलित है. एक बार राजाने उन्हें एक सोनेका मुकुट दीया ओर कहा कि उसे नुकशान कीये या तोड़े बीना ये बताना था की सुनार ने इसमे कोई ओर धातु मिलाई है या नहीं.
एक बार उन्होंने नहाते समय देखा की तब के अंदर जाते समय तब मे पानीका स्तर उपर उठ जाता है.तब उन्होंने यह महसूस किया कि इस प्रभाव का उपयोग मुकुट के आयतन को निर्धारित करने के लिए किया जा सकता है. यदि इसमें सस्ते और कम घनत्व वाले धातु मिलाये गए हो तो इसका घनत्व सोने से कम होगा. फिर क्या था, आर्किमिडीज़ अपनी इस खोज से इतने ज्यादा उत्तेजित हो गए कि वह अपने कपडे पहनना ही भूल गए और निर्वस्त्र अवस्था में गलियों में भागते हुए चिल्लाने लगे….. यूरेका…… यूरेका…… मैंने पा लिया… पा लिया.
सिसरो मे आर्किमिडिज़ का एक मकबरा है, जो एक बेलन के अंदर स्थित गुंबद की तरह है,आर्किमिडीज ने तब साबित किया था कि गोले का आयतन और इसकी सतह का क्षेत्रफल बेलन का दो तिहाई होता है, (बेलन के आधार सहित) और इसे उनकी एक महानतम गणितीय उपलब्धि माना जाता है.
तैरती हुई चीज़ इसलिए तैरती है, क्योंकि उस पर नीचे की ओर लगने वाला बल (यानी उसका वज़न) तथा ऊपर की ओर लगने वाला बल (उत्प्लावन बल) बराबर होते हैं. अर्थात तैरती हुई वस्तु पर लगने वाला उत्प्लावन बल, उस वस्तु के द्वारा हटाए गए द्रव के भार के बराबर होता है. अतः कोई भी तैरती हुई चीज़ भार रहित होती है.
आर्कमिडीज का सम्मान करने चांद की सतह पर एक गड्ढा है जिसे आर्किमिडीज गर्त नाम दिया गया है, साथ ही चाँद की एक पर्वत श्रृंखला को भी आर्किमिडीज़ पर्वतमाला नाम दिया गया है.
इसके अलावा पूर्वी जर्मनी ने ( सन 1973), यूनान ने ( सन 1983), इटली ने ( सन1983), निकारागुआ ने ( सन 1971), सैन मैरिनो ने ( सन 1982) और स्पेन ने ( सन 1963) के वर्ष मे आर्कमिडीज के नामकी डाक टिकट छापकर उनका सम्मान किया गया था.
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