इंफोर्समेंट डायरेक्टरेट ( ED).

       आजकल प्रिंट मीडिया हो या फिर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया हो , या सोशल मीडिया हो. हर जगह ED शब्द सुर्खियों मे है. जानते है अधिक. ईडी (ED) का 

फुल फॉर्म इंफोर्समेंट डायरेक्टरेट होता है. इसको हिंदी में ” प्रवर्तन निदेशालय ” कहा जाता है.

    प्रवर्तन निदेशालय (ED) मुख्य रूप से देखा जाय तो विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) के प्रावधानों के उल्लंघन की जांच करता है. विदेश में किसी तरह की कोई भी प्रकार की संपत्ति खरीदने पर ईडी (Directorate of enforcement) उसकी भी जांच. करता है. 

        ये भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन एक विशेष वित्तीय जांच एजेन्सी है. मुख्यालय नयी दिल्ली में है. प्रवर्तन निदेशक, इसका प्रमुख होता है. पाँच क्षेत्रीय कार्यालय मुंबई, चेन्नई, चंडीगढ़, कोलकाता तथा दिल्‍ली हैं जिनके विशेष निदेशक प्रवर्तन प्रमुख हैं.

       निदेशालय में क्षेत्रीय कार्यालय अहमदाबाद, बंगलौर, चंडीगढ़, चेन्नई, कोच्ची, दिल्ली, गुवाहाटी, हैदराबाद, पणजी ,जयपुर, जालंधर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, पटना तथा श्रीनगर हैं. जिनके प्रमुख संयुक्‍त निदेशक है. निदेशालय में उप क्षेत्रीय कार्यालय भुवनेश्वर, कोझीकोड, इंदौर, इलाहाबाद

मदुरै, नागपुर, रायपुर, देहरादून, रांची, सूरत, शिमला हैं. जिनके प्रमुख उप निदेशक है.

 निदेशालय के कार्य : 

(1) विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) यह अधिनियम तारीख 1 जून 2000 को प्रभावी हुआ था. इसके प्रावधानों के उल्लंघन की जांच तथा निपटान प्रवर्तन निदेशालय के नामित प्राधिकारियों द्वारा किया जाता है. इसके अंतर्गत अर्द्धन्यायिक जांच प्रक्रिया के दौरान उल्लंघन सिद्ध होने की स्थिति में संबंधित व्यक्ति/फर्म/ईकाई के ऊपर संलिप्तन राशि के तीन गुना तक की राशि का आर्थिक दण्ड लगाया जा सकता है.

(2) धनशोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए). इस अधिनियम के अन्तर्गत जांच की प्रक्रिया अन्य अपराधिक कानूनों की तरह ही की जाती है. जांच के दौरान या उपरांत यदि यह पाया जाता है कि संबंधित व्यंक्ति/इकाई ने जो संपत्ति एकत्र की है या बनाई है, वह पीएमएलए में अधिसूचित 28 कानूनों की 156 धाराओं में दण्डित अपराधों के फलस्वरूप अर्जित की गयी है तथा उसके बाद उसका शोधन किया जा चुका है, उस स्थिति में ऐसी सम्पत्ति को अन्तरिम रूप में जब्त किया जा सकता है, व अन्त में उचित अपराधिक न्यायिक प्रक्रिया (मुकदमा) पूर्ण होने पर ऐसी संपत्ति को कुर्क भी किया जाता है.

(3) उन मामलों में जिनमें फेरा 1973 के प्रावधानों के उल्लंघन से सम्बंधित कारण बताओ नोटिस (एस.सी.एन) 31-05-2002 तक जारी किये थे, अर्द्ध न्यायिक प्रक्रिया के बाद निदेशालय के अधिकारी, उचित निर्णय लेते हैं, और यदि उल्लंघन सिद्ध पाया जाता है, तब उचित जुर्माना लगाया जा सकता है. इसी तरह के उन मामलों में, जिनमें अपराधिक केस 31-05-2002 तक न्यायालय में दायर किया गया था, न्यायालय न्याय संगत फैसला करते है.

(4) विदेशी मुद्रा संरक्षण तथा तस्करी गतिविधि निवारण अधिनियम, 1974 (कोफेपोसा) के प्रत्यायोजित मामलों के सम्बन्ध में फेमा का उल्लंघन.

(5) पीएमएलए के प्रावधानों के अंतर्गत धनशोधन तथा परिसंपत्तियों के प्रत्ययन के संबंध में अन्य देशों को सहयोग उपलब्ध कराना और इन मुद्दों पर सहयोग प्राप्त करना आदि कार्य है.

        प्रवर्तन निदेशालय की स्थापना ता : 01 मई, 1956 को हुई थी, जब विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम,1947 (फेरा,1947) के अंतर्गत विनिमय नियंत्रण विधियों के उल्लंघन को रोकने के लिए आर्थिक कार्य विभाग के नियंत्रण में एक प्रवर्तन इकाई गठित की गई थी.

        विधिक सेवा के एक अधिकारी, प्रवर्तन निदेशक के रूप में, इस इकाई के मुखिया थे, जिनके संरक्षण में यह इकाई भारतीय रिजर्व बैंक से प्रति नियुक्ति के आधार पर एक अधिकारी और विशेष पुलिस स्थापना से तीन निरीक्षकों की सहायता से कार्य करती थी. आरंभ में सिर्फ मुम्बई,कलकत्ता में इसकी शाखाएं थी. सन 1957 में इस इकाई का “प्रवर्तन निदेशालय” के रूप में पुनः नामकरण कर दिया गया था तथा मद्रास में इसकी एक और शाखा खोली गई. सन 1960 इस निदेशालय का प्रशासनिक नियंत्रण, आर्थिक कार्य मंत्रालय से हस्तान्तरंत राजस्व विभाग में l कर दिया गया था. समय बदलता गया, फेरा 47 निरसित हो गया और इसके स्थान पर फेरा, 1973 आ गया. चार वर्ष की अवधि (1973-77) में निदेशालय को मंत्रीमण्डल सचिवालय, कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग के प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र में रखा गया था.

     आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया के चलते हुए, फेरा, 1973, जो कि एक नियामक कानून था, उसे निरसित कर दिया गया और ता : 1 जून, 2000 से इसके स्थान पर एक नई विधि – विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) लागू की गई. बाद में, अंतरराष्ट्रीय धन शोधन व्यवस्था के अनुरूप, एक नया कानून धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) बना और प्रवर्तन निदेशालय को दिनांक 1जुलाई 2005 से पीएमएलए को प्रवर्तित करने का दायित्व सौंपा गया था.

       अब आपको ED के बारेमें पत्ता चल चूका होगा की ये अधिनियम कैसे काम करता है. इससे अच्छे अच्छो की हालत ख़राब हो चुकी है. समाप्त 

(सोर्स साभार विकिपीडिया )

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