” इतिहास का सबसे जहरीला राजा ” अबुल फत-नासिर-उद-दीन महमूद शाह

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महमूद शाह प्रथम को ही “महमूद बेगड़ा” के नामसे जाना जाता है. इसका पूरा नाम “अबुल फत नासिर-उद-दीन महमूद शाह प्रथम ” था. महमूद गुजरात का छठा सुल्तान था. सुल्तान बनकर उसने गिरनार और चंपानेर को जीता, जिसके बाद उसे “बेगड़ा” की उपाधि दी गई. फिर उसने चंपानेर को ही अपनी राजधानी बना लिया था.

” महमूद बेगड़ा ” को इतिहास का सबसे विशैला अर्थात जहरीला राजा के रूपमें जाना जाता है. वह इतना विशैला था कि अगर उसे कोई मच्छर काट ले तो खुद ही मर जाता था. यदि उसके शरीर पर मक्खी बैठती थी तो मर जाती थी. सुलतान जो कपडे पहनता था वो जहरीले हो जाते थे. वह सुल्तान जिससे संबंध बनाता था, उस महिला की मौत हो जाती थी.

महमूद बेगड़ा गुजरात का छठवां सुल्तान था. उसे 13 साल की उम्र में ही गद्दी पर बिठा दिया गया था. उसने 25 मई 1458 से लेकर 23 नवंबर 1511 तक गुजरात पर शासन किया. महमूद गुजरात के सुल्तानों में सबसे प्रमुख व बड़ा सुल्तान था. महमूद ने चंपानेर को अपनी राजधानी बनाया था.

महमूद खाने का बहुत शौकीन था. वह एक समय लगभग 100 केले खा सकता था. वह नाश्ते में शहद – मक्खन कई कटोरी तक खा जाता था. कहा जाता है कि वह एक दिन में 35 किलो खुराक खा जाता था.

यूरोपीय और फारसी इतिहासकारों ने अपनी कहानियोंमें इस बात का जिक्र किया है कि वे हर रोज 4.6 किलो मीठे चावल खा जाते थे.

रात को कहीं अचानक बादशाह को भूख लग जाए तो इसके लिए उनके बेड के पास उनके तकिये के दोनों ओर गोश्त के समोसों से सजी तश्तरियां रखी जाती थीं. ताकि सुल्तान को आधी रात भी भूख लग जाए तो वे खा सकें.

खाने के शौकीन महमूद बेगड़ा के दस्तरख्वान में व्यंजनों की किस्में नहीं, बल्कि वजन देखा जाता था. जैसे 5 किलो मिठाइयां, या 10 किलो साग – भाजियां आदि. उनको दूसरा शौक था रेशमी मूंछों का. और तीसरा, सबको अपने मजहब में समेटने का, चाहे इसके लिए जितना खून-खराबा करना पड़े.

गुजरात के पावागढ़ में जिस प्राचीन मंदिर के शिखरको सुलतान ने तोड़कर दरगाह का निर्माण करवाया था, वहापर दोबारा काली माता का मंदिर बनकर तैयार किया गया है. 500 साल बाद शनिवार ता : 18 जून 2022 के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहाँ ध्वज को फहराया तो ये मंदिर दोबारा चर्चा में आया था.

सुलतान महमूद बेगड़ा ने गुजरात के पावागढ़ में कालिका माता मंदिर के शिखर को नष्ट किया था और मंदिर को नष्ट करके पीर सदनशाह की दरगाह बना दी थी.

15वीं शताब्दी के निर्दयी इस्लामी सुल्तान ने पावागढ़ में जिस महाकाली मंदिर को अपना निशाना बनाया था उसे लेकर मान्यता है कि वहां पर ऋषि श्री विश्वामित्र ने माता काली की कठोर तपस्या की थी. इसके अलावा श्रीराम भगवान और माता सीता के पुत्रों ने भी पावागढ़ में ही मोक्ष प्राप्त किया था. आज इस स्थान पर बने काली मंदिर का परिसर 30 हजार वर्ग फीट में फैला है. इसके पुननिर्माणग में 120 करोड़ रुपए खर्च हुआ हैं.

कहते हैं कि उनकी दाढ़ी इतनी बड़ी थी कि वो कमर तक पहुंच जाती थी.इसके अलावा उनकी मूंछें भी काफी लंबी थीं. वह उन्हें अपने सिर के ऊपर साफे की तरह बांधता था.

अपनी वीरता के कारण सुल्तान महमूद बेगड़ा पराक्रमी योद्धा के रूप में प्रसिद्ध थे. महज 13 साल की उम्र में वे बादशाह बने और 53 साल तक शासन किया. उस समय एक बादशाह के रूप में सबसे लंबा शासनकाल था.

सुनकर आश्चर्य लगता है कि कोई खाने के साथ खुद ही जहर क्यों लेगा ! लेकिन बेगड़ा ऐसा करते थे. यूरोपीय इतिहासकार वर्थेमा और बारबोसा ने इस बारे में लिखा था कि सुल्तान को एक बार जहर देने की कोशिश की गई थी. उसके बाद से सुल्तान को रोज थोड़ी मात्रा में जहर दिया जाने लगा ताकि उनका शरीर और इम्यू​न सिस्टम जहर का आदी हो जाए. ऐसा इसलिए ताकि कोई उन्हें जहर देकर मारने की कोशिश करे तो उनके शरीर पर उसका असर ही न हो. बहरहाल खाने के ऐसे शौकीन बादशाह के बारे में जानकर हर कोई हैरान हो जाता है.

सन 1509 में पुर्तगालियों ने ड्यू और दीव के पास गुजरात के कालीकट की संयुक्त सेनाओं को हरा दिया और भारतीय समुद्र पर फिर से कब्जा कर लिया, इसी साल महमूद बेगड़ा की मौत हो गई थी.

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