उड़ानखटोला का स्वरूप हेलीकॉप्टर

उड़न खटोला एक काल्पनिक उड़ने वाले वाहन को कहा जाता है. वास्तव में इसका सही अर्थ ” उड़ने वाला बिस्तर ” है. लेकिन लोक कथाओं के आम प्रयोग में किसी भी उड़ने वाले वाहनको “उड़न खटोला” कहा जाता है. आजके जमाने में हेलीकॉप्टर को हम “उड़ान खटोला” कह सकते है.

हेलीकॉप्टर में बैठना हर एक के मनकी एक इच्छा होती है. हेलीकॉप्टर के उतरने उडने की जगह को हैलीपैड

कहते है. अगर हेलीकॉप्टर का इंजन बंद हो जाता है, तो हेलिकॉप्टर के अंदर ऐसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है जिससे हेलीकॉप्टर धीरे-धीरे जमीन पर लैंडिंग कर सकता है.

हेलीकॉप्टर या किसी भी जेट विमान में खास तरह का जेट फ्यूल डाला जाता है. इस फ्यूल को हम एविएशन टरबाइन फ्यूल ATF या एविएशन केरोसिन कह सकते है. ये फ्यूल (इधन) पोट्रोलियम से निकलने वाले डिस्टिलेट लिक्विड होता हैं. इस फ्यूल को खास कमर्शियल एयर ट्रांसपोर्ट के लिए यूज किया जाता है.

आमतौर पर एक नॉर्मल हेलीकॉप्टर 1 घंटे में करीब 50 से 60 लीटर ईंधन की खपत करता है और इसे 1 मिल तक दूर उड़ने के लिए 1 गैलन फ्यूल (ईंधन) की जरूरत पड़ती है. यानी 1 लीटर तेल में हेलीकॉप्टर 3 से 4 किलोमीटर उड़ सकता है.

आम तौर पर हेलीकॉप्टर 10 से 12 हजार फुट की ऊंचाई पर उड़ते हैं , व विमान 25000 फुट से 45000 फुट तक की ऊंचाई पर उड़ते हैं. ” टर्बाइन ” इंजन वाले हेलीकॉप्टर तक़रीबन 25,000 फीट तक पहुंच सकते हैं.

यदि आप शादी ब्याह के लिए कभी हेलीकॉप्टर भाड़े से लेना चाहो तो कई एजेंसिया ये सेवा उपलब्ध कराती है. हेलीकॉप्टर को यदि दो घंटे के लिए बुक करना हो तो करीब दो से ढाई लाख तक का खर्चा आता है और अगर दो घंटे से ज्यादा देर तक के लिए आपको हेलीकॉप्टर की जरुरत हो तो प्रति घंटे इसका चार्ज 50 से 60 हजार रुपए तक बढ़ता जाता है.

हेलीकॉप्टर का 1 घंटे का किराया कितना होता है, ये हेलीकॉप्टर कितना सीट वाला है उसपर निर्भय करता है.

एक अच्छा सा 6 से 8 सीटर वाला हेलीकॉप्टर का किराया तकरीबन 2 से ढ़ाई लाख रुपये के बीच होता है. इसमें आप दो घंटे तक हेलीकॉप्टर का यूज़ कर सकते हैं. इसके अलावा सामान्यतः तौर पर हेलीकॉप्टर की एक घंटे की कीमत 30 से 60 हजार रूपये तक की होती है.

भारत में तकरीबन 250 लोगो के पास रजिस्टर्ड प्राइवेट हेलीकॉप्टर है. वही भारतीय सेना की बात की जाए तो भारतीय तीनों सेनाओं के पास कुल मिलाकर 187 चेतक हेलीकॉप्टर्स और 205 चीता हेलीकॉप्टर मौजूद हैं.अगर देखा जाए तो हेलीकॉप्टर एक घंटे में 200 से 300 किलोमीटर तक का सफर तय कर लेता है.

हेलीकॉप्टर कई प्रकार के होते है. ये 2 से लेकर 8 सीट वाला तक हो सकता है या इससे भी अधिक हो सकता है.

बेरंनौलिस प्रिंसिपल के अनुसार, जब स्पीड बढ़ती है तो प्रेशर घटता है और जब स्पीड घटती है तो प्रेशर बढ़ता है. इस तरह हवा की स्पीड और हवा का प्रेशर एक दूसरे से संबंधित होता है. विंग्स को कुछ इस तरह से बनाया जाता है कि उनका ऊपर का भाग कर्व्ड रहता है जबकि विंग्स नीचे का भाग फ्लैट होता है. विंग्स का यह शेप अपने ऊपर से गुजरने वाली वायु की गति को, नीचे से गुजरने वाली वायु के मुकाबले बढ़ा देता है, जिससे ऊपर की हवा का प्रेशर कम हो जाता है और नीचे की हवा का प्रेशर बढ़ जाता है. इससे विंग्स को ऊपर उठने में मदद मिलती है.

हेलीकॉप्टर को उसके रोटर ब्लेड्स की मदद से ही हवामें दाएं-बाएं या आगे पीछे चलाया जाता है. पायलट के पास 5 बेसिक मूवमेंट और स्टीयरिंग कंट्रोल होते हैं, जिनमे दो हैंड लीवर्स जिन्हें कलेक्टिव और साइक्लिक पिच कहा जाता है, एक थ्रोट और दो फुट पेडल्स शामिल होते हैं. हेलीकॉप्टर को उड़ाने के लिए इन अलग-अलग कंट्रोल के बीच एक कांप्लेक्स इंटरप्ले शामिल होता है. हेलीकॉप्टर को मूव कराने के लिए पायलट साइक्लिक पिच में घूमते हुए ब्लेड्स में से चुनिंदा ब्लेड्स के एंगल को बदलता है.

यदि हेलीकॉप्टर को बाएं तरफ मूव कराना है, तो पायलट दाएं तरफ के ब्लेड्स के एंगल को बढ़ा देगा और बाएं तरफ के ब्लेड्स का एंगल कम रखा जाएगा. ऐसे में हेलीकॉप्टर के दाएं तरफ अधिक लिफ्ट पैदा होता है, जो ओवरऑल लिफ्ट को झुका देगा और हेलीकॉप्टर बाएं तरफ चलेगा. इसी प्रकार आगे की तरफ हेलिकॉप्टर को मूव कराने के लिए फ्रंट में रोटर ब्लेड्स के एंगल को कम करना होगा, जबकि बैक वाले रोटर ब्लेड्स के एंगल को बढ़ाना होगा. इस बैक से थ्रस्ट जेनरेट होगा जो हेलिकॉप्टर को आगे मूव करने के लिए फोर्स करेगा.

हेलीकॉप्टर में जाना हर व्यक्ति के लिए संभव नहीं है क्योंकि इसके लिए अच्छे खासे पैसे होना जरुरी है. ऐसे में हम सभी लोगों के मन में सवाल जरूर आता होगा कि आखिर में हेलीकॉप्टर की कीमत कितनी होती होंगी ?

विश्व में अनेकों प्रकार के हेलीकॉप्टर पाए जाते हैं लेकिन आप एक साधारण हेलीकॉप्टर खरीदना चाहते हैं तो इसके लिए एक करोड़ पचास लाख रुपए देने पड़ सकते हैं. इससे ज्यादा भी इसकी कीमत हो सकती है. अगर हम भारत में एक हेलीकॉप्टर की कीमत कितनी होगी ? की बात करें तो भारत में मौजूद एक नॉर्मल हेलीकॉप्टर रोबिनसन R-22 की कीमत 2,50,000 US डॉलर होती है. भारतीयों रुपए में इसकी कीमत 1,71,23,750 रुपए यह दुनिया का सबसे सस्ता और किफायती हेलीकॉप्टर है इसमें 2 सीट होती है. 2 लोगों के बैठने के लिए इस प्रकार के हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल प्रशिक्षण जैसे कामों के लिए किया जाता है. इसके विपरीत यदि हम बेल बी 206 जेटरेंजर मेकअप करके कीमत के बारे में बात करें तो इसकी कीमत की 700,000 US डॉलर यानी भारतीय रुपयों में 4,79,11,500 रुपए है. यह कुल मिलाकर 5 सीटों वाला हेलीकॉप्टर होता है इस हेलीकॉप्टर की लोकप्रियता विश्व में अधिक है सबसे बड़ी बात है कि इसका इस्तेमाल सेना और नागरिक दोनों कर सकते हैं.

हेलीकॉप्टर के रखरखाव का खर्च :

अगर आप हेलीकॉप्टर खरीद रहे हैं तो उसके रखरखाव में काफी खर्च आता है जो कि एक आम आदमी के लिए हेलीकॉप्टर के खर्च को उठाना संभव नहीं है. क्योंकि इसमें जितना खर्च आता है उतना तो हमारे महीने की सैलरी भी नहीं होती है. फिरभी अगर आप हेलीकॉप्टर खरीदते हैं तो आपको एक पायलट की नियुक्ति करनी होगी.

पायलट को आप को कम से कम ₹40000 रूपये महीने की सैलरी देनी होगी. इसके अलावा अगर पायलट को ज्यादा एक्सपीरियंस है तो उसे आपको ₹150000 की सैलरी महीने में देनी होगी. अगर आप कहीं भी अपने हेलीकॉप्टर के माध्यम से जा रहे हैं तो लैंडिंग कराने के लिए आपको अलग से चार्ज देना पड़ेगा विभिन्न राज्यों में चार्ज भी अलग होता है.

इसके अलावा आप जितनी बार हेलीकॉप्टर की सवारी करेंगे उतनी बार हेलीकॉप्टर को चार्ज करना पड़ता है उसका एक अलग खर्चा होता है अगर हम कुल मिलाकर साल में खर्च की बात करें तो आपको ₹100000 से लेकर ₹150000 का खर्च साल में आएगा.

भारत में अगर आप हेलीकॉप्टर को खरीदना चाहते हैं तो इसके लिए आपको DGCA के द्वारा अनुमति लेनी पड़ेगी तभी जाकर आप हेलीकॉप्टर खरीद पाएंगे. इसके लिए आपको भारत सरकार के नागरिक उड़ान मंत्रालय की ऑफिशल वेबसाइट पर जाना होगा. यहां पर आपको इसके बारे में पूरी जानकारी दी गई है फिर आप यहां पर अपना आवेदन पत्र अच्छी तरह से भरेंने के बाद आपको गृह मंत्रालय के पास एनओसी सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करना होगा.

सबसे महंगा हेलीकॉप्टर :

यूरोकॉप्टर EC225 सुपर प्यूमा पुरे दुनिया का सबसे महंगा नागरिक हेलीकॉप्टर है मतलब की इसे आप भी खरीद सकते है. ये हेलीकॉप्टर दो पायलट एक केबिन क्रू के साथ 24 यात्रियों को साथ लेकर उडान भर सकता है इसकी कीमत 190 करोड़ रूपये है.

भारत का सबसे सस्ता हेलीकॉप्टर :

भारत में मौजूद एक सामान्य हेलीकॉप्टर रोबिनसन R-22 की कीमत 2,50,000 US डॉलर होती है. इंडियन रूपये में इसकी कीमत1,71,23,750 रुपए है. ये हेलीकॉप्टर पुरे विश्व का सबसे लोकप्रिय और सस्ता हेलीकॉप्टर है.

सिकोरस्की एस-76 हेलीकॉप्टर है जिसका उपयोग यूनाइटेड स्टेट्स कोस्ट गार्ड द्वारा खोज और बचाव अभियानों के लिए किया जाता है. नाइट विज़न तकनीक से लैस, यह एक गैस टैंक पर 400 मील तक उड़ान भर सकता है, जिससे बचाव दल कम समय सीमा के भीतर बड़ी दूरी तय कर सकते हैं.

ई. सन 1939 में सिकोर्सिकी ने पहले प्रोटोटाइप हैलीकॉप्टर, VS-300 बनाया था. ये यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन के वीट-सिक्योरिटी डिवीजन के अंदर बनाया गया लेकिन साल 1907 में फ्रांस ने हैलीकॉप्टर बनाने का काम शुरू कर दिया था.

अमेरिका में 11000 से अधिक सिविल हेलीकॉप्टर है जबकि पूरे विश्व में 157 देशों में 15000 सिविल हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया जाता है.

भारत ने तेजस नाम का हल्का सिविल हेलीकॉप्टर भारत में निर्मित किया है जिसका इस्तेमाल इमर्जन्सी स्थितियों में किया जाता है.

हेलीकॉप्टर का आविष्कार :

हेलीकॉप्टर का आविष्कार इगोर सिकोरस्की ने 14 सितंबर 1939 को किया था, यह दुनिया का पहला रोटर वाला कनवर्टर हेलीकॉप्टर था जिसे अमेरिका के स्ट्रैटफ़ोर्ड शहर में प्रदर्शित किया गया था. हलाकि वीएस 300 नाम का यह हेलीकॉप्टर मिशन कुछ ही मिनटों के लिए उड़ा था, इसके बाद इगोर सिकोरस्की ने अपने हेलीकॉप्टरों में कई सुधारात्मक प्रयास किए और 13 मई 1940 को इसकी अधिकृत पुष्टि की गई.

इगोर सिकोरस्की एक अमेरिकी रूसी इंजीनियर और विमान विशेषज्ञ थे. ऐसा माना जाता है कि सिकोरस्की ने साल 1910 में अपने हेलीकॉप्टर पर काम करना शुरू किया था जिसमें सन 1940 में सफलता मिली थी. बाद उनके वीएस 300 नाम के हेलीकॉप्टर का आधार बनाया गया, जिससे सिकोरस्की आर-4 दुनिया का पहला ऐसा हेलीकॉप्टर का निर्माण शुरू हुआ, जिसे बड़े पैमाने पर बनाया गया था.

इसके बाद इगोर सिकोरस्की ने इसे अमेरिकी वायु सेना को सौंप दिया था अमेरिकी वायु सेना ने इसका इस्तेमाल द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान किया था. इसके साथ ही सिकोरस्की की कंपनी ने अमेरिकी सेना के लिए काफी संख्या में अलग-अलग तरह के हेलीकॉप्टर बनाये जिनमें नीचे दिए गए हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया गया था, अमेरिकी सेना ने द्वितीय विश्व युद्ध में लोगों की खोज और बचाव और राहत दल के जवानों के लिए काम किया था.

वर्तमान के हेलीकॉप्टर का आविष्कार :

साल 1958 में सिकोरस्की की कंपनी ने दुनिया का पहला पानी की सतह से उड़ने वाला हेलीकॉप्टर बनाया था. फिर सिकोरस्कीके हेलीकॉप्टर को आधुनिक बनाने में कई लोगों ने प्रयास किया था. वर्ष 1944 में अमेरिकी इंजीनियर स्टेनली हिल्कर ने धातु का उपयोग कर हेलीकॉप्टर के रोटर के ब्लेडों को कठोर बनाया था, इस परिवर्तन के बाद हेलीकॉप्टर की तुलना में पहले की तुलना में काफी तेज बदलाव आया है. साल 1949 में स्टेनली हिलर ने खुद के लिए तैयार हेलीकॉप्टर हिलर 360 से पूरे अमेरिका का चक्कर लगाया था.

हेलिकॉप्टर बनाने की कोशिश न सिर्फ अमेरिकी इंजीनियर ने ही की थी बल्कि सिकोरस्की से पहले फ्रांस के दो सैनिक जैक्स और लुईस ब्रेगुएट ने साल 1907 में जाइरोप्लेन नंबर 1 नाम के हेलिकॉप्टर से बनाया था. इस मशीन ने 2 फिट की ऊंचाई तक करीब 1 मिनट तक की उड़ान भरी थी लेकिन यह धीमी नहीं थी इसी साल पॉल कॉर्नू नामक आविष्कारक ने भी ऐसा हेलीकॉप्टर बनाया था जिसने करीब 20 सेकंड तक की उड़ान भरी थी.

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