एकवीरा ” आई ” लोनावला | Ekvira Devi

Ekvira

कुदरती प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर, रमणीय स्थल श्री एकवीरा देवी माता मंदिर भाविक भक्तों और पर्यटकों के लिये पसंदीदा स्थल है. यहां पहाड़ी उपरसे निचे का दृश्य प्रेक्षणीय है. 

        एकवीरा देवी को देवी रेणुका का अवतार माना जाता है, इसे भगवान श्री परशुराम जी की माता माना जाता है. यह देवी आगरी कोली मच्छीमार और स्थानीय लोगों की आराध्य देवी है. देवी स्वयं प्रकट हुई है. 

            मुंबई और महाराष्ट्र भर से भाविक भक्त यहां देविका दर्शन और मन वांछित फल पाने के लिये मन्नत मागने आते है. मंदिर परिसर मे स्थित कार्ला की गुहा दर्शकों को आकर्षित करती है. नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि पर यहां विशेष उत्सव तथा कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. 

      मंदिर तक पहुंचने के लिये आपको निचे से उपर करीब 500 सीढ़िया चढ़नी पडती है. बताया जाता है कि यह मंदिर पांडवों द्वारा बनाया गया था. वर्तमान मे यह मंदिर पुरातन विभाग द्वारा संरक्षित है. 

        एकवीरा मंदिर सड़क मार्ग से जुडा है. यहां तक आप स्थानीय तथा निजी परिवहन के साधनों द्वारा आसानी से पहुँच सकते है. हवाई मार्ग से: मंदिर के लिए निकटतम हवाई अड्डा पुणे हवाई अड्डा है जो 62 किमी की दूरी पर है , वहां से कोई भी स्टेट ट्रांसपोर्ट की बस या तो फिर निजी टैक्सी भाड़े पर आसानीसे मिल जाती है.

       ट्रेन द्वारा मंदिर जानेके लिये लिए निकटतम रेलवे स्टेशन लोनावाला है, जहाँ से आप स्थानीय राज्य परिवहन बस या स्थानीय टैक्सी ले कर पहुंच सकते हो. 

      यहां बारो महीने मौसम सुहाना होता है. मगर बारिस के मौसम मे नजारा खूबसूरत हो जाता है. उस समय आप वहां झरने का आनंद भी ले सकते हो. जुलाई से सितंबर तक यहां हरीयाली से मन प्रफुल्ल हो जाता है. ठंडी के मौसम मे यहां का तापमान 10 डिग्री सेल्सियस हो जाता है. 

        बगल मे स्थित कार्ला गुहा पर्यटकों का आकर्षण केंद्र है. पत्थर को खनन करके बौद्ध काल मे यह गुहा बनाई गई है. गुहा के भीतर विशाल स्तूप की कलाकृति प्रेक्षणीय है. देवी के दर्शन के लिये आनेवाले सभी भक्त इसे अवश्य देखते है. 

        मान्यता के मुताबिक एकवीरा मंदिर की स्थापना पांडवों ने घने जंगलों में अपने निर्वासन के दौरान की थी, और तब से यह स्थानीय जनजातियों द्वारा आस्था का स्थान है. जब देवी एकवीरा माता पांडवों के सामने प्रकट हुईं और तब से इसे एक पवित्र स्थान माना जाता है. स्थानीय रूप से यह माना जाता है कि जब वह प्रकट हुई तो उसने उन्हें वहां एक मंदिर बनाने का निर्देश दिया. लेकिन वह पांडवों के काम की नैतिकता का परीक्षण करना चाहती थी और उसने एक शर्त रखी कि इसे रातों रात बनाया जाना चाहिए. 

        चुनौती स्वीकारते हुए पांडवों ने कुछ ही समय में मंदिर बना दिया और वे देविका आशीर्वाद लेने गये. एकवीरा देवी ने उन्हें वरदान दिया कि ये गुफाएं उनका गुप्त वनवास हो सकती हैं और कोई भी उन्हें इस स्थान पर खोज नहीं सकता है. एकवीरा देवी रेणुका देवी की अवतार थीं और स्थानीय जनजातियों द्वारा उनकी पूजा की जाती रही है. 

          यहांपर आश्विन नवरात्रि, चैत्र नवरात्रि, होली, दशहरा, और दीवाली के त्यौहार मंदिर में बहुत धूमधाम से मनाए जाते हैं. इस मंदिर में आज भी बकरियों और मुर्गियों की बलि देने की प्रथा का पालन किया जाता है. त्यौहारों के मौसम में हर साल हजारों भक्त मंदिर में अपनी पूजा करने के लिए आते हैं. हर साल, अश्विन सुधा प्रतिपदा और दशमी के बीच मंदिर परिसर के सामने नौ दिनों के लिए एक मेले का आयोजन किया जाता है. चैत्र त्यौहार एक महत्वपूर्ण त्यौहार है जो हर साल बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है.

        एकविरा देवी आगरी-कोली समाज के अलावा ठाकरे परिवार की कुलदेवी है. ठाकरे परिवार के सभी लोग हर साल यहां देवी के दर्शन के लिए आते हैं. भारत मे कई जगह माता एकवीरा के मंदिर मौजूद है.

             एकवीरा आई को मन्नत की देवी के रूपमें मान्यता मिली है. यहां आने वाले भक्तों की हर मुराद पूरी होती है. यह जगह लोनावला से करीब 9 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है. मंदिर तक पहुंचने के लिये कई सीढ़िया चढ़नी पडती है. 

      एकवीरा देवी मंदिर खुलने का समय सुबह 5:00 बजे से 12:00 बजे और शाम 4:00 बजे से 9:00 बजे तक का रखा गया है. महा आरती का समय सुबह 5:00 बजे और शाम 7:00 बजे का रखा गया है. 

प्रचलित गीत :

एकवीरा आई तु डोंगरा वरी,

नजर तुझी कोलिया वरी.

बोलो एकवीरा माते की जय.    

विशेष टिप्पणी : 

          वर्तमान कोविद महामारी को देखते, मंदिर जानेसे पहले मंदिर की जानकारी हासिल करके जाना उचित होगा.

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