( सीमा और समीर व्हाट्सअप पर प्रेमसूत्र से बंधे. ये दोस्ती करीब छह महीने से चल रही थी. दोनों एक दूसरे को मिलने के लिये बेताब थे, बेक़रार थे. अब दोनों ने एक दिन इंतजार को ख़त्म करने का फैसला किया और केलवा बीच पर मुलाक़ात करने का प्रोग्राम बनाया. )
अब आगे…… व्हाट्सअप पर :
Seema : good morning.
समीर : गुडमॉर्निंग.
Seema : Mai thik 5 baje pahuch jaungi.
समीर : ठीक है डार्लिंग.
Seema : magar mai pahechanugi kaise ?
समीर : सिम्पल.
Seema : kaise ?
समीर : मैं सूट – बूट मे आऊंगा.
Seema : mai lal rang ki chunari me.
समीर : मेरा व्हाट्सअप नंबर ही मेरा फोन नंबर है.
Seema : mera bhi.
समीर : बहोत अच्छा.
( समय : दोपहर के बाद का.)
Seema : mai kelva station pahuch gai hu.
समीर : आप आगे निकल जाओ.
Seema : thik hai ok.
समीर : मै आधा घंटा लेट हुं.
Seema : tab tak mai intejar karungi.
( समय : एक घंटे के बाद )
समीर : अब मैंने रिक्शा पकड़ ली है.
( आधा घंटा बाद )
समीर : अब मै पहुंच गया हुं.
mai beach ke paas baithi hu.
समीर : दो मिनट मे पहुंच रहा हुं.
( समीर और सीमा का इंतजार अब खत्म होने वाला है. जिसका दोनों को बेसब्री से इंतजार था. केलवा बीच के किनारे एक बेंच पर सीमा सज धजके लाल चुंदरी पहनकर बैठी है. उसका मुह पश्चिम की तरफ समुद्र की ओर था. अतः नजदीक पहुंचते ही समीर ने आवाज दी , डार्लिंग सीमा.
सीमा ने पीछे मुड़कर देखा. दोनों की नजरे एक हुई. देखते ही दोनों के चेहरे पर पसीना आ गया. समीर के हाथ से गुलदस्ता निचे गीर गया. समीर चुपचाप सीमा की बगल मे बैठ गया. दोनों की आंख से अश्रु बह रहे थे.
इत्तेफाक से दोनों पति पत्नी थे, एक साल पहले ही दोनोकी शादी हुई थी. समीर कंप्यूटर इंजीनियर है. सीमा एक बैंक मे सर्विस करती है. व्हाट्सअप की वजह से दोनों एक दूसरे के नजदीक आये. प्यार हुआ. दोनों को पता नहीं था की दोनों पति पत्नी है. दोनों ने चैटिंग करते समय अपना नाम छुपाया था. वर्तमान परिस्थिति भी छुपाई थी. पंद्रह मिनट दोनों चुपचाप बैठे रहे. आखिर सीमा ने मोबाइल हाथ मे लिया. मेसेज किया….. )
Seema : mai sharminda hu.
समीर : मै भी. हम दोनों भटक गये थे.
Seema : ji. Yeh itefak था.
समीर : गलती हम दोनोकी है.
Seema : kyo na isehi nayi shuruat samje.
समीर : इसीमे दोनों की भलाई है.
Seema : bhool jao. Jo hua. ham donoka ye akarshan tha.
समीर : हम लोग बहक गये थे.
( दोनों की आंख मे आंशु थे. सीमा ने मेसेज भेजा.)
Seema : chalo ek bar firse ajanabi ban jaye ham dono… 🤝
समीर :
तार्रुफ़ रोग हो जाये तो उसको भूलना बेहतर
ताल्लुक बोझ बन जाये तो उसको तोड़ना अच्छा
वो अफ़साना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन
उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा.
चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाये हम दोनों….
( सीमा ने बेंच पर बैठे अपना दाया हाथ बेंच पर रखा. समीर ने अपना बाया हाथ सीमा के हाथ पर रखा. गलती दोनोकी थी. कुदरत को दोनोका अटूट रिस्ता मंजूर था. दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखकर आंखे मिलायी. दोनों ने जादू की जप्पी ली. गले मिले ओर समुद्र की ओर प्रयाण किया तो पश्चिमी क्षितिज पर सूर्य का मिलन, महासागर से हो रहा था.
दोनों अब विश्वास के साथ नयी जिंदगी जीनेके लिये वचन बद्ध होकर घर की ओर प्रयाण किया… रिक्शा मे बैठे तो रिक्शा वाला ने रेडियों कैसेट लगाई तो गाना शुरु हुआ…. )
सूरज कब दूर किरण से…..
खुशबू कब दूर पवन से……
ये बंधन तो………
प्यार का बंधन है….
जन्मो का…. बंधन है….
और आगे नयी उमंग, नयी तरंग के साथ जिंदगी जीने के लिये जीवन पथ पर आगे बढे…..
Happy end…. बट… अब अटूट विश्वास के साथ आगेकी जिंदगी की ओर प्यार भरी शुरुआत ……..।
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शिव सर्जन प्रस्तुति.