एक कौए की अर्थपूर्ण कहानी.

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एक जंगल में एक बड़े वृक्ष के उपर कौआ कपल रहते थे. उनकी बडी समस्या ये थी कि उसी पेड़ के निचे एक खतरनाक सांप रहता था, जो उनके अंडे खा जाता था. ये लोग अपना मन बना चुके थे कि कही भाग चले, और अपना नया घोसला दूर कही बनाये.

एक दिन वहां एक बगुला आकर बैठा. उसने देखा कि कौआ कपल कुछ परेशान है. उसने कारण जानना चाहा तो उन्होंने सब कहानी बताई, और कहा कि वे सांप के डर के मारे परेशान है.

इसपर बगुला बोला ये कोई बडी बात नहीं है. कुछ ऐसा करें कि वो सांप ही यहां से भाग जाय. इसपर कौआ ने कहा कि ऐसा नामुमकिन है. ये कोई मामूली सांप नहीं है. ये काला कोबरा है! इसके काटने से पक्षी तो क्या मनुष्य भी मर जाता है, इतना जहरीला है.

बगुला बोला कोई बात नहीं. मेरी पास इसका इलाज है. आप दोनोको मेरे साथ आना होगा. बोलो मंजूर है? कौआ कपल तैयार हो गया. बगुला उनको ले कर एक तालाब के पास गया. बगुला बोला कि हम को यहांसे मच्छी लेना है. इसपर कौआ कपल बोला कि हम तो मच्छी खाते नहीं.

बगुला बोला खाना नहीं है, मैं कहुँ ऐसा करना है. बगुला ने तीन मच्छी को पकड़ा और तीनों ने अपनी अपनी चौच में पकड़ लिया. बगुला उनको नजदीक की झाड़ी स्थित लेकर गया जहां एक नेवला ( Mongoose ) रहता था.

बगुला ने नेवले के निकलने के मार्ग में तीनो मच्छी रख दी और तीनो एक ऊंचे पेड़ पर जाकर बैठ गये. मच्छी की खुश्बू से नेवला बाहर आया और ख़ुशी ख़ुशी भोजन ग्रहण करने लगा. बगुला ने कहा आज का हमारा मिशन पुरा हो चूका है. दूसरे दिन उसी समय वो वापस

कौआ कपल को लेकर वो तालाब गया और वहासे तीन मच्छी लेकट नेवले के निवास स्थान पर आये और इस बार उन्होंने मच्छी तो रखी मगर पांच फुट दूर रखी और वापस एक पेड़ पर जाकर बैठ गये. जैसे मच्छी की खुश्बू आयी तो नेवला झट पट बाहर आया और अपना भोजन खाने लगा.

अब नेवले को मच्छी की आदत पड़ गई. समय पर रोज आने लगा. हर बार बगुला मच्छी को आगे रखता था ताकी वो नेवले को उस सांप वाले पेड़ तक ले जा सके. ये सिलसिला प्रतिदिन जारी रहा और कुछ दिनोमे वो नेवला मच्छी की तलाश में आगे बढ़ता हुआ उस पेड़ के नजदीक आ गया जहां पर सांप रहता था. नेवले ने सांप का स्थान देख लिया वो नजदीक झाड़ी में छुप गया.

जैसे ही सांप बाहर आया, नेवला सांप पर कूद पडा. वैसे दोनोंकी पुरानी दुश्मनी. दोनोके बिच भीषण लड़ाई हुई,

सांप कैसे भी करके जान बचाकर के भागा. अब कौआ कपल की मुसीबते दूर हो चुकी थी. कौआ कपल ने बगुला का आभार माना और बगुला वहासे अपनी बिरादरी स्थित चला गया. इसे कहते है सांप भी मर जाये और लाठी भी ना टूटे

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