मिरा – भाईंदर – विकास के शिल्पकारो की बाते करे तो अनेकों लोगों के नाम, इतिहास मे सुवर्ण अक्षरों मे अंकित नजर आएंगे. ( यह कहानी 1986 से 2003 के बिच की है )
मगर आज तक, इस महिला का नाम, इतिहास के पन्नों से, इससे पहले कभी बाहर नहीं आया ! मिरा भाईन्दर महा नगर पालिका के विकास के बुनियादी पत्थरों मे दबी एक प्रतिभा को मे जनता के बीच उजागर करना चाहता हूं.
मित्रो, वो नाम हे, सौ. संध्या चतुर्वेदी जी, ” अनजान ” मित्रों आप चोक गए ना ? आपने ये नाम कभी सुना है ? शायद कभी नहीं! मगर आप लोगों ने ये नाम सही पढ़ा! हे!!
इस महिलाकी लगन, बलिदान, और प्रेराणा की कहानी आप सभी तक शेर करना चाहता हूं. मित्रो, मिरा भाईन्दर के शिल्पकारो की बाते करते समय एक नाम प्रमुखता से उभरकर सामने आता है, वो नाम हे ” लाल ” साहब. श्री पुरुषोत्तम लाल चतुर्वेदी. ” भाईंदर भूमि ” पत्र के प्रधान संपादक. मगर इस वरिष्ठ पत्रकार के जीवन में पर्दे के पीछे जिसका नाम आता है, वह नाम हे, सौ. संध्या पुरुषोत्तम लाल चतुर्वेदी. ” अनजान.” आप एम.ए. बी.एड. पदवीधर है.
यह महिला कोई साधारण महिला नहीं है बल्कि गुरुजी के नाम से सुप्रसिद्ध पत्रकार श्री पी. एल. चतुर्वेदी जी की धर्म पत्नी, सहचारीणी, अर्धांगनी, प्रेरणा मूर्ति एक शिल्पकार महिला, जिसने भाईन्दर के विकास के लिए अपना सारा जीवन दाव पे लगा दिया.
सर्व विदित है कि, एक सफल पुरुष के जीवन में एक महिला का हाथ होता है. गुरुजी की सफलता के पीछे सौ. संध्या जी का हाथ है ! एक समय भाईन्दर भूमि का सितारा बुलूंदी पर था. भाईन्दर से लेकर ठाणे कलक्टर ऑफिस तक पत्र का इन्तेजार रहता था.
भाईन्दर भूमि की निष्पक्ष, निडर, और निर्भीक लेखनी को पाठक वर्ग सहराना करते थे. पत्र के शुरू के दिनों मे शुभ चिंतको के साथ, निंदक – आलोचक और जलने वालोकी भी कमी नहीं थी. कुछ असमाजिक तत्व पेपर को उखाड़ कर फेक देना चाहते थे. तब इस महिला ने चट्टान की तरह खड़ा रहकर पति का साथ दिया. इस महिला को प्रताड़ित किया गया. इतना ही नहीं उसका अपहरण करनेकी कोशिश की गई , फिर भी यह शेर दिल महिला हिम्मत नहीं हारी ! और पति का साथ निभाती रही , वर्ना विकास का मिसन अधूरा रह जाता.
एक तरफ घर का खर्च, दूसरी ओर पेपर चलाना मतलब, लोहे के चने चबाना. प्रिंटिंग से लेकर वितरण तक का खर्च. फिर भी इस महिला की वजह से गुरुजी को संबल मिला.
कौन महिला चाहेगी कि अपना पति भर जवानी मे 14 साल तक अपनी दाढ़ी – बाल बढ़ाकर, एक साधु महात्मा जैसा वेश धारण करके जीवन व्यतीत करे ? फिर भी पाषाण ह्रदय की यह महिला ने हसते हसते 14 साल पति का साथ दिया. ऐसी बहादुर, निडर, दूर दृष्टि से सोचने वाली, स्नातक, शिक्षित, लेखिका, मुसीबतऑ मे सदेव पति का साथ निभाने वाली, संबल देने वाली पर्दे के पीछे की शिल्पकार सौ. संध्या पुरुषोत्तम लाल चतुर्वेदी जी को नत् मस्तक सलाम करता हु.
आपका पूरा परिवार, ससुराल, अवं मायके लोग शिक्षित है. आप साहित्य प्रेमी लेखक, कवियत्री है. आपकी बेटी सौ. मीनाक्षी एक अच्छी प्रिंटिंग कलाकार है.
आपके पति ” गुरुजी” एम. ए. एजुकेशन पदवीधर है. जिन्होने इंदिरा गांधी परिवार से राज नीति के पाठ शिखे हैं. गुरुजी संजय गांधी राष्ट्रीय मोरचा, मुंबई प्रदेश के उपाध्यक्ष थे. मेनका गांधी के साथ राजनीत मे करीबी रीस्ता था. अमेठी में साथ, साथ रहकर प्रचार कार्य किया है.
आपके पति की सफलता का राज, ” सिमित साधनो मे असिमित प्रयास करना, समय सूचकता से काम करना, राजनीति गणित का गहरा ज्ञान होना, खुद की कलम की शक्ति पर विश्वास होना, निस्वार्थ जनसेवा के काम करना. विकास कार्यो में सदेव जनता का साथ देना, देश हित का कार्य करना आदि प्रमुख था.
ऐसी महान महिला को ” शिव सर्जन ” सलाम करता है.
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शिव सर्जन प्रस्तुति.