कवियत्री सरोजिनी नायडू|

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              कवियत्री सरोजिनी नायडू बचपन से पढनेमे बहुत तेज थी. महज 12 साल की उम्र मे उन्होंने 12 वी कक्षा की परीक्षा अच्छे अंको के साथ उत्तीर्ण की थी. उनका जन्म ता : 13 फरवरी 1879 के दिन हैदराबाद मे हुआ था. पिता श्री अघोरनाथ चट्टोपाध्याय एक नामी विद्वान था तो माता बांग्ला भाषा की कवियत्री थी. 

      माता के नक्शेकदम पर चलतें सरोजिनी नायडू ने कविता की रचना मे रूचि ली और सिर्फ 13 साल की कम उम्र मे उन्होंने , ‘ लेडी ऑफ़ द लेक ” नामक कविता की रचना की. 

           हैदराबाद के निज़ाम द्वारा दिये गए दान से सरोजिनी नायडू को इंग्लैंड भेजा गया था, जिस कारण वश सरोजिनी नायडू को पहले लंदन के किंग्स कॉलेज और बाद में कैम्ब्रिज के गिरटन कॉलेज में अध्ययन करने का मौका मिला था. 

        उच्च शिक्षा प्राप्त करते समय सरोजीनी कविता की रचना भी करती रही. गोल्डन थ्रैशोल्ड उनका पहला कविता संग्रह था. उनके दूसरे तथा तीसरे कविता संग्रह बर्ड ऑफ टाइम तथा ब्रोकन विंग ने उन्हें एक सुप्रसिद्ध कवियत्री बना दिया था.       

        सन 1914 मे सरोजिनी इंग्लैंड में पहली बार महात्मा गांधीजी से मिलीं और उनके विचारों से प्रभावित होकर देश की सेवा के लिए समर्पित हो गयीं. सरोजिनी ने अनेक राष्ट्रीय आंदोलनों का नेतृत्व किया और जेल भी गयीं. 

         एक धीर वीरांगना की भाति गावोंमें घूमकर ये देश प्रेम की मसाल जगाती रहीं और देशवासियों को उनके कर्तव्य की याद दिलाती रहीं. उनके वक्तव्य से लोग प्रभावित होत थे और देश भक्तिमे सामिल हो जाते थे.सरोजिनी अपना भाषण अंग्रेजी, बंगला, हिंदी या गुजराती में देती थीं. लंदन की सभा में अंग्रेजी में बोलकर इन्होंने वहाँ उपस्थित सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया था. 

               सरोजिनी को अपनी लोकप्रियता और प्रतिभा के कारण सन 1925 में कानपुर में हुए कांग्रेस अधिवेशन की वे अध्यक्षा बनाई गयी थी तथा सन 1932 में भारत की प्रतिनिधि बनकर दक्षिण अफ्रीका भी गईं थी. भारत की स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद वे उत्तर प्रदेश की पहली राज्यपाल बनीं थी. श्रीमती एनी बेसेन्ट की प्रिय मित्र और गाँधीजी की इस प्रिय शिष्या ने अपना सारा जीवन देश के लिए अर्पण कर दिया था. 

        ता : 2 मार्च 1949 को 70 साल की उम्र मे लखनऊ मे हृदय गति रुक जानेसे उनका देहांत हो गया था. ता : 13 फरवरी 1964 के दिन भारत सरकार ने उनकी जयंती के अवसर पर उनके सम्मान में 15 नये पैसे का एक डाक टिकट जारी भी किया था. 

        उनके जीवन साथी का नाम श्री.मुत्तयला गोविंदराजुलु नायडु था. राष्ट्र समर्पित सरोजिनी नायडू के जयसूर्य, पद्मजा, रणधीर और लीलामण नामक चार बच्चे थे. 

 सरोजिनी नायडू के बारेमें कुछ खास बाते : 

*** सरोजिनी नायडू को ”द नाइटिंगेल ऑफ इंडिया” भारत की कोकिला के नाम से जाना जाता है. 

*** सरोजिनी नायडू कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष थी. वह किसी राज्य की पहली महिला गवर्नर भी थी.उन्होंने उत्तर प्रदेश के गवर्नर का पद भार संभाला था. 

*** सरोजिनी नायडू ने गांधी जी के अनेक सत्याग्रहों में भाग लिया और 1942 में ” भारत छोड़ो “आंदोलन में जेल भी गईं.

*** सरोजिनी नायडू बहुभाषाविद थी और क्षेत्रानुसार अपना भाषण अंग्रेजी, हिंदी, बंगला या गुजराती में देती थी. *** लंदन की सभा में अंग्रेजी में बोलकर इन्होंने वहाँ उपस्थित सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया था

*** सरोजिनी नायडू के पिता अघोरनाथ चट्टोपध्याय एक वैज्ञानिक और शिक्षाशास्त्री थे. उनकी माता वरदा सुंदरी कवयित्री थीं और बंगाली भाषा में कविताएं लिखती थीं. 

*** सरोजिनी नायडू की शादी गोविंदाराजुलु नायडू से 19 साल की उम्र मे हुई थी.

*** सरोजिनी नायडू ने साहित्य के क्षेत्र में खास योगदान दिया. बचपन से ही वह कविताएं लिखा करती थीं. उनकी कविताओं का पहला संग्रह ” द गोल्डन थ्रेसहोल्ड ” 1905 में प्रकाशित हुआ था.

*** स्वतंत्रतासेनानी सरोजिनी नायडू ने गांधी जी के अनेक सत्याग्रहों में भाग लिया था. और 1942 में ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन में जेल भी गईं.

*** उनकी उच्च शिक्षा लंदन के किंग्स कॉलेज और बाद में कैम्ब्रिज के गिरटन कॉलेज से हुई थी.

*** सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 में हुआ था. उनके पिता अघोरनाथ चट्टोपध्याय एक वैज्ञानिक और शिक्षाशास्त्री थे.

*** सरोजिनी की मां वरदा सुंदरी कवयित्री थीं और बंगाली भाषा में कविताएं लिखती थीं. शायद यही वजह से सरोजनी में उनके माता-पिता दोनों के गुण आये थे. 

*** सरोजिनी आठ भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं. उनके एक भाई विरेंद्रनाथ क्रांतिकारी थे और एक भाई हरिद्रनाथ कवि, कथाकार और कलाकार थे.

*** 16 वर्ष की आयु में वो इंग्लैंड गई. वहां पहले उन्होंने किंग कॉलेज लंदन में दाखिला लिया, उसके बाद कैम्ब्रिज के ग्रीतान कॉलेज से शिक्षा हासिल की. वहां वे उस दौर के प्रतिष्ठित कवि अर्थर साइमन और इडमंड गोसे से मिलीं थी. 

*** उनके पिता चाहते थे कि वो गणितज्ञ या वैज्ञानिक बनें, पर उनकी रुचि कविता में थी. उनकी कविता से हैदराबाद के निजाम बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने सरोजिनी नायडू को विदेश में पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति दी.

*** सरोजि‍नी नायडू का फारसी नाटक मेहर मुनीर और कविता संग्रह गोल्डन थ्रैशोल्ड काफी लोकप्रिय हुआ है. 

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