60 के दशक की बात है. ग्रामपंचायत की हकूमत थी. जनसंख्या करीब पांच हजार की रही होंगी. उस समय भाईंदर पश्चिम का वर्तमान पुलिस स्टेशन और महानगर पालिका कार्यालय नहीं था. यहां पर खुला मैदान था.
उस जगह मे, हर साल दुल्हन बी. और गुलाब शैख़ परिवार की तरफ से क़्वाली का प्रोग्राम होता था. दूर दूर से लोग यहां क़्वाली देखने आते थे. उस जमाने के मशहूर क़्वावाल युसूफ आजाद, जानी बाबू, कलंदर आजाद, अजीज नाज़ा, मजीद शोला, फ़िल्म अदाकारा क़्वाली क्वीन शकीला बानु भोपाली, रजिया सुलताना, और रसीदा खातून आदि उस जमाने के अनेक नामी कव्वालो का हर साल यहां पर मुकाबला होता था.
यह प्रोग्राम निशुल्क होता था. रात दस – ग्यारह बजे से सुबह चार बजे तक प्रोग्राम चलता था.
भाईंदर कब्बडी संघ का कब्बडी सामना
भाईंदर के लोग कब्बडी प्रेमी थे. साठ के दशक मे भाईंदर की कब्बडी टीम विरार से दादर तक प्रसिद्ध थी. भाईंदर पश्चिम पुलिस स्टेशन स्थित ग्राउंड मे हर साल कब्बडी की टूर्नामेंट होती थी.
भाईंदर संघ की टीम मे रामचंद्र, शरद, गौरीशंकर तोड़ी, सुनील रकवी, पदमाकार जैसे खिलाडी थे. नायगांव पश्चिम कोली लोगों की ” दर्यावर्दी टीम ” और भाईंदर की टीम के बिच फाइनल मुकाबला होता था. मगर ज्यादातर हमारे भाईंदर की टीम फाइनल जीत जाती थी.
राम सेवा मंडल का सहरानीय कार्य.
साठ सत्तर के दशक मे भाईंदर मे ” राम सेवा मंडल ” एक सामाजिक संस्था थी. ये संस्था भाईंदर पश्चिम की धर्मशाला स्थित प्रांगण मे हर साल सार्वजनिक गणेशोत्सव मनाती थी. श्री लोकमान्य तिलक के भाईंदर मे आगमन के बाद ब्रिटिश काल से यहां गणेशोत्सव मनाया जाने लगा था.
भाईंदर की धर्मशाला प्रांगण मे धार्मिक त्योहारों के दिन 16 mm की हिंदी फ़िल्म दिखाई जाती थी. हर साल यहां कठपुतली का खेल दिखाया जाता था. जिसमे नृत्य के साथ कहानी भी कही जाती थी.
हमारा दुर्भाग्य है की आज वो हमारी देशी कला लुप्त हो गई है. आज कठपुतली नचाने वाले कारीगर ना के बराबर है.
धार्मिक अनुष्ठान मे भाईंदर सबसे आगे.
भाईंदर धार्मिक प्रवृति मे शुरु से आगे रहा है. भाईंदर का प्रथम यज्ञ ईसवी सन 1960 मे श्री चंदूलाल छबीलदास वाड़ी मे संपन्न हुआ था. श्री सूक्त से एक लक्ष आहुति दी गई थी.
वृंदावन के प्रसिद्ध संत भगवानदास जी रामायनी, केशीघाट वालों द्वारा मार्मिक राम व भरत चरित्र पर आख्यान दिया गया था. इस यज्ञ को देखने का मुजे सौभाग्य मिला था. तब मे भाईंदर की जिला परिषद् की शाला मे अध्ययन करता था.
साठ के दशक मे भाईंदर पश्चिम मे श्री राम मंदिर प्रांगण मे हर साल यहां गुजराती और मारवाड़ी समाज के लोगो द्वारा ” रामलीला ” का आयोजन किया जाता था. प्रभु रामजी की आरती के लिए रोज बोली लगाई जाती थी.
——=== शिवसर्जन ===——