कार्टूनिस्ट का नाम सुनतेही हमें दो व्यक्तियों के नाम याद आते है. (1) आर. के. लक्ष्मण और दूसरा (2) शिवसैनिक हिंदू हृदय सम्राट श्री बाला साहेब ठाकरे जी. ये दोनों ही महारथी समकालीन थे और दोनों उस्तादों ने मुंबई में द फ्री प्रेस जर्नल में साथ – साथ काम किया है.
श्री बाला साहेब ठाकरे मार्मिक व्यंगचित्र साप्ताहिक के संस्थापक है. आप एक उत्कृष्ठ व्यंग चित्रकार थे. शिव सेना राजनीतिक पार्टी की स्थापना करने से पूर्व उन्होंने कार्टूनिस्ट के रूपमें अच्छी प्रसिद्धि हासिल कर दी थी. मगर आज मुजे बात करनी है, कार्टूनिस्ट आर. के. लक्ष्मण जी के बारेमें. श्री लक्ष्मण जी का पुरा नाम रसीपुरम कृष्णस्वामी अय्यर लक्ष्मण था.उनका जन्म ता :24 अक्टूबर 1921 के दिन मैसूर ब्रिटिश भारत में एक तमिल अय्यर परिवार में हुआ था. और उनका अवसान ता : 26 जनवरी 2015 के दिन 93 साल की उम्र मे पुणे में हुआ था.
कार्टूनिस्ट आर के लक्ष्मण उनके दैनिक कार्टूनस्ट्रीप में आम आदमी की व्यथा को दर्शाते थे. जो बात शब्दोमे ठीक से नहीं कह जाती वह बातको लक्ष्मण रेखा चित्र के माध्यम से बखूबी कह देते थे. लक्ष्मण जी अव्वल नंबर के कार्टूनिस्ट चित्रकार और हास्यकार थे. उन्होंने कम उम्र में ही ड्राइंग को आत्मसात कर लिया था. मैसूर के महाराजा कॉलेज में उन्होंने अपने भाई, आर के नारायण ( उपन्यासकार ) द्वारा द हिंदू अखबार में कहानियों का चित्रण किया था. बाद में उन्होंने स्थानीय अखबारों के लिए राजनीतिक कार्टून बनाना शुरू कर दिया था. उनके दृष्टिकोण को अनगिनत भारतीयों का प्रतिनिधित्व करने के लिए जाना जाता है.
द कॉमन मैन भारतीय लेखक और कार्टूनिस्ट आर.के. लक्ष्मण द्वारा बनाया गया एक कार्टून चरित्र है. उन्होंने पांच दशक से ज्यादा समय तक एक आम आदमी की आशाओं, आकांक्षाओं, मुसीबतों का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने दैनिक कॉमिक स्ट्रिप , आप ने कहा कि यह में टाइम्स ऑफ इंडिया. कॉमिक की शुरुआत सन 1951 में की थी.
कार्टूनिस्ट आर.के.लक्ष्मण के व्यंग्य ने किसी भी राजनेता को नहीं छोड़ा था. वें पेन स्केच को अपना दोस्त मानते थे. वें अपने कार्टून के द्वारा भारतीय राजनीति को आम आदमी के दृष्टिकोण से समझाकर व्यंग करते थे. लक्ष्मण अपने विषयों को आम लोगों से उठाता था. और उनकी आकांक्षाओं और पीड़ा का प्रतिनिधित्व करता था.
श्री आर के लक्ष्मण जी ने अपने शुरुआती जीवन में एक अंशकालिक कार्टूनिस्ट के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी जो ज्यादातर स्थानीय समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए काम करते थे.उनकी पहली नौकरी मुंबई में द फ्री प्रेस जर्नल के लिए एक राजनीतिक कार्टूनिस्ट के रूप में थी. बाद में, वह द टाइम्स ऑफ़ इंडिया में शामिल हो गए , और द कॉमन मैन चरित्र के लिये विश्व प्रसिद्ध हो गये. जो उनके के जीवन का महत्वपूर्ण टर्निंग पॉइंट था.
उनके पिता एक हेडमास्टर थे और लक्ष्मण आठ बच्चों में सबसे छोटे थे: छह बेटे और दो बेटियाँ.उनके बड़े भाई प्रसिद्ध उपन्यासकार आर.के. नारायण हैं. लक्ष्मण को ” दिल्ली का चितकबरा मुरब्बा “कहा जाता था. आर.के. लक्ष्मण ने अपनी आत्मकथा, द टनल ऑफ टाइम में सभी बातोंका विस्तार से वर्णन किया है.
लक्ष्मण जब छोटा था तब उनके पिता को लकवा का दौरा पड़ा था और एक साल बाद में उनकी मृत्यु हो गई थी. मगर घर के बुजुर्गों ने अधिकांश ज़िम्मेदारी को निभाया, और लक्ष्मण ने स्कूल की शिक्षा जारी रखी थी.
लक्ष्मण ने कन्नड़ हास्य पत्रिका कोरवनजी के लिए भी कार्टून बनाए , जिसकी स्थापना 1942 में डॉ.एम. शिवराम ने की थी, जिनका बैंगलोर के राजसी क्षेत्र में एक क्लिनिक था. उन्होंने हास्य और व्यंग्य लेखों और कार्टून को समर्पित करते हुए इस मासिक पत्रिका की शुरुआत की.शिवराम खुद कन्नड़ में एक प्रख्यात हास्य कलाकार थे. उन्होंने आर. के. लक्ष्मण को प्रोत्साहित किया था.
श्री आर. के लक्ष्मण ने एशियन पेंट्स लिमिटेड समूह के लिए सन 1954 में ” गट्टू “नामक एक लोकप्रिय शुभंकर भी बनाया था. उन्होंने कुछ उपन्यास भी लिखे, जिनमें से पहला शीर्षक द होटल रिवेरा था. उनके कार्टून श्री और श्रीमती 55 और एक तमिल फिल्म कामराज जैसी हिंदी फिल्मों में देखे जा सकते है. उनकी रचनाओं में मालगुडी डेज़ के टेलीविजन रूपांतरण के लिए तैयार किए गए रेखाचित्र भी शामिल हैं, जो उनके बड़े भाई आर के नारायण , और शंकर नाग द्वारा निर्देशित और कोंकण तट पर स्थित हिंदी सिटकॉम, वागले की दुनीया द्वारा लिखे गए थे.
लक्ष्मण ने पहली शादी एक भरतनाट्यम नृत्यांगना और फिल्म अभिनेत्री कुमारी कमला से की , जिन्होंने” बेबी कमला ” नाम से एक बाल अभिनेत्री के रूप में अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की और ” कुमारी कमला ” नाम से वयस्क भूमिकाओं में स्नातक की उपाधि प्राप्त की. उनकी कोई संतान नहीं थी और उनके तलाक के बाद लक्ष्मण ने अपनी भतीजी से शादी की जिसका पहला नाम फिर से कमला था. यह लेखक और बच्चों की पुस्तक की लेखिका थीं. फिल्म पत्रिका फिल्मफेयर में ” द स्टार आई एम मीट ” नाम की एक कार्टून श्रृंखला में उन्होंने कमला लक्ष्मण के एक कार्टून को चित्रित किया, जिसका शीर्षक था ” स्टार मैं केवल मिला ” दंपति का एक बेटा श्रीनिवास था, जिसने कुछ समय के लिए द टाइम्स ऑफ इंडिया में भी काम किया था.
सितंबर 2003 में, लक्ष्मण को एक आघात लगा, जिससे उन्हें अपनी बाईं ओर लकवा मार गया. श्री लक्ष्मण की मृत्यु 93 वर्ष की आयु में सन 2015 में भारत के गणतंत्र दिवस के दिन पुणे के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में हुई थी. मूत्र पथ के संक्रमण और सीने की समस्याओं के लिए उन्हें तीन दिन पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था और कई अंग फेल हो गए थे. उन्होंने सन 2010 से कई स्ट्रोक झेले थे.
उनकी पत्नी कमला का निधन 14 नवंबर 2015 को हुआ था, उसके पति से एक साल उम्र में कम थी.
लक्ष्मण की प्रसिद्धि इतनी बढ़ गई की एक समय लोग यह कहते थे कि ” आर के लक्ष्मण का टाइम्स ऑफ़ इंडिया.”
टाइम्स ऑफ इंडिया’ के लिए प्रसिद्ध राजनीतिक कार्टूनिस्ट श्री आर के लक्ष्मण को ता : 28 मार्च 2005 को नई दिल्ली में राष्ट्रपति डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम के हस्ते पद्म विभूषण पुरस्कार मिला था. उनको भारत सरकार का पद्म भूषण का पुरुस्कार सन 1973 में दिया गया था.
उनको रेमन मैगसेसे अवार्ड फॉर जर्नलिज्म, लिटरेचर एंड क्रिएटिव कम्युनिकेशन आर्ट्स का पुरुस्कार सन 1984 में दिया गया था. सन 1983 में कर्नाटक सरकार द्वारा उनको
” कर्नाटक राज्योत्सव पुरस्कार ” प्रदान किया था. पत्रकारिता के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड – सीएनएन आईबीएन टीवी ता : 18 – 29 जनवरी 2008 का पुरुस्कार से नवाजित किया गया था.
कला और संगीत फाउंडेशन द्वारा क्रिएटिव कम्युनिकेशन में उत्कृष्टता के लिए पुणे पंडित पुरस्कार (स्कॉलर ऑफ पुणे अवार्ड) – सन 2012 में दिया गया था. सन 2004 में मैसूर विश्वविद्यालय ने मानद डॉक्टरेट की डिग्री से सम्मानित किया गया था. सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में आर के लक्ष्मणके नाम पर एक कुर्सी है.
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