कुआ या कुँवा या फिर कूप जमीन को खोदकर बनाई गई एक संरचना है जिसे जमीन के अन्दर स्थित संग्रह जल को प्राप्त करने के लिये बनाया जाता है.
कुआ से जल प्राप्त करने की हमारी सदियों पुरानी परंपरा हैं. इसे खोदकर, ड्रिल करके या बोर करके बनाया जाता है. बड़े आकार के कुओं से बाल्टी या अन्य किसी बर्तन द्वारा हाथ से पानी निकाला जाता है. किन्तु इनमें जलपम्प भी लगाये जा सकते हैं जिन्हें हाथ से या बिजली से चलाया जा सकता है.
विश्व के कई स्थानों पर पेट्रोल और गैस-कुएँ भी मौजूद हैं. यहाँ ज़मीन की खुदाई का काम पूरा करके कई लाख क्यूबिक मीटर गैस का या कच्चे तेल का प्रतिदिन उत्पादन किया जाता है.
आज हम इस आर्टिकल से माध्यम से जानेगे की कुआ सभी जगह गोल क्यों बनाये जाते हैं.
कुएं से पानी निकालकर इस्तेमाल करने का चलन पाषाण युग से है. खास करके ग्रामीण इलाके कुएं के पानी पर ही निर्भर रहा करते हैं. आज भी बहुत से गांव कुएं पर निर्भर है लेकिन बहुत से गांवों में विकास हो चुका है और नल, बोरिंग, और ट्यूबलेव ने कुएं की जगह ले ली है. लेकिन गोल कुएं को देखने के बाद भी क्या कभी आपने ये सोचा है कि कुएं को हमेशा गोल ही क्यों बनाया जाता है, जबकि पानी तो चौकोर और षटकोण या तिकोने कुए में भी रह सकता है.
वास्तव में इसके पीछे का कारण दिलचस्प है. जो कुएं की उम्र को लम्बा रखने के लिए उसके आकार को गोल निर्धारित किया जाता है. जब कुएं में पानी भर जाता है तो वह चारो बाजु दीवारों पर दबाव डालता है. ऐसे में अगर कुएं का आकार चौकोर या त्रिकोण होगा तो ये दबाव कोनों पर बनेगा, जिसके कारण दीवारों पर दरार पड़ सकती है और कुआं ढह सकता है. मगर कुएं का आकार गोल होने से पानी का दबाव हर जगह समान रहता है, जिसके कारण सालों तक कुआं मजबूत बना रहता है.
प्राचीन काल से लेकर आज तक हमारी जीवनशैली में काफी बदलाव आया है. आज जीवन काफी आसान है, लेकिन पहले काम करने के लिए बड़ी मसक्कत करनी पड़ती थी. पानी हैं तो जीवन हैं. बारिस का पानी साल भर तो उपलब्ध नहीं होता इसीलिए पहले लोग पानी के लिए नदियों पर निर्भर थे . उसके बाद मनुष्य ने पानी संग्रह करने के लिए कुएँ खोदकर पानी निकालना शुरू किया. ये कुएँ आज भी हमें कई गावोंमे दिखाई देता हैं. समय के साथ बदलाव हुआ और ज़्यादातर जगहों पर कुओं की जगह नल, ट्यूबवेल और बोरिंग ने ले ली.
हम देखते आ रहे हैं कि हमारे घर में मौजूद ज्यादातर बर्तन जैसे गिलास, कटोरी, प्लेट, बाल्टी और थाली भी गोल ही होते हैं. खास बात यह है कि गोल कुएँ काफ़ी मज़बूत होते हैं. मगर आपने शायद चौकोर कुएँ भी देखे होंगे, लेकिन वे उतने मज़बूत नहीं होते. कुएँ के गोल होने के पीछे एक और कारण है. गोल कुएँ की मिट्टी ज़्यादा देर तक नहीं डूबती क्योंकि गोल कुएँ की दीवारों पर चारों तरफ़ से बराबर दबाव पड़ता है.
जब हम कोई भी तरल पदार्थ संग्रह करते हैं, तो वह उसी आकार को ले लेता है, जिसमें उसे रखा जाता है. जब किसी बर्तन में तरल पदार्थ रखा जाता है, तो वह उसकी दीवारों पर दबाव डालता है. अगर कुआ गोल ना हो तो कुए की लाइफ़ कम हो जाएगी और कुएँ के टूटने और गिरने का भी ख़तरा रहेगा. यही वजह है कि कुएँ को गोल आकार में बनाया जाता है. ताकि उसके अंदर के पानी का दबाव कुएँ की दीवार पर हर जगह बराबर रहे.
बढ़ती हुई आबादी को देखते बड़े बड़े शहरों में पानी संग्रहके लिए विशाल
बांध बनाये जाते हैं. जुलाई 2019 तक, भारत में बड़े बांधों की कुल संख्या 5334 है. भारत में लगभग 447 बड़े बांध निर्माणाधीन हैं. बांधों की संख्या के मामले में, भारत चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद तीसरे स्थान पर है. उत्तराखंड का टिहरी बांध दुनिया के सबसे बड़े बांधों में से एक है और इसका निर्माण 2006 में गंगा नदी पर किया गया था.