” लक्षद्वीप ” भारत के दक्षिण पश्चिमी तट से करीब 200 से 440 कि.मी. की दुरी पर सागर मे बसा एक द्वीपसमूह है. अरब सागर मे फैले 36 द्वीपों के समूह को लक्ष द्वीप के नामसे जाना जाता है. पहले इन द्वीपों को लक्कादीव, मिनिकॉय,अमिनीदिवि आदि द्वीप के नाम से जाना जाता था. यह द्वीपसमूह भारत के केंद्रशासित प्रदेश मे आता है.
मलयालम और संस्कृत भाषा में लक्षद्वीप का अर्थ होता है ” एक सौ हजार द्वीप’. लक्ष द्वीप समूह भारत का सबसे छोटा केंद्रशासित प्रदेश है. इस क्षेत्र के कुल 10 उपखंडों को साथमे मिलाकर एक जिले की रचना की हैं. इसमे कवरत्ती को लक्षद्वीप की राजधानी बनाई गई है.यह द्वीपसमूह केरल उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत काम करता है. यह द्वीपसमूह लक्षद्वीप, मालदीव, चागोस समूह के द्वीपों का सबसे उत्तरी भाग है, और यह द्वीप एक विशाल पर्वतशृंखला चागोस लक्षद्वीप के सबसे उपरी हिस्से हैं.
द्वीपसमूह का कुल मिलाकर क्षेत्रफल सिर्फ 32 वर्ग कि.मी. है. लक्ष बितरा सबसे छोटा द्वीप है और हरे रंग के कछुओं के लिए मशहूर है और सबसे बड़ा द्वीप मिनिकॉय है इन पर हिन्दू राजा चिरक्कल का राज था. सातवीं शताब्दी के आसपास अमीनी द्वीप के निकट एक जहाज़ दुर्घटना हुई जिसपर एक मुस्लिम संत उबैदुल्लाह सवार थे. उन्होंने द्वीपवासियों को इस्लाम क़बूल करवाया लेकिन सत्ता हिंदू राजा के हाथ में ही रही.
बाद मे सोलहवीं सदी में कन्नूर के अली राजा का इन द्वीपों पर शासन हो गया. और अठ्ठारहवीं सदी में यह टीपू सुल्तान के आधीन आया. ब्रिटिश सेना के हाथों टीपू सुल्तान की पराजय के बाद लक्षद्वीप ईस्ट इंडिया साम्राज्य का हिस्सा बन गया. भारत की स्वतंत्रता के बाद 1956 में केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया.
सन 2011 की जनगणना के अनुसार लक्ष द्वीप की जनसंख्या 64, 473 थी. यहांका साक्षरता दर 91.85 % है. यह द्वीप कोच्चि से नियमित हवाई उड़ानों से जुड़ा हुआ है. यहां के लिये हेलीकॉप्टर की सुविधा पूरे साल भर अगाती से कवारती तक उपलब्ध है. अक्टूबर से मार्च तक यहां द्वीपों पर रहने का आदर्श समय है. वर्ष में 80 से 90 दिन तक यहां बारिस होती है.
पुरातन विभाग के अनुसार ईसा पूर्व 1500 के करीब यहां पर मानव बस्तिया मौजूद थी. नाविक लोग एक लंबे समय से इन द्वीपों को जानते थे, इसका संकेत पहली शताब्दी ईसवी से एरिथ्रियन सागर के पेरिप्लस क्षेत्र के एक अनाम संदर्भ से मिलता है. द्वीपों का उल्लेख ईसा पूर्व छठी शताब्दी की बौद्ध जातक कथाओं में किया गया है.सातवीं शताब्दी के आसपास मुस्लिमों के आगमन के साथ यहाँ इस्लाम धर्म का प्रादुर्भाव हुआ.
लक्षद्वीप की अधिकांश आबादी मलयालम बोलती है जबकि और मिनिकॉय द्वीप पर माही या माह्ल भाषा सबसे अधिक बोली जाती है. लोगों का मुख्य व्यवसाय मच्छीमारी करना और नारियल की खेती है, साथ ही यहां से मछली का निर्यात भी किया जाता है.
स्थानीय परंपराएं और किंवदंतियां के अनुसार इन द्वीपों पर पहली बसाहत केरल के अंतिम चेरा राजा चेरामन पेरुमल की काल में हुई थी.समूह में सबसे पुराने बसे हुए द्वीप अमिनी, कल्पेनी अन्दरोत, कवरत्ती और अगत्ती हैं. पुरातन विभाग बताते हैं कि पाँचवीं या छठी शताब्दी ईस्वी के दौरान इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म का प्रचलन था. लोकप्रिय परंपरा के अनुसार, 661 ईस्वी में उबैदुल्लाह द्वारा इस्लाम को लक्षद्वीप पर लाया गया था. उबैदुल्लाह की कब्र अन्दरोत द्वीप पर स्थित है. 11 वीं शताब्दी के दौरान, द्वीपसमूह पर अंतिम चोल राजाओं और उसके बाद कैनानोर के राज्य का शासन रहा था.
16 वीं शताब्दी में,ओरमुज और मालाबार तट और सीलोन के दक्षिण के बीच के समुद्र पर पुर्तगालियों का राज था. पुर्तगालियों ने 1498 की शुरुआत में द्वीपसमूह पर नियंत्रण कर लिया था, और इसका मुख्य उद्देश्य नारियल की जटा से बने माल के दोहन था, सन 1545 में पुर्तगालियों को द्वीप से भगा दिया गया.17 वीं शताब्दी में, द्वीप कन्नूर के अली राजा अरक्कल बीवी के शासन में आ गए, जिन्होंने इन्हें कोलाथिरिस से उपहार के रूप में प्राप्त किया था. अरब यात्री इब्न-बतूता की कहानियों में द्वीपों का भी विस्तार से उल्लेख मिलता है.
सन 1787 में अमिनिदिवि समूह के द्वीप (अन्दरोत, अमिनी, कदमत, किल्तन, चेतलत, और बितरा) टीपू सुल्तान के शासन के तहत आ गए. तीसरे आंग्ल-मैसूर युद्ध के बाद यह ब्रिटिश नियंत्रण में चले गए और इन्हें दक्षिण केनरा से जोड़ा गया.बचे हुए द्वीपों को ब्रिटिश ने एक वार्षिक अदाएगी के बदले में काननोर को सौंप दिया. अरक्कल परिवार के बकाया भुगतान करने में विफल रहने पर अंग्रेजों ने यह द्वीप फिर से अपने नियन्त्रण में ले लिए. ये द्वीप ब्रिटिश राज के दौरान मद्रास प्रेसीडेंसी के मालाबार जिले से जुड़े थे.
ता : 1 नवंबर 1956 को, भारतीय राज्यों के पुनर्गठन के दौरान, प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए लक्षद्वीप को मद्रास से अलग कर एक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में गठित किया गया. ता : 1 नवंबर 1973 के नया नाम अपनानेसे पहले इस क्षेत्र को लक्कादीव, मिनिकॉय, अमिनीदिवि के नाम से जाना जाता था.
यहां के स्थानीय भोजन में समुद्री मछली और नारियल पसंदीदा भोजन है. नारियल पानी की यहां बहुत खपत है. यहां के लोग अपने खाने में नारियल का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं जो कि बहुत स्वादिष्ट होता है. यहां आप मसालेदार व्यंजनों के साथ लज्ज़तदार मांसाहारी भोजन का भी मज़ा ले सकते हैं. भारत के बेहतरीन व्यंजन आपको यहां मिल जाएंगे. इन सबके अलावा इडली, डोसा और चांवल आदि का भी मज़ा आप यहां ले सकते हो.
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