कौरवो की एकलौती बहन “दुशाला”.

rajkumari

         कल हमने महाभारत काव्य की पात्र गांधारी के बारेमें कुछ बातें शेयर की थी. आज मुजे कौरवो की एकलौती बहन दुशाला के बारेमें बात करनी है. ये कहानी द्वापर युग की है. 

      युद्ध से हमेशा दोनों पक्ष की हानि होती है. मगर लड़ाई सत्य को स्थापित करने की हो तो फिर बात कुछ अलग होती है. महाभारत कौरवो के अत्याचार की कहानी है जो कौरव और पांडवो तथा भगवान श्री कृष्ण के इर्द गिर्द उसकी कहानी गुमती है. 

        महाभारत मे आपको धृतराष्ट्र, पाण्डु, गांधारी, कुंती, पांच पांडव , 100 कौरव और पाण्डवों की पत्नी के बारे में पौराणिक कथाओ जानकारी हासिल की होंगी लेकिन कौरवो की एकलोती बहन ” दुशाला ” के बारे मे बहुत कम लोगों को पता है. 

     महाभारत महा काव्य के अनुसार धृतराष्ट्र की धर्म पत्नी गांधारी को महर्षि वेदव्यास द्वारा 100 पुत्रों का वरदान प्राप्त हुआ था. गांधारी जब गर्भवती हुई, तो दो साल तक उनका गर्भ ठहरा रहा, लेकिन जब गर्भ बाहर आया तो वह एक लोहे का गोला था. 

       गांधारी ने लोगों के डर से इस गोले को फेंकने का निर्णय लिया. जब वह इसे फेंकने जा रही थी तभी वेदव्यास जी वहां आ गए और उन्होंने उस लोहे के गोले के सौ छोटे छोटे टुकड़े कार दिये और उसको सौ अलग मटकियों में कुछ रसायनों के साथ रख दिया. 

    इन्हीं मटकियों को जब कुछ समय के बाद एक-एक करके तोड़ा गया तो उसमें से 100 कौरवों का जन्म हुआ. बताया जाता है कि जब महर्षि वेदव्यास ने लोहे के गोले के टुकड़े किए थे , तो 100 टुकड़ों के बाद एक टुकड़ा और बच गया था. इसी टुकड़े से कौरवो की बहन दुशाला का जन्म हुआ था. 

       दुशाला, राजा धृतराष्ट्र और गांधारी की पुत्री और कौरवों की इकलौती बहन थी. मगर शादी के समय दुशाला के लिए संकट का समय आरंभ हुआ. दुशाला का विवाह सिंधु राज्य के राजा जयद्रथ से किया गया. राजा जयद्रथ को उनकी शूरवीरता के लिए जाना जाता था. 

          जयद्रथ कई बार महिलाओ से दुर्व्यवहार करते थे. जिस वजह दुशाला घुटन महसूस करती थी. दृष्ट जयद्रथ ने जबरदस्ती पांडवो की पत्नी द्रोपदी को अगवा करके सभी हदे पार कर दी. 

       क्रोधित होकर पांडवो ने जयद्रथ का वध करने और द्रोपदी को छुडाने निकले. जयद्रथ पांडवों के हाथ लगा तो पांडवों ने उसका धड़ सिर से अलग करने का प्रयास किया किंतु द्रौपदी ने उन्हें ऐसा करने के लिये रोक दिया.

          द्रौपदी ने कहा कि यह उनकी इकलौती बहन दुशाला का पति है और इसे मारने से उनकी बहन विधवा हो जाएगी. किंतु पत्नी के साथ हुआ ऐसा दुर्व्यवहार सहन करने लायक नहीं था इसलिए सजा देने हेतु पांडनों ने जयद्रथ का सिर गंजा कर दिया. 

           जयद्रथ प्रतिशोध चाहता था अतः अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए जयद्रथ ने शिव जी की घोर तपस्या की और उसके तप से प्रसन्न होकर भगवान शिवजी ने उसे कई प्रकार के वरदान दिए. 

       दुशाला इस बातसे अति प्रसन्न हुई और उसके पति द्वारा किए गए पापों के लिए उसे क्षमा किया. कुछ समय बाद ही दुर्योधन ने जयद्रथ को अपनी सेना के साथ कुरुक्षेत्र युद्ध में पांडवों के विरुद्ध लड़ने के लिए आमंत्रित किया. 

       कुरुक्षेत्र के युद्ध दौरान जयद्रथ ने धोखे से अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु की हत्या की, जबकि उस समय अभिमन्यु बिना किसी शस्त्र का था. इसका प्रतोशोध लेने का प्रण लिए अर्जुनने श्रीकृष्ण की माया की मदद से एक ही बार में दृष्ट जयद्रथ का सिर धड़ से अलग कर दिया और दुशाला के खुश हाल जीवन का अंत कर दिया.

       महाभरत युद्ध की समाप्ति के कुछ वर्षों के बाद अश्वमेध यज्ञ हेतु अर्जुन गलती से सिंधु राज्य में प्रवेश कर गया था, तो उस समय दुशाला का पुत्र सिंधु राज्य पर शासन कर रहा था. अपने पिता के हत्यारे अर्जुन के राज्य मे आने की खबर सुन के दुशाला का पुत्र भय से ही अपने प्राण त्याग बैठा था. 

      पहले पति और फिर पुत्र के वियोग में दुशाला अर्जुन के समक्ष विलाप करने लगी और उससे विनती करने लगी कि उसके वंश को बचा लो. समाधान हेतु अर्जुन ने दुशाला के पौत्र को राज्य की गद्दी पर बैठाया और पूर्ण सम्मान के साथ सिंधु राज्य का राजा बनाया.

         ये कहानी थी महाभारत के कौरवो की एकलौती बहन दुशाला की है. आपको जरूर पसंद आयी होंगी. 

—–=====शिवसर्जन ====——

About पत्रकार : सदाशिव माछी -"शिव सर्जन"

View all posts by पत्रकार : सदाशिव माछी -"शिव सर्जन" →