खतरनाक बीमारी, “मधुमेह”|Diabetes

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” यंत्र युग ” मे बुजुर्गो को मधुमेह ( diabitij ) बीमारी होना आम बात बन गयी है. दुनियामे सबसे ज्यादा मौत आज मधुमेह के बीमारी की वजह से हो रही है. एक जमाना वो था, जब सामान्य आदमी आठ दस किलोमीटर तो रोज पैदल चलता था. आज आलम यह है कि शहरों मे यदि आधा किलो मीटर भी चलना हो तो रिक्शा का उपयोग करते है !.

       डायबिटीज़ चयापचय संबंधी बीमारियों का एक भाग है. 

हाई ब्लड शुगर लेवल को हम लोग डायबिटीज़ यानी मधुमेह के नाम से जानते हैं. अगर इसकी जांच न की जाए, तो इससे त्वचा और आंखोंसे जुड़ी आम परेशानियों से लेकर ब्रेन स्ट्रोक और नर्वस सिस्टम से जुड़ी कई गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

        अगर हम नॉर्मल शुगर की बात करें तो आमतौर पर भूखे रहने पर शुगर की मात्रा 70 से 110 तक के बीच मे होती है. खाना खाने के आधा घण्टे बाद ये मात्रा बढ़कर 110 से 140 तक हो जाती है. 

       उच्च रक्त शर्करा के लक्षणों की हम बात करें तो ऐसे व्यक्तिको बार बार पेशाब आता है. लगातार भूख लगती है. अकारण थकावट महसूस होती है , वजन कम हो जाता है , प्यास लगती है , घुंधला दिखता है , घाव ठीक न होना या देर से घाव ठीक होता है , सिरदर्द , चिड़चिड़ापन और त्वचा रोग होना, ये सब आम बातें बन जाती है. 

      समय पर उपचार नहीं किया गया तो हृदय रोग , किडनी की खराबी, पेट मे अल्सर ओर आंखों को नुकसान होना जैसी गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ सकता है.

       यदि आपको ” मधुमेह ” है , तो इसका मतलब ये है की आपका अग्न्याशय बहुत कम इंसुलिन बनाता है, या कुछ भी नहीं. आपके द्वारा खाया जाने वाला ग्लूकोज ऊर्जा में बदल जाने के बजाय आपके रक्त में जाता है. 

           मधुमेह के मुख्य तीन प्रकार हैं :

( 1 ) टाइप 1, ( 2 ) टाइप 2 और ( 3 ) गर्भावधि मधुमेह.

( 1 ) टाइप -1. अगर आपको टाइप 1 डायबिटीज है तो इसका मतलब है कि आपका अग्न्याशय अब आपकी ज़रूरत के अनुसार इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है. यानी आपको नियमित रूप से अपने रक्त शर्करा के स्तर की जाँच करके डॉक्टर की सलाह अनुसार उपचार करना जरुरी है . 

( 2 )  टाइप – 2. मधुमेह एक प्रगतिशील स्थिति है. समय के साथ आपको अपने रक्त शर्करा के स्तर को प्रबंधित करने के लिए दवा, और कुछ मामलों में इंसुलिन की जरुरत हो सकती है.

( 3 ) गर्भावधि मधुमेह एक ऐसी स्थिति है जो गर्भावस्था के दौरान विकसित हो सकती है. महिला जब 24 से 28 सप्ताह की गर्भवती होती हैं, तो यह एक रक्त परीक्षण और एक मौखिक ग्लूकोज सहिष्णुता परीक्षण के साथ निदान किया जाएगा. गर्भावधि मधुमेह को आहार और व्यायाम के साथ प्रबंधित किया जा सकता है, हालांकि कुछ महिलाओं को बच्चे के जन्म तक दवा या इंसुलिन की आवश्यकता हो सकती है.

           ” डायबिटीज़ का शरीर पर बुरा असर : “

(1) आंख. 

          डयबिटीज के कारण नज़रें धुंधली हो सकती है, इस पर ध्यान नही दिया तो कैटरेक्ट (मोतियाबिंद) होने की शक्यता होती है. आंख को प्रभावित करने वाली इस गंभीर स्थिति को डायबिटिक रेटिनोपैथी कहते हैं. इसमें आंखों के रेटिना ख़राब होने लगते हैं और कुछ गंभीर मामलों में आंखों की पूरी रोशनी भी जा सकती है. इलाज और आंखों से जुड़ी तकलीफ़ों से बचने के लिए शुगर लेवल का संतुलन और ब्लड प्रेशर का सही प्रबंधन ज़रूरी है.

(2) त्वचा.

    डायबिटीज़ में स्किन इंफ़ेक्शन मतलब त्वचा रोग होना आम बात है. डायबिटीज़ से प्रभावित 30% लोगों में त्वचा संक्रमण बैक्टीरियल फ़ंगल होता है, जिसमें शुष्क त्वचा, त्वचा में उभार और काले चकत्ते पड़ना शामिल हैं. ब्लड शुगर पर सतर्क रहनेसे और साफ सफ़ाई से त्वचा संबंधी समस्या से बचा जा सकता है.

(3) किडनी.

         किडनी से जुड़ी बीमारियों के पीछे डायबिटीज़ मुख्य वजह है, टाइप – 2. डायबिटीज़ से प्रभावित 7% लोगों में डायबिटीज़ की पहचान होने से पहले ही किडनी की बीमारी के शुरुआत का पता चल जाता है. हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई ट्राइग्लिसराइड और लो एचडीएल को इनके पीछे खास तौर पर ज़िम्मेदार पाया जाता है.

(4) ह्रदय और खून की नसें.

      मधुमेह ग्रस्त लोगों में हाई कोलेस्ट्रॉल और/या हाई ब्लड प्रेशर होने की संभावना होती है. ऐसे में ख़ून की नसें सख्त़ हो सकती हैं, जिससे दिल का दौरा या दिल से जुड़ी दूसरी तकलीफ़ें या स्ट्रोक हो सकता है. जिन्हें डायबिटीज़ नहीं उनके मुक़ाबले डायबिटीज़ वाले लोगों में स्ट्रोक का ख़तरा ज़्यादा होता है.

       ह्रदय से जुड़ी परेशानिया और स्ट्रोक से बचनेके लिये धूम्रपान से बचना जरुरी है. शराब पीने में कमी , खान-पान मे परेजी, नियमित कसरत और ब्लड प्रेशर लेवल को अच्छी तरह से काबू मे रखकर बचा जा सकता है. 

. मधुमेह (डायबिटीज) शरीर की इंसुलिन का उत्पादन या उपयोग करने की क्षमता को प्रभावित करती है. इंसुलिन एक प्रकार का हार्मोन होता है, जो हमारे भोजन को उर्जा में बदल देता है.

     अतियंत दुःख के साथ कहना पड रहा है कि जितने लोग कोविद -19 महामारी से मृत्यु हुए इससे पांच गुना लोग इसी अवधि में मधुमेह से मृत्यु हुए है. मधुमेह के बारेमें विश्व स्तरीय जागृति अभियान चलानेकी आवश्यकता है. 

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