गधा महेनतु , वफादार और सख्त परिश्रम के लिए जाना जाता हैं. कई लोग गधे को मूर्खता का प्रतिक भी मानते है. गधे को अधिकतर धोबी और कुम्हार वर्ग के लोगों द्वारा पाला जाता है. गधा सहन् शील प्राणी है. गधे का प्राचीनतम उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है.
दुनिया भर में तारीख : 8 मई के दिन को विश्व गधा दिवस के रूप में मनाया जाता है. गधे को संस्कृत में खरः गर्दभ: रासभ: कहा जाता हैं. गधे की याददाश्त बहुत तेज होती है वो 30 साल बाद भी अपने साथी को पहचान सकता है. कभी किसी की मुर्ख मे गिनती करनी हो तो उसे गधे का नाम दिया जाता हैं.
गधे को मुर्ख क्यों कहा जाता हैं ? इसके लिए एक किवदंती हैं. एक बार गधा और घोड़ा बोजा लेकर साथ साथ चलतें जा रहे थे. घोड़े की पीठ के उपर नमक की बोरी रखी होती हैं. इससे घोड़े को चलने में दिक्कत होती है. वो पानी पीने के बहाने रुक जाता है. इससे बोरी से नमक पिघलकर कम हो जाता हैं. उसके पीठ पर रखा भार भी कम हो जाता है.
घोड़े के बगल में चल रहा गधा ये देखता हैं.उसकी पीठ पर रुई रखी होती है. वो सोचता है कि घोड़े की तरह वो भी पानी पीने के बहाने नदी में जाए तो उसका भी भार कम हो जाएगा. मगर गधे के पानी में जाते ही रुई गीली हो जाती है, जिससे उसके पीठ पर रखा वजन ज्यादा भारी हो जाता है ऐसी हरकत के कारण गधे को मुर्ख कहा जाता हैं.
आज मुजे गधेकी दो मजेदार कहानी आप लोगोंसे शेयर करनी हैं.
कहानी नंबर = 1.
एक समय की बात हैं. कुछ गांवके मुखियोने एक घोड़े की रेस का भव्य आयोजन किया. हर गांव से एक घोड़ा को भाग लेनेके लिए आमंत्रित किया गया. स्पर्धा के लिए समय, स्थान की जगह निश्चित की गई.
सभी गांवके लोगोंने एक से बढ़कर एक घोड़ेको रेस के लिए तैयार किया. मगर एक गावमे एक भी घोड़ा था नहीं. गांवके मुखिया ने मीटिंग बुलाई. सभी ने अपनी अपनी बात रखी. यदि रेस मे भाग नहीं लेते हैं तो, गांव की इजजत का सवाल था.
अब क्या करें ? आखिरकार सर्व
सम्मति से ये निर्णय लिया गया कि गाँवसे गधे को स्पर्धा मे उतरा जाय. भले हारेगा मगर गांव का अपमान तो नहीं होगा. स्पर्धा का समय आ गया. गांव के सभी मुखिया अपने घोड़ोके साथ स्टार्टिंग लाइन पर खड़े हो गये.
सिटी बजी और झंडा लहराया. गधे वाले मुखिया ने पुछ उठाई और साथ मे लाया हुआ हरि मिर्ची का पेस्ट गुदाद्वार मे भर दिया. गधा को लगा किसीने पुछ मे आग लगाई हैं. वो ऐसा भागा कि रुकनेका नाम नहीं. वो ऐसा भागा की सबसे आगे निकल गया और प्रथम स्थान पर आकर स्पर्धा जीत गया.
कहानी नंबर = 2.
एक घने जंगल के बिचमे छोटासा गांव था. एक व्यक्तिने गधे को पाला था.
एक दिन गधे ने सोचा, इस जंगल के आगे क्या होगा देखना चाहिए. एक रात मालिक जब सोया था, वो जंगल की ओर निकल पडा.
खाना पानी ढूंढते ढूंढते वो गधा मनचाहे तरीके से सर्पकार स्थिति मे आगे बढ़ते रहा. आखिरकार वो दूसरे बड़े गांव तक पहुंच ही गया. यहां पर कुछ कुत्ते के झुंड को पता चला कि गधा अन्य जगह चला गया हैं तो वो भी एक के बाद एक रास्ता सूंघते सूंघते गधे के नक्शेकदम पर चलकर जंगल पार करके जाने लगे. इससे जंगल मे नया पगडंडी मार्ग बन गया.
गांव के लोगो ने जब ये देखा तो वो भी वही रास्ते से आने जाने लगे. अब तो वो एक रास्ता बन चूका था. गावोंका विकास होते गया. सरकार ने वहापर पक्की सड़क बनाने का निर्णय लिया. कुछ समय के बाद वहां पर सरकारी इंजीनियर आये. उन्होंने जंगल का सर्वे किया. और नया प्रस्थावित मार्ग का नकशा तैयार किया. रोड बनकर तैयार हो गया. अब रोड सीधे सीधा होनेकी वजह 12 घंटे की दुरी का समय 6 घंटे लगने लगा.
एक इंजीनियर ने गांववालों से पूछा, पुराना रास्ता किसने बनाया था ? इस पर 70 साल के बुजुर्ग ने बताया कि मैंने सुना हैं कि ये एक गधे ने प्रथम यहां से पगडंडी बनाई थी.
इसपर इंजीनियर बोला, धन्य हैं वो गधा जिसने पहले पहल की थी. जिस वजह से ही आज गांव विकशित और गावका बड़ा रास्ता बन सका.
तो दूसरा इंजीनियर बोला, तुम लोग सालो से गधे ने बनाये रास्ते पर चलतें रहे. यदि प्रयत्न करते तो यहां का विकास कब का हो चूका होता…..!.
——=== शिवसर्जन ===——