ग्राहक ( Customer) उसे कहते हैं जो कि क्रेता ( Buyer ) से एक दाम पर सामान खरीदता है. इसके भी दो प्रकार होते हैं :
(1) व्यापार ग्राहक : वो ग्राहक जो सामान की खरीददारी केवल और केवल बेचने हेतु करते हैं. वो सामान को खरीद कर फिर अन्तिम ग्राहकों को बेचने का काम करते हैं.
(2) अन्तिम ग्राहक : वो ग्राहक जो सामान की खरीददारी अन्तिम उपभोग के लिए करते हैं.
उपभोक्ता ( CONSUMER ) :
उपभोक्ता वे होते हैं जो सामान अन्तिम उपयोग के लिए लेते हैं अर्थात वे खुद ही सामान का उपभोग करते हैं. ( उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत परिभाषित किया है.) हालांकि उपभोक्ता भी सामान को खुद के रोजगार हेतु उपयोग में ला सकते हैं.
ग्राहक और उपभोक्ता में अंतर :
ग्राहक : वह व्यक्ति जो क्रेता से सामान बेचने हेतु लेता है उसे ग्राहक कहते हैं.
उपभोक्ता : वह कोई व्यक्ति जो सामान अपने उपभोग के लिए खरीदता है उसे हम उपभोक्ता कहते हैं.
ग्राहक को क्रेता (Buyer) के रूप में भी जाना जाता है जबकि उपभोक्ता को अंतिम उपयोगकर्ता के रूप में जाना जाता है.
ग्राहक उत्पाद या सेवा की कीमत चुकाता है, लेकिन वह दूसरे पक्ष से उसे वसूल कर सकता है, यदि उसने किसी भी व्यक्ति की ओर से उसे खरीदा हो. इसके विपरीत, उपभोक्ता वस्तुओं की कीमत अदा नहीं करता, जैसे सामान की भेंट की जाती है या यदि वे किसी बच्चे के मा – बाप द्वारा खरीदी जाती हैं.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम,
उपभोक्ता आंदोलन के अग्रदूत माने जाने वाले बिंदुमाधव जोशी जी की पहल के बाद उपभोक्ताओं के लाभ के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 24 दिसंबर 1986 को अस्तित्व मे आया.
मगर अधिकांश उपभोक्ता अभी भी इस कानून से वाकिफ नहीं हैं. इस वजह से, कई ग्राहक ठगे जाने पर भी अपनी आवाज नहीं उठाता है, केवल इसलिए कि वह नहीं जानता कि कहां शिकायत करनी है. देश में 36 साल से बने इस उपभोक्ता संरक्षण कानून के बाद लोग इसका लाभ नहीं ले पा रहा है.
कैसे होता है ग्राहकों का शोषण ?
एक “ग्राहक” वह व्यक्ति होता है जो उचित मूल्य पर सामान और सेवाएं खरीदता है. यही कारण है कि समाज का प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी रूप में उपभोक्ता है. हालाँकि, ग्राहक के पास सेवा और उत्पाद के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं होती है. इसीलिए वह विक्रेता पर भरोसा करता है और कोई भी वस्तु खरीदता है. इससे ग्राहक का शोषण होता है.
भ्रमित करने वाले झूठे विज्ञापन, वजन कम करना, नकली सामान बेचना और गुणवत्ता हीन सामान बेचना सभी शोषण के रूप हैं. उपभोक्ताओं को इसे समझना जरुरी है.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम सन 1986 ने उपभोक्ताओं को अधिकार व साथ ही कर्तव्य प्रदान किए हैं. यह सुरक्षा का अधिकार है कि वस्तुओं और सेवाओं के उपयोग के कारण जीवन को खतरा न हो. सूचना का अधिकार उत्पाद की गुणवत्ता, उसकी सामग्री, परिणाम, शुद्धता, निश्चित मूल्य, उत्पाद पर समाप्ति तिथि मुद्रित होना है.
कानून उपभोक्ता को विक्रेता को सामान और वास्तविक उपयोग के बारे में शिकायत करने और शिकायतों का पूर्ण निवारण प्राप्त करने का अधिकार भी देता है. कानून उचित कीमतों पर अच्छी गुणवत्ता वाले सामान की खरीद के संबंध में आवश्यक शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रत्येक उपभोक्ता के अधिकार को स्थापित करता है.
कंजूमर फोरम और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम कानून :
ग्राहक को जो भी जिस तरह की परेशानी होती है तो वह कंजूमर फोरम में अपनी कंप्लेंट दर्ज करवा सकता है. कंजूमर फोरम की स्थापना सन 2001 में हुई थी और तभी से बहुत ग्राहकों ने अपने अधिकारों को पाने के लिए अपनी समस्याओं से निजात पाने के लिए आवेदन भी किया और बहुत सारे ग्राहकों को इससे राहत मिली है. इससे पहले भारत सरकार ने उपभोक्ताओं के लिए सन 1986 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम नामक एक कानून बनाया था और इस कानून के अनुसार हर एक उपभोक्ता को सुरक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार, समाधान का अधिकार, सुनवाई का अधिकार ,शिक्षा का अधिकार ,चयन का अधिकार है.
शिकायत कहां दर्ज करें :
यह वस्तुओं के मूल्य और लागत पर निर्भर करता है . यदि यह मामला 2000000 रुपए से कम है तो ग्राहक जिला फोरम में अपनी शिकायत दर्ज करवाकर सुझाव ले सकता है. यदि कोई मामला 2000000 रुपए से लेकर 10000000 रुपए के बीच है तो उसे ग्राहक राज्य आयोग में अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है. यदि किसीका मामला 10000000 रुपए से अधिक का है तो ग्राहक अपनी शिकायतें राष्ट्रीय आयोग में दर्ज करवा सकता है. वास्तव में भारत सरकार ने ग्राहकों को जल्दी फैसला मिल सके इसलिए अलग-अलग आयोग बनाये है. 121***
हर साल 15 मार्च को उपभोक्ता के हक की आवाज़ उठाने और अधिकारों की सुरक्षा के लिए पुरे विश्व में ” विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस” को मनाया जाता है.
उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाने की शुरूआत तारीख : 15 मार्च, 1983 में कंज्यूमर्स इंटरनेशनल नाम की संस्था ने की थी. इसके पीछे मकसद था कि दुनिया भर के सभी उपभोक्ता यह जानें कि बुनियादी जरूरतें पूरी करने के लिए उनके क्या हक हैं. साथ ही सभी देशों की सरकारें उपभोक्ताओं के अधिकारों का ख्याल रखें. उल्लेखनीय है कि ता : 15 मार्च, 1962 को अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन.एफ. केनेडी ने सर्वप्रथम उपभोक्ता अधिकारों को परिभाषित किया था. यही कारण हर साल विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है.
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस का महत्व उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों एवं जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक बनाना है. बाजार में होने वाली ग्राहक जमाखोरी, कालाबाजारी, मिलावटी सामग्री का वितरण, अधिक दाम वसूलना, बिना मानक वस्तुओं की बिक्री, ठगी, नाप-तौप में अनियमितता, ग्यारंटी के बाद सर्विस प्रदान नहीं करने के अलावा ग्राहकों के प्रति होने वाले अपराधोंको देखते इस दिन जागरूकता अभियान चलाते हैं. विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस का महत्व उपभोक्ता को अपना सही अधिकार मिले और उपभोक्ता के लिए जागरूकता फैलाये इसीलिए यह दिवस मनाया जाता है.
नए उपभोक्ता संरक्षण कानून में 10 बड़े बदलाव कौनसे है :
(1) नए नियम के तहत अब उपभोक्ता किसी भी कमीशन में शिकायत दर्ज करा सकते हैं. जबकि पहले ऐसा नहीं था. केस वहीं दर्ज होता था जहां सामान बनाने वाले या सर्विस देने वाली कंपनी का दफ्तर हो.
(2) अब भ्रामक विज्ञापन करने पर सेलेब्रिटीज को भी सजा और जुर्माने का प्रावधान लागू किया गया है. ऐसे में सेलेब्रिटीज सोच समज के विज्ञापनों का चयन करेंगे. पहले भ्रामक विज्ञापनों के लिए सेलेब्रिटीज की कोई जवाबदेही नहीं होती थी.
(3) नए कानून में ई-कॉमर्स कंपनियों को शामिल किया गया है. यानी अब ऑनलाइन शॉपिंग करने वालों को उत्पाद या सेवा के लिए कस्टमर केयर के सहारे बैठने की ज़रूरत नहीं, अपनी शिकायत किसी भी जगह वह दर्ज कर सकते हैं.
(4) अब बेचने वाला भी इस कानून के दायरे में होगा है. अगर कोई दुकानदार सामान को तय MRP (Maximum Retail Price) से ज्यादा पर बेच रहा है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.
(5) अब खाने-पीने की चीजों को भी इस कानून के दायरे में लाया गया है. यानी खाने-पीने की चीजों में मिलावट होने पर कंपनियों पर जुर्माना और जेल का प्रावधान है. मिलावट के मामले में 6 महीने की सजा, जबकि मिलावट के चलते ग्राहक की मौत पर उम्रकैद की सजा हो सकती है.
(6) पहले किसी खराब उत्पाद पर शिकायत कर्ता को सिर्फ उसकी तय रकम और थोड़ा हर्जाना मिलता था जो कई मामलों में तो तय ही नहीं था, पर अब इसका दायरा बढ़ाकर के प्रोडक्ट लायबिलिटी तय कर दी गई है.
(7) पहले जिला स्तर पर 20 लाख रुपये तक, राज्य स्तर पर एक करोड़ रुपये तक और इससे ज्यादा रकम के मामलों की शिकायत की सुनवाई राष्ट्रीय स्तर पर की जा सकती थी, अब जिला आयोग का मूल आर्थिक क्षेत्र 1 करोड़ रुपये तक हो गया है, 10 करोड़ तक की धनराशि के मामले राज्य आयोग सुनेगा जबकि इससे ज्यादा मूल्यों के मामले की शिकायत राष्ट्रीय स्तर पर अपील कर सकते हैं.
(8) अगर एक कंपनी के खिलाफ उसके उत्पाद को लेकर अलग-अलग मामले कई जगह पर हैं तो अब बड़ी-बड़ी कंपनियों को भारत में भी क्लास एक्शन सूट से का सामना करना होगा. क्लास सूट के तहत एक जैसे मामलों का सामना कर रहे निवेशकों को एक साथ आने और एक मुकदमे में शामिल होने का मौका दिया जाता है.
(9) ग्राहक मध्यस्थता सेल का गठन किया गया है, अब दोनों पक्ष आपसी सहमति से मध्यस्थता का विकल्प चुन सकते हैं.
(10) कंज्यूमर फोरम को और मजबूत बनाने के लिए साथ ही इसे कंज्यूमर कमीशन कर दिया गया है.
ग्राहक को सूचना का अधिकार :
इसके तहत कोई ग्राहक उत्पाद या सेवा की जानकारी पा सकता है. जैसे वस्तु की मात्रा, क्षमता, गुणवत्ता, शुद्धता, स्तर और मूल्य, के बारे में जानकारी.
समस्या या परेशानी की सुनवाई नए कानून में ग्राहकों को सुनवाई का अधिकार मिला हुआ है. यानी शॉपिंग के दौरान शोषण के विरुद्ध वह केस कर सकता है और उसकी सुनवाई की जाएगी.
ग्राहकों को शिकायतों के निपटारे का अधिकार कंपनी के लिए ग्राहक की किसी भी सममस्या या असुविधा का निवारण करना अनिवार्य बनाया गया है.
सुरक्षा का अधिकार अगर किसी उत्पाद या सेवा से जिंदगी को खतरा हो सकता है उनसे सुरक्षा का अधिकार. जैसे तेजाब से लोगों की जिंदगी को खतरा होता है तो ऐसे में ग्राहकों को इससे सुरक्षा का अधिकार प्राप्त है.
सेवा या उत्पाद के लिए दबाव नहीं डाल सकती कंपनी ग्राहक पर दबाव डालकर या जबरन खरीदारी नहीं करवाई जा सकती. जबतक ग्राहक आश्वस्त नहीं हो जाता और वह वस्तु को जांच-परख न ले उसे जबरन खरीदारी के लिए नहीं कहा जा सकता.