आजकी तारीख मे दुनिया मे सबसे ज्यादा बोले जाने वाला शब्द हो तो वो ” मोबाइल ” है . कोई भी व्यक्ति जितनी बार अपने आराध्य देवता का स्मरण नहीं करता होगा उससे कई गुणा ज्यादा ” मोबाइल ” शब्द का प्रयोग करता है .
वैसे मोबाइल शब्द का अर्थ होता है, चलनशील,चंचल, गतिशील,अस्थिर , हिलने डोलने वाला या घूमता फिरता. जिसको आप अपने साथ एक जगह से दूसरी जगह, स्थित ले जा सकते हो.
दो सालके बच्चे से लेकर अस्सी सालका बुजुर्ग इसका दीवाना है.मनुष्य के लिये रोटी , कपड़ा और मकान की तरह मोबाइल भी जीवन का अभिन्न अंग बन गया हैँ. मनुष्य एक दिन भूखा रहना पसंद करेगा मगर, मोबाइल के बीना एक भी दिन नहीं रह सकता है. मोबाइल ने लोगोंकी जीवन जीने की शैली को बदल दिया है .
टेलीफोन मोबाइल की जननी है. टेलीफोन का आविष्कार भले वैज्ञानिक अलेक्जेंडर ग्राहम बेल ने 2 जून, 1875 में किया हो मगर दुनिया का पहला संदेशवाहक तो हमारे नारद मुनि ही थे. जो पृथ्वी , स्वर्ग , और पाताल तीनो लोग मे जाकर संदेश की आपले करते थे. टेलीफोन का सुधारित आधुनिक रुप मतलब अपना मनभावन आजका स्लिम, सुंदर मोबाइल है.
पुराने जमाने मे राजा महाराजा लोग अपने निजी दूत के द्वारा संदेश का आदान प्रदान करते थे मगर उसमे समय ज्यादा लगता था अतः धीरे धीरे कबूतर या गरुड़ पक्षी को प्रशिक्षण देकर उनके पैर मे चिठ्ठी बांधकर संदेश भेजनेका रिवाज़ आगे बढ़ा. सभ्य समाज ने आगे चलकर डाकघर की स्थापना करके डाक ( पत्र ) का आदान प्रदान शुरू किया. चुंबकीय शक्ति से चलने वाला तार संदेश व्यवहार का चलन शुरू हुआ. और आज तो मोबाइल के जरिये आम आदमी भी विडिओ कॉल के जरिये विदेशों मे बसे अपने रिश्तेदारों से व्हाट्स ऍप विडिओ कॉल से रुबरु साक्षात्कार मिलनेका अहसास कर रहे है.
हम सब जानते हैँ की मोबाइल , घड़ी , कैलकुलेटर, टेलीफोन, कैमरा, टेपरिकॉर्ड, अलार्म घड़ी आदि सबको निगल गया है . यू कहो की ” मोबाइल ” आज की तारीख मे ” सब इन वन ” की भूमिका निभा रहा है .
देशभर में मोबाइल धारको की संख्या तेजीसे बढ़ रही है . भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के अनुसार मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या 115 करोड़ 14 लाख 37 हजार 99 तक पहुंच चुकी है. जो की इसमे कई लोगों के पास एक से ज्यादा मोबाइल होनेकी संभावना है.
भारत की जनसंख्या करीब 130 करोड़ की बताई जाती है. 9.56 करोड़ उपभोक्ता के साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश प्रथम नबर पर है. जबकि करीब 9.26 करोड़ उपभोक्ता के साथ महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर है. इसके अलावा आंध्र प्रदेश में करीब 8.70 करोड़, बिहार में करीब 8.43 करोड़ और तमिलनाडु में करीब 8.18 करोड़ से ज्यादा मोबाइल उपभोक्ता हैं. गुजरात में ये संख्या करीब 6.74 करोड़ तथा पश्चिम बंगाल में करीब 5.52 बताई जाती है.
शहरों की बात करें तो दिल्ली में करीब 5.29 करोड़ मोबाइल उपभोक्ता हैँ. जबकि मुंबई में करीब 3.80 करोड़ है. कोलकाता में 2.56 करोड़ और असम में करीब 2.36 करोड़ से ज्यादा मोबाइल उपभोक्ता हैं.
हर चीज की दो पहलु है. एक अच्छी और दूसरी बुरी. मोबाइल भी इस बात से अछूता नहीं हैँ. मोबाइल में बैंकिंग प्रणाली आ जानेसे साइबर क्राइम के गुनाह की वृद्धि हो रही हैँ. पिन कोड नंबर चुराकर ए टी एम से पैसे निकाल लेना. इंटरनेट टेक्नोलॉजी की मदद से किसीके खाते का पिनकोड नंबर जानकर लाखों रुपये चुराना जैसी आम बात बन गई हैँ. दुःख की बात तो यह हैँ की इसमे पढ़े लिखें लोग सामिल हैँ. जो कंप्यूटर टेक्नोलॉजी के जानकार होते हैँ.
वैसे मोबाइल ने हमारे जन जीवन को आसान बना दिया हैँ. घर बैठे आप फ़िल्म , रेल , बस, हवाई जहाज की टिकट निकाल सकते हो. चंद सेकंड में फोन करके दूर विदेश में बसे अपने रिश्तेदारों की खबर ले सकते हो. मोबाइल ने पल पल की जानकारी पानेको आसान बना दिया हैँ.
हमारे भारत देश में हाल 3G 4G का जमाना चल रहा है जबकि जापान में 7G पर संशोधन हो रहा है. यहांकी बाजार में 800 रुपये से लेकर लाखों रुपये तक की कीमत के मोबाइल उपलब्ध है.
वैश्विक स्थान निर्धारण प्रणाली ( Global Positioning system ) जिसका संक्षिप्त रुप GPS है.जो उपग्रह आधारित नेविगेशन प्रणाली है जिसका प्रयोग किसी भी चीज की लोकेशन का पता लगाने के लिए किया जाता हैं. मोबाइल में ऍप इनस्टॉल करके आप जहां हो वह स्थान का पता लगाकर आसानीसे आगेकी सफर कर सकते हो.
पहले ये सुविधा सिर्फ देश के सैनिकों कोही दी जाती थी.
बढ़ती टेक्नोलॉजी को देखते अब वो दिन दूर नहीं, जब मोबाइल मानव मस्तिक से कनेक्ट होकर अपने दिमाग़ का नेतृत्व कर रहा होगा.
—–==== शिवसर्जन ====——