घोड़े की नाल और लोगोंकी मान्यता.

ghode ki naal

आप लोगोंने घोड़े की नाल के बारेमें अवश्य सुना होगा.

घोड़े की नाल किसे कहते है ? :

घोड़े के पैरों के तलवे में लोहे का एक यू आकार का सोल ठोंका जाता है जिससे घोड़े को चलने और दौड़ने में आसानी होती है. नाल घोड़े के पाव को अधिक घिसनेसे बचाती है.

अंग्रेजी के यू के आकर की नाल घोड़े के पाव के सोल में कील से ठोकी जाती है. लौहे के इस सोल को नाल कहा जाता हैं. मगर बाजार में आजकल घोड़े की नाल के नाम पर बस नाल ही मिलती है जिसे किसी भी घोड़े ने इस्तेमाल नहीं किया होता है. पुराने समय में जिस घोड़े की नाल बेकार हो जाती थी उसे ही उपयोग में लाया जाता था.

घोड़े की उस नाल मिलना कठिन है जो स्वयं घिसकर निकल गई हो. वैसी नाल मिलना मतलब भाग्य का खुलना माना जाता है. खासकर देखा गया है कि कई लोग अपने घरों के बाहर यानि मुख्य द्वार पर ऐसी घोड़े की नाल को लटकाते हैं. घोड़े की नाल नजर विरोधी मानी जाती है. मतलब ये जहां हो वहां किसी की नजर नहीं लगती और दुश्मनों से बचाती है.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, घोड़े की नाल रखने से घर में नकरात्मक शक्ति नहीं आती. घोड़े की नाल को मुख्य द्वार पर लगाने से शनिदेव प्रसन्न रहते हैं और उनकी कृपा दृष्टि आप पर हमेशा बनी रहती है. बहुत से लोग इसे अपने घर के अंदर यानि लिविंग रूम में भी लगाते हैं. वास्तु के हिसाब से घोड़े की नाल विपदा हरने वाली मानी गई है.

घोड़े की नाल मिल जाए तो क्या करें ?

कैसे लगाएं घोड़े की नाल :

ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि करके घोड़ेकी नाल को गंगाजल से धो लीजिये इसके बाद जब घोड़े की नाल गीली हो जाए तो भगवान सूर्य की किरणों से घोड़े की नाल को सुखाएं. ऐसा करने से घोड़े की नाल में सकारात्मक ऊर्जा भर जाती है. अब इसके बाद घोड़े की नाल को मंदिर में ले जाकर माता लक्ष्मी के सामने रख देंना होता है.

मान्यता है कि घोड़े की नाल की अंगूठी पहनने से घर में हमेशा सुख व समृद्धि बनी रहती है. हाथ में घोड़े की नाल की अंगूठी पहनने से शनि देव प्रसन्न होते हैं. घोड़े की नाल की अंगूठी शनि साढ़े साती और शनि बुरे प्रभाव को कम करती है.

ज्योतिष के अनुसार घोड़े के नाल से व्यवसाय या दुकान में बरकत आती है. शनि की साढ़ेसाती में घोड़े की नाल आपकी सुरक्षा के अद्भुत उपाय कर सकती है. लोहा शनि देव की प्रिय धातु है और घोड़े की नाल में भी उत्तम धातु है. इसे धारण करने वाला व्यक्ति शनि महाराज का प्रिय होता है.

घोड़े की नाल घरेलु रोग को नष्ट करती है. जिससे इसे धारण करने वाला स्वस्थ एवं दीर्घायु होता है. घोड़े की नाल धारण करने से व्यक्ति यदि कर्ज से ग्रस्त है या घर में दलिद्रता का वाश है तो घोड़े का नाल कर्ज जल्दी से भरने में और दलिद्रता नष्ट करने में अत्यंत सिद्ध होती है.

घोड़े के नाल तनाव और अत्यधिक शोक की स्थिति को नष्ट कर देती है.

वास्तु दोष से संबंधित दोषों के लिए घोड़े का नाल का सबसे श्रेष्ठ उपाय बताया जा सकता है जिससे वह वास्तु दोष के प्रभावों से मुक्त नक्षत्रों में प्रगति प्राप्त कर सकते हैं. शनि को न्याय का देवता माना जाता है.

घोड़े के नाल के इतिहास की बात करें, तो सबसे पहले घोड़े की नाल का इस्तेमाल लंदन के एक डंस्टन नाम के पादरी ने किया था, जो एक समय में लोहार था. 10वीं सदी में में डंस्टन के पास एक शैतान आत्मा आयी और कहा कि उसके घोड़े की नाल बना दे. डंस्टन को वह बुरी आत्मा परेशान करने लगी. तभी उसने एक घोड़े की नाल दरवाजे पर टांग दी और उसके बाद से कभी उस आत्मा ने उसे परेशान नहीं किया. यह कहानी खासी चर्चा में आयी और यही कारण है कि आज भी इंग्लैंड में घर के बाहर घोड़े की नाल लगाने का चलन है.

अगर आपको लगता है कि आपके घर में काली शक्तियों या किसी तरह की नकरात्‍मक ऊर्जा है तो घर में घोड़े की नाल टांगना शुभ होता है. प्राचीन काल से ही काले घोड़े के पैरों में लगी नाल का उपयोग कई प्रकार के उपायों में किया जाता रहा है.

About पत्रकार : सदाशिव माछी -"शिव सर्जन"

View all posts by पत्रकार : सदाशिव माछी -"शिव सर्जन" →